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गेहूं की खेती : किसानों की रूचि बढ़ी, बंपर उत्पादन का अनुमान

Published - 30 Nov 2020

गेहूं का उत्पादन : जानें, क्या है गेहूं की बुवाई दुगुनी होने का कारण, इससे किसानों को लाभ

इस समय देश के अधिकांश राज्यों में गेहूं की बुवाई का काम चल रहा है। इस बार किसान अन्य फसलों की अपेक्षा गेहूं उत्पादन में रूचि दिखा रहे हैं। किसानों का उत्साह देखते ही बनता है। मध्यप्रदेश में इस बार किसानों ने गेहूं की दुगुनी बुवाई की है और अभी बुवाई का काम जारी है।

 

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गेहूं की बुवाई में ज्यादा रुचि, चना का रकबा कम हुआ

कृषि मंत्रालय के पिछले सप्ताह प्राप्त आंकड़ों के अनुसार चना के रकबे में कमी आई है। जबकि इस बार किसानों ने चने के बदले गेहूं की बुवाई में ज्यादा रुचि दिखाई है। आंकड़ों के अनुसार चना का रकबा 22 फीसदी तक कम हुआ है। पिछले इस समय तक जहां देश में 61.91 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल केवल 48.35 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो पाई है। इसका कारण इस साल अनियमित मौसम बताया जा रहा है। तो वहीं कारोबारियों की माने तो इस साल चने का भाव अच्छा नहीं मिलने के कारण किसानों ने गेहूं की तरफ रुख किया है। हालांकि गेहूं की बुवाई भी पिछले साल के मुकाबले पीछे चल रही है। लेकिन कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं की बुवाई में किसान तेजी दिखा सकते हैं। क्योंकि इस साल मानसून बारिश अच्छी हुई है। जिससे गेहूं की फसल को लाभ मिल सकता है। फिलहाल इस साल अभी तक गेहूं का रकबा 96.77 लाख हैक्टेयर ही पहुंचा है। जो कि पिछले सत्र इस समय के मुकाबले लगभग तीन लाख हैक्टेयर कम है। इसके अलावा ऐसा माना जा रहा है कि गेहूं की सरकारी खरीद के कारण किसानों को ठीक दाम मिलने की उम्मीद रहती है जिसके फलस्वरूप वह बुवाई में उत्साह दिखा रहे हैं।

 


इस बार मध्यप्रदेश में गेहूं-चने की बुवाई दुगुनी

मध्यप्रदेश में गत वर्ष की तुलना में गेहूं-चने की बुवाई दोगुनी रफ्तार से की जा रही है। अब तक गेहूं की बोनी 33.27 लाख हेक्टेयर में हो गई हैं जबकि गत वर्ष इस अवधि में मात्र 14.99 लाख हेक्टेयर में बोनी हो पाई थी। वहीं चने की बोनी 16.70 लाख हेक्टेयर में हो गई है। जो गत वर्ष अब तक 10.96 लाख हेक्टेयर में हुई थी। राज्य में अब तक रबी फसलों की कुल बोनी 62.77 लाख हेक्टेयर में हो गई है जो लक्ष्य के विरूद्ध 45 फीसदी है। जबकि गत वर्ष इस अवधि में 34.46 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। 

कृषि विभाग के मुताबिक प्रदेश में रबी फसलों का सामान्य क्षेत्र 107.33 लाख हेक्टेयर है। इस वर्ष 136.97 लाख हेक्टेयर में रबी फसलें लेने का लक्ष्य रखा गया है। इसके विरूद्ध 18 नवम्बर तक 68.77 लाख हेक्टेयर में बोनी कर ली गई है। प्रदेश की प्रमुख रबी फसल गेहूं की बुवाई ने रफ्तार पकड़ ली है। 102.27 लाख हेक्टेयर लक्ष्य के विरूद्ध 33.27 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बोनी हे. गई है। वही चने की बोनी 19.27 लाख हेक्टेयर लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 16.70 लाख हे. में कर ली गई है। इसी प्रकार मटर 1.67 लाख हे. में, मसूर 3.95, सरसों 5.82 लाख हे. में बोई गई है। वहीं अलसी की बोनी 64 हजार एवं गन्ना 28 हजार हे. में बोया गया है। अब तक राज्य में जौ, मटर एवं अलसी लक्ष्य से अधिक क्षेत्र में बोई जा चुकी है। प्रदेश में अब तक कुल अनाज फसलें 33.71 लाख हे. में, दलहनी फसलें 22.32 लाख हेक्टेयर में एवं तिलहनी फसलें 6.46 लाख हेक्टेसी में बोई गई है।


गेहूं से बनी पहचान, देश के कई शहरों में है एमपी के गेहूं की मांग

अभी तक सोयाबीन उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रहा मध्यप्रदेश सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। मध्यप्रदेश अब उच्च कोटि के गेहूं के अधिकतम उत्पादन के लिए भी जाना जाने लगा है। मध्यप्रदेश के किसान अब वैज्ञानिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसमें कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) किसानों की पूरी मदद भी कर रहा है। यहां के किसानों ने देश में सबसे उच्च कोटि के गेहूं का उत्पादन किया है। राज्य के सैकड़ों किसानों के बीच मालवा क्षेत्र के उज्जैन जिले का एक किसान तो गेहूं उत्पादन के मामले में मिसाल बन गया। स्वाद और गुणवत्ता के कारण मध्यप्रदेश के शर्बती गेहूं की महानगरों में सबसे ज्यादा मांग है। इस किस्म के गेहूं की कीमत भी सबसे ज्यादा है। इसे मुम्बई, पुणे, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे महानगरों की थोक और खुदरा बाजारों में गोल्डेन या प्रीमियम गेहूं के नाम से जाना जाता है। वहीं, उत्तर भारत के शहरों और दिल्ली की बाजार में इसे एमपी का गेहूं नाम से भी जाना जाता है।


भारत में सर्वाधिक गेहूं उत्पादक राज्य है उत्तरप्रदेश

उत्तर प्रदेश भारत में सबसे ज्यादा गेहूं उगाने वाला राज्य है। और देश के कुल गेहूं उत्पादन का 34 प्रतिशत गेहूं यहां पैदा होता है। यह फसल उत्तर प्रदेश के पूर्वी, पश्चिमी और उत्तरी भाग में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के 96 लाख हेक्टेयर भूमि में इसकी पैदावार होती है। राज्य में गेहूं का कुल उत्पादन 300.010 लाख मीट्रिक टन है।


पिछले पांच सालों में देश में गेहूं उत्पादन की क्या है स्थिति

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश में वर्ष 2015-16 में 92287.53 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ। 2016-17 में 98518.22 मिलियन टन, 2017-18 में 99870 मिलियन टन, 2018-19 में 103596.2 मिलियन टन, 2019-20 में 107179.3 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन किया गया है। आंकड़ों को देखकर स्पष्ट हो जाता है कि देश में गेहूं का उत्पादन साल दर साल बढ़ता जा रहा है।


2019-20 में देश के किस राज्य में हुआ कितना उत्पादन

उत्तर प्रदेश में 32089.2, मध्य प्रदेश में 18583.1, पंजाब में 18206.5, हरियाणा में 12072, राजस्थान में 10573, बिहार में 6545, गुजरात 3261, महाराष्ट्र में 2076.1, उत्तराखंड में 1002.4, पश्चिम बंगाल में 582.8, हिमाचल प्रदेश में 564.6, झारखंड में 430.6, कर्नाटक में 207.9, छत्तीसगढ़ में 143.7, असम में 23.4, उड़ीसा में 0.2 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ।


हरियाणा चौथे नंबर पर, सबसे कम गेहूं उत्पादन असम व उड़ीसा में

देश में कुल 16 राज्यों में गेहूं उत्पादन होता है। कुल उत्पादन की बात की जाए तो हरियाणा चौथे नंबर पर आता है। जबकि प्रति हेक्टेयर गेहूं उत्पादन में पंजाब के बाद दूसरा स्थान है। वहीं सबसे कम गेहूं उत्पादन वाले राज्यों में असम व उड़ीसा शामिल है। यहां आंशिक ही गेहूं होता है।

 

 

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