user profile

New User

Connect with Tractor Junction

आलू की खेती : अक्टूबर में बोएं आलू की अगेती किस्में, होगा अधिक मुनाफा

Published - 01 Oct 2020

आलू की उन्नत खेती कैसे करें : एक हेक्टेयर में 400 क्विंटल का उत्पादन, कमाई 8 लाख रुपए

सब्जियों में आलू का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी उत्पादन क्षमता अन्य फसलों की अधिक है। इसलिए इसे अकाल नाशक फसल भी कहा जाता है। इसका प्रयोग सभी सब्जियों के साथ व एकल रूप में दोनों तरीके से भी किया जाता है। इससे कई प्रकार के व्यंजन भी तैयार किए जाते है। इसकी बाजार में 12 महीने मांग बनी रहती है। इसे यदि सब्जियों का राजा कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा। इसी के साथ ही किसानों के लिए भी यह फसल बहुत फायदा देने वाली है क्योंकि इसकी डिमांड मंडी में हर मौसम में रहती है। अभी अक्टूबर में इसकी अगेती फसल की बुवाई करके किसान बहुत अच्छा लाभ कमा सकते हैं। यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इसकी अगेती फसल से काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। आइए जानते हैं किस प्रकार आलू की अगेती बुवाई करके आप बढिय़ा कमाई कर सकते हैं।

 

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1
 

आलू की जल्दी तैयार होने वाली किस्में / आलू की उन्नत खेती

कुफरी अशोक, कुफरी पुखराज और कुफरी सूर्या आलू की उन्नत किस्में हैं और ये बहुत जल्दी तैयार हो जाते हैं।

कुफरी अशोक

इस किस्म के कंदों का रंग सफेद होता है और ये लगभग 75 से 85 दिनों के भीतर खींच कर तैयार हो जाता है। इस की उत्पादन कूवत 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

कुफरी पुखराज

इस प्रजाति के आलू के कंदों का रंग सफेद और गूदा पीला होता है। इस की फसल 70 से 80 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। 1 हेक्टेयर खेत में 350 से 400 क्विंटल फसल पाई जा सकती है।

कुफरी सूर्या

इस किस्म के आलू का रंग सफेद होता है और यह किस्म 75 से 90 दिनों के भीतर पक कर तैयार हो जाती है। इस में प्रति हेक्टेयर लगभग 300 क्विंटल की पैदावार होती है।

 

आलू की मध्यम समय में तैयार होने वाली किस्में

कुफरी ज्योति, कुफरी अरुण, कुफरी लालिमा, कुफरी कंचन और कुफरी पुष्कर मध्यम अवधि में तैयार होने वाली आलू की किस्में हैं।

 

कुफरी ज्योति

इस आलू के कंद सफेद रंग के अंडाकार और उथली आंखों वाले होते हैं। यह किस्म 90 से 100 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इसकी एक हेक्टेयर में लगभग 300 क्विंटल फसल मिलती है।

कुफरी अरुण

इस आलू के कंदों का रंग लाल होता है और यह पकने में 100 दिन का समय लेती है। इससे प्रति हेक्टेयर 350 से 400 क्विंटल की उपज प्राप्त की जा सकती है।

कुफरी लालिमा

इस आलू के कंदों का रंग लाल होता है और यह 90 से 100 दिनों में पक जाती है। इसकी एक हेक्टेयर में 300 से 350 क्विंटल उपज प्राप्त की जा सकती है।

कुफरी कंचन

इस आलू किस्म का रंग लाल होता है और यह 100 दिनों में पक कर तैयार जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 350 क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

कुफरी पुष्क

इस आलू की आंखें गहरी और गूदे का रंग पीला होता है। इस किस्म की खेती से प्रति हेक्टेयर 350 से 400 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

 


आलू की खेती कैसे करें / आलू की खेती कब और कैसे करे?

 

जलवायु व भूमि

सामान्य रूप से आलू की अच्छी खेती के लिए फसल अवधि के दौरान दिन का तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस तथा रात्रि का तापमान 4-15 डिग्री सैल्सियस होना चाहिए। फसल में कन्द बनते समय लगभग 18-20 डिग्री सेल्सियस तापकम सर्वोत्तम होता है। कन्द बनने के पहले कुछ अधिक तापक्रम रहने पर फसल की वानस्पतिक वृद्धि अच्छी होती है, लेकिन कन्द बनने के समय अधिक तापक्रम होने पर कन्द बनना रूक जाता है। लगभग 30 डिग्री सैल्सियस से अधिक तापक्रम होने पर आलू की फसल में कन्द बनना बिलकुल बंद हो जाता है। वहीं बात करें आलू की फसल के लिए भूमि की तो आलू की फसल विभिन्न प्रकार की भूमि, जिसका पी.एच. मान 6 से 8 के मध्य हो, उगाई जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट तथा दोमट उचित जल निकास की भूमि उपयुक्त होती है।


बुआई का उचित समय / आलू कब कब लगाया जाता है? / आलू की खेती कौन से महीने में होती है?

सामान्यत: अगेती फसल की बुआई मध्य सितंबर से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक, मुख्य फसल की बुआई मध्य अक्टूबर के बाद हो जानी चाहिए।


खेत की तैयारी

खरीफ मक्का एवं अगात धान से खाली किए गए खेत में इसकी खेती की जा सकती है। इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली भूमि उपयुक्त रहती है। इसकी बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए। इसके लिए ट्रैक्टर चालित मिट्टी पलटने वाले डिस्क प्लाउ या एम.बी. प्लाउ से एक जुताई करने के बाद डिस्क हैरो 12 तबा से दो चास (एक बार) करने के बाद कल्टी वेटर यानि नौफारा से दो चास (एक बार) करनी चाहिए। इसके बाद खेत आलू की रोपनी योग्य तैयार हो जाता है।


आलू की बुवाई का तरीका / आलू कैसे बोए?

आलू का बीज दर इसके कंद के वजन, दो पंक्तियों के बीच की दूरी तथा प्रत्येक पंक्ति में दो पौधों के बीच की दूरी पर निर्भर करता है। प्रति कंद 10 ग्राम से 30 ग्राम तक वजन वाले आलू की रोपनी करने पर प्रति हेक्टेयर 10 क्विंटल से लेकर 30 क्विंटल तक आलू के कंद की आवश्यकता होती है। आलू की बुवाई से पहले इसे उपचारित करना बेहद जरूरी है। इसके लिए आलू की बुवाई करने से पहले बीज को कोल्ड स्टोरेज से निकाल कर 10-15 दिन तक छायादार जगह में रखें। सड़े और अंकुरित नहीं हुए कंदों को अलग कर लें। खेत में उर्वरकों के इस्तेमाल के बाद ऊपरी सतह को खोद कर उस में बीज डालें और उस के ऊपर भुरभुरी मिट्टी डाल दें। लाइनों की दूरी 50-60 सेंटीमीटर होनी चाहिए, जबकि खेतों से खेतों की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए।


खाद और उर्वरक / आलू की खेती में खाद

खेत की जुताई के जब खेत में अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद 15 से 30 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिली देनी चाहिए। आलू की बेहतर फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 150 से 180 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 100 किलोग्राम पोटाश की जरूरत होती है। फास्फोरस व पोटाश की पूरी और एंड्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय ही खेत में डालनी होती है। बची हुई नाइट्रोजन को मिट्टी चढ़ाते समय खेत में डाला जाता है।

 


कब-कब करें सिंचाई / आलू की सिंचाई

आलू की फसल में खाद व उर्वरक का प्रयोग अधिक होने से इसे काफी पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए इसकी रोपनी के 10 दिन बाद परन्तु 20 दिन के अंदर ही प्रथम सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से अकुरण शीघ्र होगा तथा प्रति पौधा कंद की संख्या बढ़ जाती है जिसके कारण उपज में दोगुनी वृद्धि हो जाती है। इसकी दो सिंचाई के बीच 20 दिन से ज्यादा अंतर नहीं रखना चाहिए। वहीं खुदाई के 10 दिन पूर्व सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। ऐसा करने से खुदाई के समय कंद स्वच्छ निकलेंगे।


मिट्टी चढ़ाना

रोपनी के 30 दिन बाद दो पंक्तियों के बीच में यूरिया का शेष आधी मात्रा यानि 165 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से डालकर कुदाली से मिट्टी बनाकर प्रत्येक पंक्ति में मिट्टी चढ़ा देना चाहिए। फिर कुदाली से हल्का थप-थपाकर दबा देना चाहिए ताकि मिट्टी में पकड़ बनी रहे।


आलू की खुदाई

बाजार भाव एवं आवश्यकता को देखते हुए रोपनी के 60 दिन बाद आलू का खुदाई की जाती है। यदि भंडारण के लिए आलू रखना हो तो कंद की परिपक्वता की जांच के बाद ही खुदाई करनी चाहिए। खुदाई दिन के 12.00 बजे तक पूरा कर लेनी चाहिए। खुदे कंद को खुले धूप में नहीं रखकर छायादार जगह में रखा जाता है। धूप में रखने पर भंडारण क्षमता घट जाती है।


कितनी मिल सकती है उपज

परिपक्वता अवधि एवं अनुशंसित फसल प्रणाली को अपनाने पर रोपनी के 60 दिन बाद 100 क्विंटल, 75 दिन बाद 200 क्विंटल, 90 दिन बाद, 300 क्विंटल तथा 105 दिन बाद प्रभेद के अनुसार 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जाती है। लेकिन ध्यान रहे यदि प्रथम सिंचाई रोपनी के 10 दिन बाद तथा 20 दिन के अंदर न हुआ तो उपज आधी रह जाती है।


आलू की खेती से कमाई एक बीघा में आलू कितना होता है? / आलू की खेती से लाभ 


आलू की खेती से काफी कमाई की जा सकती है। एक हेक्टेयर में करीब 350 क्विंटल से लेकर 400 क्विंटल तक आलू का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। बाजार में इसका भाव सामान्यत: 20-30 रुपए प्रति किलो रहता है। इस हिसाब से यदि 5 हेक्टेयर में इसकी बुवाई की जाए और न्यूनतम भाव 20 रुपए किलो मान कर चले तो भी आप इसकी एक फसल से करीब 8 लाख रुपए विक्रय करके प्राप्त कर सकते हैं।

 

ट्रैक्टर  उद्योग अपडेट के लिए हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करें-
https://t.me/TJUNC

 

अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।

Certified Used Tractors

Swaraj 744 एफई
₹ 1.40 Lakh Total Savings

Swaraj 744 एफई

48 HP | 2021 Model | Ahmednagar, Maharashtra

₹ 6,00,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Mahindra 475 डीआई
₹ 2.25 Lakh Total Savings

Mahindra 475 डीआई

44 HP | 2019 Model | Sikar, Rajasthan

₹ 4,50,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Sonalika डीआई 50 आरएक्स
₹ 1.47 Lakh Total Savings

Sonalika डीआई 50 आरएक्स

52 HP | 2020 Model | Rajgarh, Madhya Pradesh

₹ 5,70,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Powertrac 434 प्लस
₹ 2.08 Lakh Total Savings

Powertrac 434 प्लस

37 HP | 2023 Model | Chittaurgarh, Rajasthan

₹ 3,32,500
Certified
icon icon-phone-callContact Seller

View All