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एमएसपी पर खरीद: जायद मूंग व उड़द की इस भाव पर होगी खरीद, लक्ष्य जारी

Published - 10 Jun 2022

प्रदेश में किसानों से इस कीमत पर होगी खरीद, जानें, मूंग और उड़द का एमएसपी 

रबी फसल के बाद बहुत से किसान जायद यानि गर्मी के मौसम में उड़द और मूंग की फसल लेते हैं। इससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी होती है। इस बार मध्यप्रदेश में कई किसानों ने जायद मूंग और उड़द की खेती की है। इसे देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग व उड़द की खरीद का प्रस्ताव भेजा था जिसे स्वीकार कर लिया गया है। केंद्र की स्वीकृति के बाद अब राज्य में किसानों से जायद मूंग और उड़द की एमएसपी पर खरीद की जाएगी। बता दें कि मध्यप्रदेश में पिछली बार भी किसानों ने जायद मूंग की बुवाई की थी और इसका अच्छा उत्पादन प्राप्त हुआ था। इसी प्रकार इस बार भी उम्मीद है कि मूंग और उड़द का बेहतर उत्पादन होगा और इसकी एमएसपी पर विक्रय करने से किसानों को लाभ होगा। 

बैठक में मुख्यमंत्री ने ली उपार्जित मूंग और उड़द की जानकारी

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में हो रही मूंग एवं उड़द की खेती एवं उसकी खरीद को लेकर समीक्षा बैठक की। इसमें मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेश में उपार्जित मूंग तथा उड़द के उपयोग के संबंध में भी जानकारी ली। साथ ही प्रदेश में खरीफ सीजन की भी जानकारी ली। मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को राज्य के किसानों के द्वारा उत्पादित मूंग एवं उड़द की खरीदी के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था जो मंजूर कर लिया गया है। अब राज्य में उसके अनुसार मूंग और उड़द की खरीद की जा सकेगी। बता दें कि इस बार राज्य में किसानों ने जायद मूंग और उड़द की बुवाई की है। इससे उम्मीद है कि अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा।

इस वर्ष राज्य में कितनी होगी एमएसपी पर मूंग और उड़द की खरीद

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में जायद मूंग तथा उड़द की खरीदी के लिए केंद्र सरकार के लिए प्रस्ताव भेजा था, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूर कर लिया है। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश में मूंग तथा उड़द की खरीदी का लक्ष्य जारी कर दिया है। प्रदेश में वर्ष 2022-23 में 4 लाख 03 हजार मीट्रिक टन मूंग और 27 हजार टन उड़द के प्रस्तावित उपार्जन से संबंधित प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था। जिसमें केंद्र सरकार ने मूंग के लिए 2 लाख 25 हजार 525 मीट्रिक टन और उड़द के लिए 21 हजार 400 मीट्रिक टन का उपार्जन लक्ष्य दिया है। 

पिछले वर्ष कितनी हुई थी एमएसपी पर मूंग की खरीद

मध्यप्रदेश में पिछली बार भी किसानों को जायद मूंग का बहुत अच्छा उत्पादन प्राप्त हुआ था और राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से इसकी खरीद की थी। इससे उत्साहित होकर इस बार भी यहां बहुत से किसानों ने जायद मूंग की बुवाई की है। इसके अलावा किसानों ने उड़द भी बोया है। पिछली बार प्रदेश के किसानों से 301 केंद्रों पर 4 लाख 39 हजार 563 मीट्रिक टन मूंग की खरीद की गई थी। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के लक्ष्य से तीन गुना अधिक खरीदी की थी जिसमें कुल 1 लाख 85 हजार किसानों से मूंग की खरीद की गई थी।  

इस वर्ष मध्यप्रदेश में कितने हेक्टेयर में हुई है जायद मूंग की बुवाई

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले ने इस बार ग्रीष्म कालीन मूंग की बुवाई हुई है। इस बार यहां मूंग की बंपर पैदावार होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस बार इस जिले ने प्रदेश और देश में अधिक बोवनी का रिकार्ड बना लिया है। इस बार जिले में 2 लाख 32 हजार हेक्टेयर में मूंग की बुवाई हुई है। इस बार फसल अच्छी होने से पिछले वर्षों से अधिक पैदावार होने की संभावना है। बता दें कि पिछले वर्ष जिले के किसानों ने 10 अरब रुपए की मूंग बेची थी। इस बार उससे भी ज्यादा का लाभ होने की संभावना बन रही है। बता दें कि मध्यप्रदेश के  हरदा, होशंगाबाद, जबलपुर, ग्वालियर, भिंड, मुरेना, श्योपुर व नर्मदापुरम जिले में मूंग की खेती प्रमुखता से की जाती है। 

किसानों से किस भाव पर की जाएगी मूंग और उड़द की खरीद

केंद्र सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष रबी एवं खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है। इसी मूल्य पर केंद्र सरकार की एजेंसियों के माध्यम से विभिन्न राज्यों के किसानों से फसलों का उपार्जन किया जाता है। सरकार द्वारा पूर्व में घोषित मूंग एवं उड़द के समर्थन मूल्य पर ही गर्मी (जायद) सीजन की मूंग एवं उड़द की खरीदी की जाएगी जो मूंग के लिए 7,275 रुपए प्रति क्विंटल तथा उड़द के लिए 6,300 रुपए प्रति क्विंटल रहेगा। 

देश में जायद फसलों का रकबा बढ़कर 76.41 लाख हेक्टेयर हुआ

भारतीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से पिछले सप्ताह जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों में बताया गया है कि भारत में 76.41 लाख हेक्टेयर (2022) में गर्मी की फसल / जायद की जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार यह अंतिम रिपोर्ट किए गए आंकड़े है। पिछले वर्ष (2021) के अंतिम रकबे की तुलना में धान के रकबे में 3 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि दालों में 17 प्रतिशत, पोषक और मोटे अनाज में 10 प्रतिशत और तिलहन की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष (72.69 लाख हेक्टेयर) की तुलना में ग्रीष्मकालीन क्षेत्रों में 5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। 15 राज्यों के लिए टारगेटिंग राइस परती क्षेत्रों (टीआरएफए) कार्यक्रम के तहत गर्मियों में दलहन और तिलहन को बढ़ावा देने के लिए धान के रकबे में गिरावट को लक्षित और नियंत्रित किया गया था। जानकारी के लिए बता दें कि गर्मी की बुवाई को जायद का मौसम भी कहा जाता है और इसे रबी और खरीफ के बीच तीसरा कृषि मौसम माना जाता है। भारत में ग्रीष्मकालीन फसल की विभिन्न परिसीमाएं हैं जैसे कि बुआई के लिए कम समय, मौसम विशिष्ट किस्मों का प्रयोग के साथ ही सुनिश्चित सिंचाई की जरूरत। गर्मियों में खेती की परिसीमाओं के बावजूद, बढ़ा हुआ रकबा उत्साहजनक है।  

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