Published - 28 Apr 2021 by Tractor Junction
कोरोना महामारी के इस दौर में देश के सामने दो चुनौतियां है एक तो कोरोना महामारी से निपटने की और दूसरी खाद्यान्न की आपूर्ति। कोरोना की महामारी से निपटने के लिए सरकार और डाक्टर्स आदि पूरी कोशिश कर रहे हैं तो दूसरी ओर खाद्यान्न आपूर्ति का जिम्मा किसानों ने संभाल रखा है। इस बार भी देश में किसानों गेहूं की अच्छी पैदावार की खबरें मीडिया में आईं। वहीं इसकी खरीद को लेकर सरकार ने किसानों के हित में फैसले लिये हैं। हाल ही में कोरोना काल में जीवन के साथ जीविका बचाने में जुटे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के हित में बड़ा फैसला किया है। उनके निर्देश पर किसानों की सहूलियत के लिए गेहूं क्रय की पूर्व में तय व्यवस्था में व्यापक बदलाव किया गया है। किसान अब किसी भी सरकारी क्रय केंद्र पर अपना गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकेंगे। इसके लिए नजदीकी क्रय केंद्र से किसान के राजस्व ग्राम की सम्बद्धता के आदेश को खारिज कर दिया गया है। नए फैसले से किसानों को अपनी सुविधानुसार क्रय केंद्र पर जाकर अपनी उपज बेच सकेंगे। सरकार का यह फैसला किसानों को राहत देने वाला है।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अपर आयुक्त खाद्य व रसद विभाग ने किसी भी क्रय केंद्र पर किसान के गेहूं बेचने के संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। इस नए आदेश में बताया गया है कि मंडी स्थल के बाहर स्थापित क्रय केंद्रों से राजस्व ग्रामों के संबद्धिकरण की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। हालांकि पूर्व में राजस्व ग्रामों के संबद्धिकरण की अनिवार्यता वाले आदेश में भी इस बात का ख्याल रखा गया था कि किसानों को अपना गेहूं बेचने के लिए अधिक दूरी न तय करनी पड़े। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते किसानों को और सहूलियत देने के लिए नई व्यवस्था बनाई गई है। इससे किसान को जनपद के किसी भी क्रय केंद्र पर जाकर सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (1975 रुपये प्रति क्विंटल) गेहूं बेचने की छूट मिल गई है।
मंडी स्थल पर किसान पहले की तरह अपना गेहूं बेचने को स्वतंत्र रहेंगे। अपर आयुक्त खाद्य व रसद विभाग के आदेश के मुताबिक, किसी गांव के किसान अपने गांव के समीप दूसरे जनपद के क्रय केंद्र पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेच सकेंगे। इसके लिए जिला खरीद अधिकारी दूसरे जिले के खरीद अधिकारी से विचार-विमर्श कर किसान को अनुमति प्रदान करेंगे। आदेश में यह भी स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि किसी भी परिस्थिति में कोई भी क्रय केंद्र बंद नहीं किया जाएगा।
अन्य राज्यों की तरह ही उत्तरप्रदेश राज्य ने भी अपने यहां गेहूं की खरीदी के 72 घंटे के दौरान किसानों को भुगतान करने की व्यवस्था की है। इसके तहत किसानों को फसल खरीदी के 72 घंटे में उनके खातों में गेहूं खरीदी का भुगतान सरकार देगी। इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से पंजाब में भी यह व्यवस्था की हुई है जिसे लेकर पिछले दिनों आडतियों की ओर से इसका विरोध किया गया था। इसके पीछे कारण यह था कि आडतिये नहीं चाहते थे कि किसानों को सीधा पैसा मिले। उन्हें यह डर भी सता रहा था कि ऐसा होने पर उनकी भूमिका खत्म हो जाएगी। लेकिन काफी विरोध के बावजूद पंजाब में इस व्यवस्था को लागू किया गया जिसका किसानों को सीधा लाभ पहुंचा है।
गेहूं बेचने के लिए किसी किसान का अब तक पंजीकरण नहीं हो सका है, तो उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है। किसान अभी भी किसी जनसेवा केंद्र पर पंजीकरण करा सकते हैं। यह भी संभव न हो, तो वह अपने खेती और बैंक खाते से संबंधित दस्तावेज क्रय केंद्र पर ले जाकर भी पंजीकरण करा सकते हैं।
गोरखपुर जिले में गेहूं क्रय के लिए 144 केंद्र बनाए गए हैं। जिले में अब तक 1600 किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 8150 एमटी (मीट्रिक टन) गेहूं की खरीद हो चुकी है। उम्मीद है कि अब किसी भी क्रय केंद्र पर गेहूं बेचने की छूट से इसमें और तेजी आएगी।
केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के बयान के अनुसार रबी विपणन सीजन 2021-22 के दौरान कुल 427.363 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का अनुमान लगाया गया है। जो रबी विपणन सीजन 2020-21 के दौरान हुई 389.93 लाख मीट्रिक टन से 9.56 प्रतिशत अधिक है। उत्तर प्रदेश में 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इससे पहले साल 2020 में (खरीद वर्ष 2020-21) में यूपी सरकार ने 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था, जबकि 35.67 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी। केंद्र सरकार ने हालांकि यूपी के लिए 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का अनुमानित लक्ष्य तय किया है लेकिन यूपी के खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जितना गेहूं आएगा पूरा खरीदा जाएगा।
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