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कृषि आधारित उद्योग सब्सिडी योजना क्या है : बिहार राज्य उद्यानिकी उत्पाद विकास कार्यक्रम

Published - 25 Apr 2020

किसान अब नहीं बनेगा मजदूर, लगाएगा खुद का उद्योग

ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है। कोरोना (कोविड-19) वायरस लॉकडाउन में देश अगर सही दिशा में चल रहा है तो उसका श्रेय सिर्फ किसान को ही दिया जा सकता है। लॉकडाउन में देश के तमाम उद्योग-धंधे ठप है। लोगों की आमदनी का जरिया थमा हुआ है। ऐसे में सिर्फ किसानों के उत्पाद ही आमजन को सुलभता से मिल रहे हैं और देश कोरोना से जीत के लिए जंग लड़ रहा है। कोरोना संक्रमण काल में शहरों में श्रमिक बनकर जीवन यापन करने वाले लोग अपने-अपने गांवों में पहुंच चुके हैं। ये श्रमिक मूल रूप से किसान ही हैं जो खेती में मुनाफा नहीं होने पर शहरों में पलायन कर मजदूरी के लिए मजबूर हुए थे। अब देश व प्रदेशों की सरकारें समझ चुकी है ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाकर ही देश को ज्यादा सशक्त किया जा सकता है। सरकारों ने अब लॉकडाउन के चलते रोजगार गंवा चुके युवाओं के लिए ग्रामीण इलाकों में कृषि आधारित लघु उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित करने का फैसला लिया है। तो आज हम बात करते हैं कृषि आधारित उद्योग पर सब्सिडी योजना की।

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1

क्या है कृषि आधारित उद्योग पर सब्सिडी की योजना

सरकार का प्रयास है कि खेती से इस प्रकार उत्पादन किया जा रहा है कि कम भूमि में अधिक उत्पादन बाजार की मांग के अनुसार रहे। साथ ही कृषि में अधिक से अधिक रोजगार का सृजन किया जा सके। इसके लिए सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को रोजगार के लिए प्रोत्साहित कर रही है। बिहार सरकार ने ग्रामीण इलाकों में कृषि आधारित लघु उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित करने का फैसला लिया है। खास बात है कि बिहार सरकार कृषि आधारित उद्योग में लगने वाली लागत पर 90 प्रतिशत की सब्सिडी देगी। बिहार सरकार ने जिले के अनुसार उत्पादन पर जोर दिया है। इसके लिए प्रत्येक जिले में उद्यानिकी के अंतर्गत उत्पादन की सूची जारी कर दी है तथा उत्पादित कृषि सामग्री की प्रोसेसिंग व पैकेजिंग तैयार करके बाजार में भेजा जा सके।

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कृषि आधारित उद्योग पर सब्सिडी योजना की खास बातें

  • कृषि आधारित उद्योग पर सब्सिडी योजना वर्ष 2019-20 से कार्यान्वित की जा रही है। 
  • इस योजना की अवधि 5 वर्ष की होगी तथा इन 5 वर्षों में इस योजना के अंतर्गत 1264.04876 लाख रुपए व्यय किए जाएंगे। 
  • बिहार के कृषि मंत्री ने राज्य में कृषि आधारित उद्योग के लिए सूची जारी कर दी है। यह सूची जिला आधारित उद्यानिकी पर आधारित है।


कृषि आधारित उद्योग पर सब्सिडी योजना में शामिल जिले

बिहार राज्य उद्यानिक उत्पादन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत भागलपुर, दरभंगा, पटना एवं सहरसा में आम, रोहतास में टमाटर, अररिया, समस्तीपुर में हरी मिर्च, पूर्वी चंपारण में लहसुन, पश्चिमी चंपारण में हल्दी, भोजपुर में मटर, किशनगंज में अनानास, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी तथा शिवहर में लीची कटिहार, खगडिय़ा में केला, शेखपुरा, बक्सर में प्याज, नालंदा में आलू, कैमूर में अमरुद, वैशाली में मधु व गया में पपीता की फसल के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाएगा।

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कृषि आधारित उद्योग पर सब्सिडी योजना की पात्रता

  • योजना के अनुसार एक इकाई की स्थापना के लिए अधिकतम लागत 10 लाख रुपए है। इस पर राज्य सरकार 90 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है जो 9 लाख रुपए है। 
  • यहां पर इस बात का ध्यान रखना होगा कि सभी को 10 लाख रुपए नहीं दिया जाएगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप की प्रोजेक्ट कितना का है। प्रोजेक्ट का 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।
  • संबंधित जिलों के किसानों को कृषि उद्योग के अनुसार आवेदन करना होगा। इसके बाद चिन्हित फसलों के पूर्व से आच्छदित एवं उपलब्ध क्षेत्रों को क्लस्टर के रूप में चिन्हित किया जाएगा। 
  • एक क्लस्टर में 50 हेक्टेयर रकबा को सम्मिलित किया जाएगा। चिन्हित क्लस्टर में सम्मिलित सभी कृषकों को विभिन्न एक्टिविटी के लिए प्रशिक्षण कराया जाएगा। 
  • चिन्हित क्लस्टर को उत्तम कृषि क्रियाओं से लाभन्वित एवं आच्छदित कर उद्यानिक फसलों के गुणवत्ता में वृद्धि करायी जाएगी। 

 

कृषि आधारित उद्योग पर सब्सिडी योजना का लाभ

  • योजना के तहत समूह के लिए चयनित कृषकों से अंशदान के रूप में न्यूनतम 5,000 रुपए प्रति कृषक समूह के खाते में जमा कराया जाएगा। 
  • सरकार के तरफ से समूह के खाते में 5 लाख रुपए मैचिंग ग्राट दिया जाएगा। 
  • समूह के खाता में अंशदान यदि 5 लाख रुपए से कम होता है तो मैचिंग ग्रांट उसी के अनुसार दिया जाएगा। 
  • इस योजना के तहत प्रथम वर्ष में समूह के गठन के उपरांत सभी ढांचागत सुविधा एवं मशीन आदि की संस्थापना हेतु राशि उपलब्ध कराई जाएगी। 
  • द्वितीय व तृतीय वर्ष में उत्तम कृषि क्रियाएं, पैकेजिंग मेटेरियल एवं उत्तम कियाएं हेतु ही मात्र राशि उपलब्ध कराई जाएगी। 
  • समूह के प्रस्ताव के आलोक में चतुर्थ एवं पंचम वर्ष में यथा आवश्यक मरम्मती एवं आकस्मिकता हेतु राशि उपलब्ध करायी जायेगी। 
  • कृषि आधारित उद्योग में इन सभी उत्पादों को शामिल किया गया है। 
  • राज्य में इस योजना के कार्यान्वयन से जिला विशेष में उपजे वाले फसलों को प्रोत्साहन मिलेगा, बाजार की मांग के अनुरूप विभिन्न उत्पादन यथा पल्प, जूस, जेम, जेली, स्क्वैश एवं फ्लेक्स, पाउडर आदि तैयार कराया जाएगा।
  • साथ ही उद्यमियों को सीधे क्लस्टर से मार्केटिंग हेतु लिंक कराया जाएगा। 


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