Published - 28 May 2020
ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का स्वागत है। आज हम बात करते हैं देश के किसानों की प्रमुख मांग में शामिल संपूर्ण कर्जमाफी और अन्य समस्याओं की। देश में २७ मई को किसान बचाओ-देश बचाओ दिवस के मौके पर देशभर के किसानों ने अपने गांव, कस्बों व शहरों में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी और देश के किसान और मजदूर को कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए 10 हजार रुपए महीना देने की मांग सरकार से की गई। किसानों ने अपनी सभी मांगों और समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र सरकार को ज्ञापन भी भेजा। देशभर में हुए प्रदर्शन के बाद किसानों के हक की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचेगी ऐसा किसानों का मानना है। अब यह भविष्य के गर्भ में हैं कि किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी और अन्य मांगों पर सरकार की क्या नीतियां रहती हैं।
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देश की 50 फीसदी से अधिक आबादी खेती से जुड़ी हुई है। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में किसानों की वजह से देश के सभी नागरिकों को खाद्यान्न सामग्री सहजता से उपलब्ध हुई। लेकिन किसान लॉकडाउन के कारण दूध, फल, फूल और सब्जियां नहीं बेच पाए। किसानों को प्याज, टमाटर, केला और आम के साथ ही गेहूं, चना, सरसों आदि जिंसों की बिक्री मजबूरीवश औने-पौने दामों में करनी पड़ी। कोरोना लॉकडाउन में किसानों के आर्थिक हालात दयनीय हुए हैं। किसानों के हालातों पर सरकार ध्यान आकर्षित करने के लिए देशभर के करीब 300 किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (केआईकेएससीसी) ने किसान बचाओ-देश बचाओ के मौके पर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर किसानों की मांग मानने का अनुरोध किया है।
ज्ञापन में किसानों ने बताया कि सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु कानून व मंडी कानून समाप्त करने, ई-नाम, खेत की दहलीज से बड़े व्यापारियों व व्यवसायिक एजेंटों द्वारा फसलें खरीदने, ठेका खेती शुरु कराने, निजी भंडारण, शीत भंडारण, खाद्यान्न प्रसंस्करण और सप्लाई चेन, आदि में कॉर्पोरेट को बढ़ावा देने से किसानों की बची-खुची स्वतंत्रता भी समाप्त हो जाएगी। किसानों की इस बात को गम्भीरता से समझने की जरूरत है कि किसानों की अर्थव्यवस्था ने ही वित्तीय व आर्थिक संकट के दौरान भारत को कुछ हद तक बचाए रखा है। कोविड से लडऩे का सबसे बेहतरीन तरीका यही है कि देश के खेतों की अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता को सुधारा जाएं।
किसान बचाओ-देश बचाओ दिवस के अवसर पर 27 मई को करीब 300 किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने इस आंदोलन का आह्वान किया था। देश के 600 से ज्यादा जिलों में 10,000 से ज्यादा स्थानों पर ‘किसान बचाओ - देश बचाओ’ दिवस जोश पूर्वक मनाया गया। पंजाब, हरियाणा, हिमांचल, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरला, पांडुचेरी, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात इस आंदोलन के मुख्य केंद्र थे। वामपंथ से जुड़े किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं ने देशभर में इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरी ताकत झोंकी थी।
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