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आलू की स्मार्ट खेती : आधुनिक कृषि यंत्रों और विधियों का रखें ध्यान, कमाएं ज्यादा मुनाफा

Published - 08 May 2021

जानें, आलू की खेती में काम आने वाले कृषि यंत्रों के बारे में

विश्व में गेहूं, धान और मक्का के बाद आलू सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है। भारत में सबसे ज्यादा आलू का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। यहां देश के कुल उत्पादन का 35 प्रतिशत आलू पैदा होता है। उत्तर प्रदेश में करीब 6.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में आलू बोया जाता है। देश में यूपी के अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर होता है। परंपरागत खेती के मुकाबले किसान आलू की खेती से ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। आलू की खेती करने वाले उत्तर प्रदेश के जागरूक किसानों का मानना है कि आलू की फसल के अधिक उत्पादन के लिए अत्याधुनिक तकनीक को अपनाना बेहद जरुरी है। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको आलू की खेती की वैज्ञानिक विधि और आलू की खेती में काम आने वाले आधुनिक कृषि यंत्र महिंद्रा पोटैटो प्लांटर के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी, तो बने रहिए ट्रैक्टर जंक्शन के साथ।

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आलू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और भूमि

आलू की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। इस जलवायु में आलू का बेहतर उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश में आलू की खेती रबी के सीजन में होती है। इस समय दिन का तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 4-15 डिग्री सेल्सियस होता है। जो आलू की अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त माना जाता है। आलू की फसल विभिन्न प्रकार की भूमि, जिसका पी.एच. मान 6 से 8 के मध्य हो, उगाई जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट तथा दोमट उचित जल निकास की भूमि उपयुक्त होती है।


गर्मी के मौसम में गहरी जुताई 

आलू की खेती में अगर आपको अच्छा उत्पादन चाहिए तो खेत की जुताई का विशेष ध्यान रखना होगा। आलू के बंपर उत्पादन के लिए यूपी के किसान भाई गर्मी के मौसम में खेत की एक बेहद गहरी जुताई करते हैं। किसान खेत की जुताई में महिंद्रा ट्रैक्टर्स का अधिक उपयोग करते हैं। वहीं बुवाई के समय खेत की दो जुताई कल्टीवेटर से की जानी चाहिए। यहां किसान भाइयों को सही ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों का चुनाव करके काम करना चाहिए। ट्रैक्टर ऐसे होने चाहिए जो दमदार हो और शानदार माइलेज प्रदान करें। इससे खर्चे में बचत होती है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के आलू किसानों में महिंद्रा एक्सपी प्लस सीरीज के ट्रैक्टर्स पसंदीदा और भरोसेमंद ब्रांड है।


बुवाई का उन्नत तरीका

आलू की बुवाई का उन्नत और वैज्ञानिक तकनीक से किसानों को हमेशा फायदा पहुंचता है। उत्तरप्रदेश के किसान बुवाई से पहले खेत में पर्याप्त नमी नहीं होने पर अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में खेत को पलेवा करके गहरी जुताई करते हैं। गहराई में बुवाई के लिए ट्रैक्टर्स की हाइड्रोलिक की सटीकता बेहद जरुरी है। महिंद्रा एक्सपी प्लस ट्रैक्टर का mLift हाइड्रोलिक किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है। 

 

आलू के बीज का सही चयन और बीज शोधन का तरीका

किसी भी फसल की भरपूर पैदावार के लिए बीज का सही चयन सबसे महत्वपूर्ण घटक है। यूपी के किसान बुवाई के लिए  40 से 50 और 60 से 100 ग्राम के आलू का चयन करते हैं। किसान भाई आलू के बुवाई के पहले उपयुक्त बीजोपचार करते हैं। इसके लिए बुवाई के आलू को 15 दिन पहले कोल्ड स्टोरेज से निकाल लिया जाता है। इसके बाद बीज को 3 प्रतिशत बोटिक एसिड से आलू के बीज को उपचारित कर 15 दिनों के लिए छायादार स्थान पर रख देते हैं ताकि बीज में अंकुरण हो जाए। 


आलू की सिंचाई 

आलू के बेहतर उत्पादन के लिए नियमित अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। यूपी के किसान आलू की अच्छी पैदावार के लिए 7-10 बार सिंचाई करते हैं। यदि बुवाई पलेवा करके नहीं की गई है तो 2-3 दिन बाद एक हल्की सिंचाई कर देते हैं। जिससे खरपतवार 50 प्रतिशत से अधिक वृद्धि नहीं कर पाता है। इसके बाद पहली सिंचाई 8-10 दिन बाद करते हैं। तापमान में गिरावट या पाला पडऩे की स्थिति में भी वे सिंचाई कर देते हैं। इससे फसल को किसी तरह का नुकसान नहीं होता। वहीं सिंचाई के लिए आधुनिक तकनीक जैसे स्प्रिंकलर और ड्रिप का प्रयोग किया जाता है। इससे जहां पानी की 40-50 प्रतिशत की बचत होती है वहीं फसल की पैदावार में भी 10-12 प्रतिशत का इजाफा होता है।


आलू की उन्नत किस्में 

यूपी के जागरूक किसान मुख्यत: आलू की उन्नत और अधिक पैदावार देने वाली किस्मों की बुवाई करते हैं। इनमें कुफरी बहार, कुफरी आनंद, कुफरी बादशाह, कुफरी सिंदुरी, कुफरी सतलज, कुफरी लालिमा, कुफरी अरूण, कुफरी सदाबहार और कुफरी पुखराज आदि शामिल है। 

अगेती किस्म : कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी पुखराज, कुफरी सूर्या, कुफरी ख्याति, कुफरी बहार और कुफरी अशोकी।

पछेती किस्में : कुफरी सतलज, कुफरी बादशाह और कुफरी आनंद।

प्रोससिंग के लिए उन्नत किस्म : कुफरी सूर्या, कुफरी चिप्सोना-1, कुफरी चिप्सोना-3, कुफरी चिप्सोना-4 और कुफरी फ्राईसोना।


किसानों का मददगार महिंद्रा पोटैटो प्लांटर

 

भारत प्रति एकड़ आलू उत्पादन में अभी अन्य देशों से बहुत पीछे है। जहां विकसित देशों में आलू के उत्पादन के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों का प्रयोग किया जाता है, वहीं इस मामले में भारत अभी पीछे हैं। लेकिन देश की प्रमुख ट्रैक्टर व कृषि उपकरण निर्माता कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा का आलू प्लांटर किसानों का मददगार साबित हो रहा है। यह आलू बोने की एक सटीक मशीन है जिसे महिंद्रा ने वैश्विक पार्टनर डेल्फ के सहयोग से डिजाइन और विकसित किया है। 


महिंद्रा पोटैटो प्लांटर के खास फीचर्स / महिंद्रा आलू प्लांटर की विशेषताएं

  • महिंद्रा का आलू प्लांटर आलू के बीज की एक समान दूरी और गहराई पर बुआई करता है जिसके कारण उत्पादन अधिक से अधिक मिलता है।
  • इसकी पुलिंग पावर (खींचने की क्षमता) जबरदस्त है।
  • इसका हाई लेवल सिंगुलेशन आलू के बीज को खराब नहीं होने देता है। यह एक जगह पर एक ही बीज डालता है। इसके प्रयोग से आलू की गुणवत्तापूर्ण और अधिक पैदावार होती है।
  • महिंद्रा का आलू प्लांटर आलू की बुवाई के दौरान उस पर लकीरें बना देता है जिससे कंद को विकसित होने में मदद मिलती है।
  • प्लांटर का डिजाइन ऐसा है कि इसे आलू के बीज के मुताबिक एडजस्ट किया जा सकता है। जैसे सही या कटे आलू को सीधी रेखा या जिगजैग पद्धति से किस गहराई पर बुवाई करना है।
  • इसका मैकेनिकल वाइब्रेटर इस बात को सुनिश्चित करता है कि एक स्थान पर एक ही आलू की बुवाई हो। एडजस्टेबल रिडर्स आलू के कंद तक पर्याप्त हवा और प्रकाश पहुंचाने में मददगार साबित होता है। 
  • महिंद्रा आलू प्लांटनर का गहराई नियंत्रण पहिया आलू की उचित गहराई पर बुआई करता है। 20 से 60 मिमी साइज के आलू बीज को आसानी से बोया जा सकता है।
  • इसमें एक फर्टिलाइजर टैंक होता है जो बीज की बुवाई के दौरान उर्वरकों को आनुपातिक वितरण करता है।

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