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मानसून में मुनाफा देगी ये 10 सब्जियां : जानें संपूर्ण जानकारी

Published - 24 Jun 2020

जल्दी पकने वाली किस्मों का करे चयन, उन्नत किस्में अपनाएं

देश के कई हिस्सों में मानसून ने दस्तक दे दी है। और इस बार मौसम विज्ञानियों ने मानसून के अच्छा रहने के संकेत भी दिए हैं। इस समय देश के कई भागों में मानसून पूर्व की बारिश भी हो रही है। इसे देखते हुए किसानों ने खरीफ की फसल की बुवाई करना शुरू कर दिया है। ऐसे में किसान इन खरीफ फसलों के साथ सब्जियां भी उगाए तो उसे भरपूर फायदा मिलेगा। बारिश का पानी उपलब्ध होने के कारण अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। खरीफ की फसल की सिंचाई के साथ ही इसकी सिंचाई भी हो जाएगी। सिंचाई के लिए पानी, वर्षा जल के रूप में उपलब्ध होने से सिंचाई कार्य पर खर्च होने वाली बिजली की बचत होगी और वर्षा के जल का समुचित उपयोग भी हो सकेगा। आज हम आपको उन 10 सब्जियों के बारें बताएंगे जिनकी बाजार में मांग बनी रहती है जिन्हें उगाकर किसान भाई अच्छी कमाई कर सकते हैं। साथ ही इन सब्जियों की उन्नत किस्मों की जानकारी भी देंगे जिनसे कम समय में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके।

 

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खीरा -

खीरा की बाजार में मांग हर मौसम में रहती है। बाजार में खीरे की अधिक मांग बने रहने के कारण खीरे की खेती किसान भाइयों के लिए बहुत ही लाभदायक है। खीरे का उपयोग खाने के साथ सलाद के रूप में बढ़ता ही जा रहा है, जिससे बाजार में इसकी कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। इसके साथ ही खीरे की खेती रेतीली भूमि में अच्छी होती ऐसे में किसान भाइयों के पास जो ऐसी भूमि है, जिसमें दूसरी फसलों का उत्पादन अच्छा नहीं होता है उसी भूमि में खीरे की खेती से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। यह हर प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है। जिनमें जल निकास का सही रास्ता हो। अच्छी उपज के लिए जीवांश पदार्थयुक्त दोमट भूमि सबसे अच्छी होती है। इसकी फसल जायद और वर्षा में ली जा सकती है। 

उन्नत किस्में :  खीरे का अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्मों में पंजाब नवीन, हिमांगी, जापानी लॉन्ग ग्रीन, जोवईंट सेट, पूना खीरा, पूसा संयोग, शीतल, फ़ाईन सेट, स्टेट 8 , खीरा 90, खीरा 75, हाईब्रिड1 व हाईब्रिड-2, कल्यानपुर हरा खीरा इत्यादि प्रमुख है। बता दें किस्मों का चयन अपने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को ध्यान मेें रखकर किया जाना चाहिए।

 

 

लोबिया- 

लोबिया वर्षा ऋतु में उगाई जाने वाली फसल है। इस फसल मेें मक्का की उपेक्षा सूखा तथा गर्मी को सहन करने की क्षमता अधिक होती है। इसकी खेती के लिए कई उत्तम किस्में मौजूद है जिनका चुनाव संबंधति क्षेत्र की स्थिति व जलवायु को देखकर करना चाहिए। 

उन्नत किस्में :   लोबिया की उत्तम किस्मों में टाइप-2, पूसा बरसानी, पूसा फाल्गुनी, पूसा दो फसली, पूसा ऋतुराज, पूसा कोमल, सी-152, 68 एफएम, अम्बा, स्वर्ण शामिल हैं। इसके अलावा इसकी चारे के लिए उपयुक्त किस्मों में रशियन जोइंट, 10 सिरसा, यूपीसी-278, यूपीसी-5286, के.-397, जवाहर-1 लोबिया, जवाहर लोबिया-21 प्रमुख रूप से उपयोगी है। 

 

चौलाई- 

चौलाई की खेती के लिए अर्ध शुष्क वातावरण को उपयोगी माना जाता हैं। भारत में चौलाई की खेती लगभग सभी जगह पर की जा सकती हैं। इसके पौधों को विकास करने के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती हैं। चौलाई को गर्मी और बरसात दोनों मौसम में उगाया जा सकता हैं। 

उन्नत किस्में : चौलाई की उन्नत किस्मों में कपिलासा, आर एम ए 4, छोटी चौलाई, बड़ी चौलाई, अन्नपूर्णा, सुवर्णा, पूसा लाल, गुजरती अमरेन्थ 2 है। इसके अलावा और भी कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं जिन्हें काफी जगहों अलग-अलग मौसम के आधार पर उगाया जाता है। इसमें पी आर ए 1, मोरपंखी, आर एम ए 7, पूसा किरण, आई सी 35407, पूसा कीर्ति और वी एल चुआ 44 जैसी कई किस्में शामिल हैं।

 

ककड़ी-

कद्दू वर्गीय सब्जियों में ककड़ी का बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह कुकरबिटेसी परिवार से संबंधित है एवं इसका वानस्पतिक नाम कुकमिस मेलो है। इसे मुख्य रूप से कच्ची सलाद के रूप में खाया जाता है। गर्मियों में इसके सेवन से ठंड की अनुभूति होती है और लू लगने की संभावना भी कम होती है। ककड़ी की खेती हमारे देश में लगभग हर क्षेत्र में की जाती है। यदि ककड़ी की खेती में उन्नत बीजों के साथ खाद, उर्वरक एवं सिंचाई का ध्यान रखा जाए तो इसकी फसल से अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

 उन्नत किस्में : ककड़ी की उन्नत किस्मों में अर्का शीतल ऐसी किस्म है जिसके फल काफी कोमल तथा हल्के हरे रंग के होते हैं। फल लम्बाई में लगभग 22 सेंटिमीटर और भार में 100 ग्राम तक के होते हैं। इस किस्म में तीखापन (कडुवाहट) बिल्कुल नहीं होती है। इसकी औसत उत्पादन क्षमता लगभग 200 किवंटल प्रति हैक्टेयर होती है। इसकी दूसरी किस्म लखनऊ अर्ली है। यह किस्म लखनऊ और उत्तरी भारत के क्षेत्रों में बहुत प्रचलित है। इसके फल मुलायम, लम्बे और गूदेदार होते हैं। इसके अलावा ककड़ी अन्य किस्में में कुछ स्थानीय किस्में भी है जो नसदार, नस रहित लम्बा हरा और सिक्किम ककड़ी के नाम से जानी जाती हैं।

 

तुरई- 

यह बेल पर लगने वाली सब्जी होती है। इसकी सब्जी की भारत में छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों में बहुत मांग है। क्योंकि यह अनेक प्रोटीनों के साथ खाने में भी स्वादिष्ट होती है, जिसे हर मनुष्य इसकी सब्जी को पसंद करता है। इसकी खेती हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, किन्तु उचित जल निकास धारण क्षमता वाली जीवांश युक्त हलकी दोमट भूमि इसकी सफल खेती के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। वैसे उदासीन पी एच मान वाली मिट्टी इसके लिए अच्छी रहती है। नदियों के किनारे वाली भूमि भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त रहती है, कुछ अम्लीय भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है। 

उन्नत किस्में : तुरई की जल्दी तैयार होने व अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में पंजाब सदाबहार, पूसा नसदार,  सरपूतिया, एमए-11, कोयम्बूर 1, कोयम्बूर 2 व पी के एम 1 आदि हैं।

 

फूलगोभी-

फूलगोभी एक लोकप्रिय सब्जी है और क्रूसिफेरस परिवार से संबंधित है और यह कैंसर की रोकथाम के लिए प्रयोग की जाती है। यह सब्जी दिल की ताकत को बढ़ाती है। यह शरीर का कोलैस्ट्रोल भी कम करती हैं। फूल गोभी बीजने वाले मुख्य राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आसाम, हरियाणा और महाराष्ट्र हैं। यह फसल रेतली दोमट से चिकनी किसी भी तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती हैं। देर से बीजने वाली किस्मों के लिए चिकनी दोमट मिट्टी को पहल दी जाती है। जल्दी पकने वाली के लिए रेतली दोमट का प्रयोग करें। मिट्टी की पी एच 6-7 होनी चाहिए। मिट्टी की पी एच बढ़ाने के लिए उसमें चूना डाला जा सकता है। 

उन्नत किस्में : फूलगोभी का अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्मों में पूसा सनोबाल 1, पूसा सनोबाल के-1, स्नोबाल 16 प्रमुख है। इसके अलावा पंत शुभ्रा, अर्ली कुंवारी, पूसा दीपाली भी अच्छा उत्पादन देने वाली किस्में हैं।

 

करेला- 

करेला अपने औषधीय गुणों के कारण सब्जियों में अपना एक महत्वपूर्ण स्थानर रखता है। करेले के कच्चे फलों का रस मधुमेह (शुगर) के रोगियों के लिए बहुत उपयोगी है। वहीं उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) के रोगियों के लिए भी लाभदायक है। इसमें उपस्थिति कडुवाहट (मोमोर्डसीन) खून को साफ करने में बेदह उपयोगी है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए गर्म और आद्र्रता वाले क्षेत्र क्षेत्र सर्वोत्तम होते है। अत: इसकी फसल खरीफ व जायद दोनों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। 

उन्नत किस्में : इसकी अच्छी पैदावार देने वाली उन्नत किस्मों में पूसा दो मौसमी, पूसा विशेष, अर्का हरित, कल्यानपुर बारह मासी शामिल है।

 

भिंड़ी-

रोजाना के खाने में भिंडी की सब्जी को सब से ज्यादा पसंद किया जाता है। इसकी तरी वाली सब्जी के साथ-साथ खुश्क सब्जी भी ज्यादातर लोगों की मनपसंद होती है और कलौंजी वाली भरवां भिंडियों की तो बात ही अलग है। कुल मिला कर शादी जैसे समारोहों तक की शान बनने वाली भिंडी की मांग 12 महीने बनी रहती है। इस सदाबहार सब्जी की खेती सभी प्रकार की जमीन में की जा सकती है, मगर अच्छे जलनिकास वाली दोमट मिट्टी व जैविक खादों से भरपूर खेत इसके लिए ज्यादा बढिय़ा रहते हैं। वहीं इसकी खेती हल्की अम्लीय जमीन में भी की जा सकती है। 

उन्नत किस्में :  इसकी उन्नत किस्मों में पूसा 4, परभनी क्रांति, पंजाब-7, पूसा सावनी, हिसार उन्नत, हिसार नवीन, एचबीएच-142, पंजाब-8 प्रमुख रूप से उपयोगी हैं। 

 

लौकी-

सब्जियों में घीया (लौकी) एक कद्दूवर्गीय महत्वपूर्ण सब्जी है। घीया (लौकी) को विभिन्न प्रकार के व्यंजन जैसे- रायता, कोफ्ता, हलवा, खीर इत्यादि बनाने के लिए प्रयोग किया जाता हैं। यह कब्ज को कम करने, पेट को साफ करने, खांसी या बलगम दूर करने में अत्यन्त लाभकारी है। इसके मुलायम फलों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खाद्य रेशा, खनिज लवण के अलावा प्रचुर मात्रा में अनेकों विटामिन पाये जाते हैं। निर्यात की दृष्टि से सब्जियों में घीया (लौकी) अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

उन्नत किस्में :  इसकी उन्नत किस्मों में काशी गंगा किस्म के प्रत्येक फल का औसत भार 800 से 900 ग्राम होता है। गर्मी के मौसम में 50 दिनों बाद तथा बरसात में 55 दिनों बाद फलों की प्रथम तुड़ाई की जा सकती है। इस घीया (लौकी) प्रजाति की औसत उत्पादन क्षमता 44 टन प्रति हेक्टेयर है। वहीं पूसा समर प्रोलिफिक राउंड किस्म की पैदावार 200 से 250 किवंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा इसकी अन्य उन्नत किस्मों में काशी बहार, पूसा नवीन, अर्को बहार, नरेन्द्र रश्मि, पूसा सन्देश, पूसा कोमल,  पूसा हाइब्रिड 3, उत्तरा आदि शामिल है जो अच्छा उत्पादन देती है।

 

 

टमाटर-

टमाटर कई सब्जियों के साथ मिलाकर बनाया जाता है। टमाटर में पर्याप्त मात्रा में कैरोटिन नामक वर्णक होता है जो शरीर में खून बनाने में मदद करता है। लोग इसको कई तरीके से उपयोग करते हैं। ये सलाद के रूप में कच्चा खाया जाता है। इसका सूप पीना लोग काफी पंसद करते हैं। इससे चटनी, सॉस, जैली आदि बनाई बनती है जिसकी बारहों महीने बाजार में मांग बनी रहती है। इसकी खेती बारहों महीने की जा सकती है। 

उन्नत किस्में : इसकी सामान्य किस्मों में पूसा गौरव, पूसा शीतल, सालेनागोला, साले नबड़ा, वी.एल.टमाटर-1, आजाद टी-2, अर्का विकास, अर्का सौरभ,पंत टी -3 प्रमुख रूप से शामिल है। वहीं संकर किस्मों में रुपाली, नवीन, अविनाश-2, पूसा हाइब्रिड-4, मनीशा, विशाली, पूसा हाइब्रिड-2, रक्षिता, डी.आर.एल-304, एन.एस. 852, अर्कारक्षक, अर्का सम्राट व अर्का अनन्या हैं।

 

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