क्या है एपीडा और इसकी निर्यात बढ़ाने में क्या रहेगी भूमिका

Share Product Published - 28 Aug 2020 by Tractor Junction

क्या है एपीडा और इसकी निर्यात बढ़ाने में क्या रहेगी भूमिका

क्या है एपीडा और इसकी निर्यात बढ़ाने में क्या रहेगी भूमिका

देश के कृषि निर्यात को बढ़ाने में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादन निर्यात विकास प्राधिकरण ( एपिडा ) राज्य सरकारों की मदद करेगा। इसके लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण एपीडा ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के हित में आपसी गतिविधियों के समन्वय के लिए एएफसी इंडिया लिमिटेड और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए है। इसका उद्देश्य कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के हित में आपसी गतिविधियों में तालमेल बनाना है, ताकि पारस्परिक रूप से काम करने में विशेषज्ञता का उपयोग हो और हितधारकों को बेहतर मूल्य मिल सके।

 

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क्या है एपीडा

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) संसद के एक अधिनियम और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन स्थापित एक प्राधिकरण है। इसे फल, सब्जियों और उनके उत्पाद मांस और मांस उत्पाद, पॉल्ट्री और पॉल्ट्री उत्पाद, डेयरी उत्पाद, कन्फेक्शनरी, बिस्कुट और बेकरी उत्पाद, शहद, गुड़ और चीनी उत्पाद, कोको और इसके उत्पाद, सभी प्रकार के चॉकलेट, मादक और गैर-मादक पेय, अनाज और अनाज उत्पाद, मूंगफली और अखरोट, अचार, पापड़ और चटनी, ग्वार गम, फूल और फूल उत्पाद, हर्बल और औषधीय पौधे जैसे उत्पादों के निर्यात संवर्धन और विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। इसके अलावा इस पर चीनी के आयात की निगरानी की जिम्मेदारी है।

 

 

एपीडा की कृषि विकास में भूमिका

एपीडा, हितधारकों के क्षमता-निर्माण के लिए विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवर और विशिष्ट विशेषज्ञता वाले संगठनों और संस्थानों के साथ तालमेल के लिए सहयोगी दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और कृषि तथा इसके निर्यात को बढ़ाने के लिए समाधान प्रदान कर रहा है। यह भारत सरकार द्वारा घोषित कृषि निर्यात नीति के उद्देश्यों के अनुरूप है। कृषि निर्यात नीति का निर्माण कृषि निर्यात उन्मुख उत्पादन बढ़ाने, निर्यात संवर्धन, किसान को बेहतर मूल्य की प्राप्ति और भारत सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों में तालमेल स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया था।

यह किसान केन्द्रित दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसमें स्रोत पर मूल्यवर्धन के माध्यम से बेहतर आय की प्राप्ति सुनिश्चित करना तथा मूल्य-श्रृंखला में नुकसान को कम करने में सहायता प्रदान करना शामिल है।

इसलिए नीति, देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में उत्पाद विशिष्ट समूहों को विकसित करने के दृष्टिकोण को अपनाने का सुझाव देती है ताकि आपूर्ति से संबंधित विभिन्न मुद्दों जैसे मिट्टी पोषक तत्व प्रबंधन, उच्च उत्पादकता, बाजार उन्मुख फसल-किस्म को अपनाना, बेहतर कृषि पद्धतियों का उपयोग आदि से निपटने में मदद मिल सके।

 

26 में से 21 राज्यों में निगरानी समिति का हुआ गठन

एईपी के कार्यान्वयन के लिए एपीडा राज्य सरकारों के साथ लगातार संपर्क में है। महाराष्ट्र, यूपी, केरल, नगालैंड, तमिलनाडु, असम, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर और सिक्किम राज्यों ने राज्य-विशिष्ट कार्य योजना को अंतिम रूप दे दिया है, जबकि अन्य राज्यों की कार्य योजनाएँ अंतिम रूप के अलग-अलग चरणों में हैं। 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों ने नोडल एजेंसियों को नामित कर दिया है। राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय निगरानी समितियों का गठन 21 राज्यों में किया जा चुका है।

 

20 क्लस्टर स्तरीय समितियों की गठित

पंजाब के क्लस्टर जिले व यू.पी. (दो अलग-अलग जिले) में आलू , राजस्थान में ईसबगोल, महाराष्ट्र में संतरा, अनार, अंगूर, केला (3 जिले), तमिलनाडु व केरल में केला, उत्तर प्रदेश में आम, गुजरात व यूपी में डेयरी उत्पाद, कर्नाटक में गुलाब व प्याज, यूपी में ताजी सब्जियां, मध्य प्रदेश में संतरा और गुजरात (2 जिलों) में आलू। हितधारकों के जागरूक बनाने और आवश्यक हस्तक्षेपों पर चर्चा के लिए क्लस्टरों में दो दौर की बैठकें आयोजित की गई हैं। इस पृष्ठभूमि में एपीडा ने एएफसी इंडिया लिमिटेड और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) जैसे संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।  

 

एएफसी इंडिया लिमिटेड की क्या रहेगी निर्यात बढ़ाने में भूमिका

एएफसी इंडिया लिमिटेड को सरकारी संगठन माना जाता है। 1968 में स्थापित एएफसी इंडिया लिमिटेड, वाणिज्यिक बैंकों, नाबार्ड और एक्जिम बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाला संगठन है। यह भारत में कृषि, ग्रामीण विकास और अन्य रणनीतिक सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों के लिए परामर्श, नीति सलाहकार और कार्यान्वयन सहायता प्रदान करने वाला एक बहु-विषयक विकास संगठन है।

 

सहयोग के क्षेत्र

•    एएफसी इंडिया लिमिटेड जैविक उत्पादन प्रणाली के साथ-साथ रासायनिक/अवशेष मुक्त उत्पादन प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप की आवश्यकता की पहचान करेगा व इन्हें पेश करेगा और साथ ही साथ विभिन्न फसलों/फलों और सब्जियों के वर्तमान प्रति इकाई क्षेत्र उत्पादन स्तर को बनाए रखेगा/बढ़ाएगा।
•    अंतर्राष्ट्रीय बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप व एपीडा के दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हुए एएफसी साझा प्रसंस्करण केंद्रों को विकसित करने के लिए सुविधा और समर्थन प्रदान करेगा।
•    एएफसी, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला प्रणाली को प्रभावी ढंग से समर्थन प्रदान करने का प्रयास करेगा और शुरू में वाणिज्यिक क्षमता-निर्माण के लिए आवश्यक मदद करेगा, जब तक ये क्लस्टर और मूल्य श्रृंखला आत्मनिर्भर नहीं हो जाते हैं।
•    एएफसी, कृषि निर्यात नीति के तहत अधिसूचित निर्यात केन्द्रित क्लस्टर्स तथा एपीडा द्वारा परियोजना मोड में सुझाए गए अन्य क्लस्टर में सभी गतिविधियों को जमीनी स्तर पर लागू करेगा और इसके लिए केंद्र व राज्य प्रायोजित कार्यक्रमों के अंतर्गत वर्तमान में उपलब्ध सब्सिडी की मांग करेगा।
•    सभी हितधारकों (किसान समेत) के लिए उत्पादन-पूर्व, उत्पादन, फसल तैयारी के बाद, प्रारंभिक प्रसंस्करण, द्वितीयक प्रसंस्करण और परिवहन/वितरण से सम्बंधित दिशानिर्देश विकसित करने के लिए एपीडा, एएफसी को प्रोत्साहित करेगा, ताकि अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन किया जा सके।
•    एपीडा द्वारा पहचाने गए क्लस्टर के विकास के लिए एएफसी कार्य करेगा और इसके लिए विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं के समन्वय से संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में विभिन्न परियोजनाओं को लागू करेगा।

 

 

एनसीयूआई निर्यात बढ़ाने में कैसे करेगा मदद

एनसीयूआई, बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत है और भारत के सहकारी आंदोलन का शीर्ष संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देना और विकसित करना, सहकारी क्षेत्र के विस्तार के लिए लोगों को शिक्षित करना व मार्गदर्शन प्रदान करना एवं सहकारी सिद्धांतों के अनुसार सहकारी राय के प्रतिपादक के रूप में कार्य करना है।

 

सहयोग के क्षेत्र

•    किसानों को निर्यात के अवसरों का लाभ प्रदान करके सरकार द्वारा कृषि निर्यात नीति (ए ई पी) में निर्धारित किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मिलकर काम करना।

•    कृषि-उपज की गुणवत्ता में सुधार और किसान को बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए कृषि उत्पादन में संलग्न सहकारी समितियों के साथ काम करना। एपीडा, एनसीयूआई द्वारा पहचाने गए और प्रशिक्षित सहकारी समितियों को निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा।

•    एपीडा एनसीयूआई द्वारा पहचान की गई सहकारी समितियों को कृषि-उपज, जैविक उत्पादन/कृषि भूमि से सम्बंधित आवश्यक प्रमाणपत्रों की सुविधा प्रदान करेगा।

•    क्षेत्रीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कार्यशालाओं, विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों, और कौशल विकास कार्यक्रमों का आयोजन करके कृषि-प्रसंस्करण के क्षेत्र में सहकारी समितियों / एसएचजी की क्षमता को विकसित करने की दिशा में काम करना।   

•    भारतीय और वैश्विक बाजारों में कृषि उत्पादों के प्रदर्शन के लिए साथ काम करना। देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनियों / व्यापार मेलों/बी 2 बी बैठकों का आयोजन करके कृषि-उत्पाद/प्रसंस्करण से सम्बंधित सहकारी समितियों द्वारा उत्पादित / प्रस्तुत किए जा रहे उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन करना। प्रदर्शनियों/व्यापार मेलों / बी2बी बैठकों को क्षेत्रीय/राज्य / राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन के सम्बन्ध में दोनों पक्ष मिलकर निर्णय लेंगे।

•    कृषि-उत्पादन / प्रसंस्करण सहकारी समितियों की एक राष्ट्र-व्यापी निर्देशिका तैयार करना।

 

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