जानें, क्या है ड्रोन को लेकर भारत सरकार की नीति और इसके नियम
देश की नामी कंपनियों महिंद्रा एंड महिंद्रा, बायर और टैफे को कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल की अनुमति प्रदान की गई है। ये अनुमति नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने उन्हें प्रदान की गई है। अनुमति मिलने पर अब ये कंपनियों कृषि क्षेत्र में ड्रोन का इस्तेमाल कर सकेंगी। हांलाकि इन कंपनियों को ये अनुमति कुछ शर्तों के साथ प्रदान की गई है जिन्हें कंपनियों को पूरा करना होगा। बता दें कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने पिछले सप्ताह महिंद्रा एंड महिंद्रा, टैफे और बायर क्रॉप साइंस सहित 10 संगठनों को विभिन्न उद्देश्यों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने की सशर्त अनुमति दे दी है।
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जानें, किस कंपनी कहां मिली ड्रोन इस्तेमाल की अनुमति
उड्डयन मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि महिंद्रा एंड महिंद्रा को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में ड्रोन-आधारित कृषि परीक्षण करने और धान एवं मिर्च की फसल पर छिडक़ाव के लिए ड्रोन का उपयोग करने की मंजूरी दी गई है। वहीं बायर क्रॉप साइंस को ड्रोन-आधारित कृषि अनुसंधान गतिविधियों का संचालन करने और कृषि छिडक़ाव के लिए ड्रोन का उपयोग करने की मंजूरी दी गई है।ट्रैक्टर्स एंड फार्म इक्विपमेंट लि. (टैफे) चेन्नई को फसल के स्वास्थ्य का आकलन करने और फसल की बीमारी रोकने के लिए ड्रोन आधारित हवाई छिडक़ाव करने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। मंत्रालय ने कहा कि उसने उपरोक्त सभी संगठनों को मानव रहित विमान प्रणाली (यूएएस) नियम, 2021 से सशर्त छूट दी है, और यह मंजूरी की तारीख से एक वर्ष की अवधि के लिए या अगले आदेश तक वैध होगी। बता दें कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नए ड्रोन नियम 2021 को पारित किया है जो मानव रहित विमान प्रणाली नियम 2021 की जगह लेंगे। सरकार ने अधिसूचना जारी कर कहा। सरकार ने 15 जुलाई को नए ड्रोन नियमों की घोषणा की थी और 5 अगस्त तक आपत्तियां और सुझाव मांगे गए थे।
ड्रोन उड़ाने को लेकर क्या है सरकारी नियम
मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार ड्रोन उड़ाने को लेकर केंद्र सरकार ने नए नियम बना दिए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नए ड्रोन नियम 2021 को पारित किया है, जो मौजूदा मानव रहित विमान प्रणाली नियम की जगह लेंगे। सरकार ने ड्रोन उड़ाने को लेकर जो नए नियम जारी किए हैं वे इस प्रकार से हैं-
- ड्रोन के संचालन के लिए किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस जारी करने से पहले अब किसी सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। जबकि ड्रोन संचालित करने की अनुमति के लिए शुल्क नाममात्र हो गया है।
- कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे। यह भी बताया गया है कि भारी पेलोड(सामान) ले जाने वाले ड्रोन और ड्रोन टैक्सियों के लिए ड्रोन का कवरेज 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है।
- नए नियमों के तहत समाप्त किए गए कुछ अनुमोदनों में यूनिक अधिकृत नंबर , यूनिक प्रोटोटाइप पहचान संख्या, अनुरूपता का प्रमाण पत्र, रखरखाव का प्रमाण पत्र, आपरेटर परमिट, अनुसंधान और विकास संगठन का प्राधिकरण और दूरस्थ पायलट प्रशिक्षक प्राधिकरण शामिल हैं।
- ड्रोन नियम, 2021 के तहत अधिकतम जुर्माना एक लाख रुपये कर दिया गया है। हालांकि, यह अन्य कानूनों के उल्लंघन के संबंध में दंड पर लागू नहीं होगा।
- डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर हरे, पीले और लाल क्षेत्रों के साथ इंटरेक्टिव एयरस्पेस मैप प्रदर्शित किया जाएगा। एयरपोर्ट पैरामीटर मामले में येलो जोन 45 किलोमीटर से घटाकर 12 किलोमीटर कर दिया गया है।
- हवाई अड्डे की परिधि से 8 से 12 किमी के बीच के क्षेत्र में ग्रीन जोन और 200 फीट तक के क्षेत्र में ड्रोन के संचालन के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। वहीं, सभी ड्रोन का ऑनलाइन पंजीकरण डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से होगा। कहा गया है कि इससे ड्रोन के ट्रांसफर और डी-पंजीकरण जैसे कामों में भी आसानी हो सकेगी।
- नियमों में कहा गया है कि गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए नैनो ड्रोन और माइक्रो ड्रोन के संचालन के लिए अब किसी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है।
- भविष्य में नो परमिशन - नो टेक-ऑफ (एनपीएनटी), रीयल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फेंसिंग आदि जैसी सुरक्षा सुविधाओं को अधिसूचित किया जाएगा। इसके पालन के लिए कम से कम छह महीने का समय दिया जाएगा।
- बताया गया कि सभी ड्रोन ट्रेनिंग और एग्जाम एक अधिकृत ड्रोन स्कूल द्वारा की जाएगी। डीजीसीए प्रशिक्षण आवश्यकताओं को निर्धारित करेगा, ड्रोन स्कूलों की निगरानी करेगा और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस प्रदान करेगा।
- भारतीय गुणवत्ता परिषद और इसके द्वारा अधिकृत प्रमाणन संस्थाओं को सौंपे गए ड्रोन का प्रकार प्रमाणन। अनुसंधान और विकास संस्थाओं के लिए प्रकार प्रमाण पत्र, विशिष्ट पहचान संख्या, पूर्व अनुमति और दूरस्थ पायलट लाइसेंस की कोई आवश्यकता नहीं है।
- ड्रोन के आयात को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। व्यापार के अनुकूल नियामक व्यवस्था की सुविधा के लिए मानव रहित विमान प्रणाली संवर्धन परिषद की स्थापना की जाएगी।
नई ड्रोन नीति में परिवर्तन के पीछे क्या है सरकार की मंशा
सरकार ने अपनी नई ड्रोन नीति में कुछ अमूलचूक परिवर्तन किए हैं। ये परिवर्तन लोगों की इसको लेकर होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए किए गए हैं। सरकार ने नई नीति में कई तरह की अड़चनों को दूर किया है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि ये नीति न सिर्फ तकनीक के क्षेत्र में बल्कि कृषि, खदान जैसे क्षेत्र में भी काफी मददगार साबित होगी। सरकार की मंशा इसकी मदद से देश 2030 तक ड्रोन हब के रूप में तैयार करना है।
नई ड्रोन नीति की खास बातें ( agriculture drone )
- सरकार ने अब इसकी मंजूरी के लिए फार्म की संख्या को कम कर दिया है। पहले जहां 25 थे वहीं अब इनकी संख्या महज पांच कर दी गई है।
- इसी तरह से इसकी फीस में भी कटौती की गई है।
- रिमोट पायलट लाइसेंस की फीस को 3000 से घटाकर महज सौ रुपये कर दिया गया है। ये दस वर्ष तक मान्य होगा।
- सिंगल विंडो पर ही इसकी सारी कार्यवाही पूरी कर दी जाएगी।
- येलो जोन की सीमा को भी घटा दिया गया है।
- माइक्रो ड्रोन के लिए किसी तरह के रिमोट लाइसंस की जरूरत नहीं होगी।
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