Published - 12 May 2021 by Tractor Junction
केंद्र सरकार ने गैर सीजन में प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से इस खरीफ सीजन में देश के इन पांच राज्यों को प्याज का एरिया बढ़ाने का निर्देश दिया है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र ने राजस्थान सहित पांच प्याज उत्पादक राज्यों से आगामी खरीफ सीजन के दौरान प्याज का कुल रकबा 9,900 हेक्टेयर बढ़ाने का निर्देश दिया है। खरीफ सीजन में मुख्य रूप से कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश प्याज उगाते हैं।
राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात और उत्तरप्रदेश गैर पारंपरिक रूप से प्याज उगाने वाले राज्य हैं। सरकार ने प्याज की अपेक्षाकृत कम खेती करने वाले राज्यों से ही उत्पादन बढ़ाने को कहा है। कृषि आयुक्त एस.के. मल्होत्रा ने गैर पारंपरिक राज्यों में खरीफ सत्र के दौरान प्याज का रकबा बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा यदि प्राकृतिक आपदाओं से प्याज के पारंपरिक राज्यों में उपलब्धता प्रभावित होती है, तो इससे मदद मिलेगी। उन्होंने प्याज उत्पादक पांच गैर पारंपरिक राज्यों को इस वर्ष खरीफ सीजन में प्याज का रकबा 51,000 हेक्टेयर तक पहुंचाने को कहा।
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राज्य | (2019-20) | (2020-21) | 3 साल का औसत (2018-19 से 2020-21) | प्रस्तावित क्षेत्र में वृद्धि |
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एमपी | 5280 | 4729 | 5243 | 6500 |
गुजरात | 5000 | 2520 | 3840 | 5500 |
राजस्थान | 17813 | 22294 | 14432 | 24500 |
हरियाणा | 9000 | 7250 | 9417 | 10000 |
यूपी | 4000 | 4287 | 4096 | 4500 |
कुल | 41093 | 41081 | 37028 | 51000 |
दुनिया में सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन चीन में होता है और भारत इस मामले में दूसरे नंबर पर है। दुनिया का 25 फीसदी प्याज भारत उगाता हैं। इसकी सालाना बुवाई की बात करें तो भारत में इसकी सालाना बुवाई 12.85 लाख हैक्टेयर में होती है। सबसे अधिक प्याज महाराष्ट्र में उगाया जाता है। महाराष्ट्र में इसकी बुवाई करीब 5.08 लाख हेक्टेयर में की जाती है। महाराष्ट्र में तीन मौसम में प्याज की फसल ली जाती है। महाराष्ट्र के अलावा मप्र, बिहार, कर्नाटक, गुजरात और आंध्र प्रदेश में भी प्याज की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है। इधर राजस्थान , हरियाणा , तेलंगाना में भी प्याज उगाया जाता है। एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में हैं। वहीं राजस्थान में अलवर सबसे बड़ी प्याज की मंडी है और यहां के प्याज की पाकिस्तान में काफी मांग रहती है। इसके बावजूद गैर सीजन में आम इसके कीमतों में बढ़ोतरी हो जाती है। जो प्याज सीजन के दौरान 20-30 रुपए किलो बाजार में बिकता है उसके दाम 80-100 से रुपए तक पहुंच जाते हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने इस बार खरीफ सीजन के लिए इसका रकबा बढ़ाने का फैसला किया है ताकि जब भी बाजार में प्याज की कीमतें बढ़े तो उसे नियंत्रित करने के लिए इसके जमा स्टॉक को बाजार में उतारकर कीमतों पर काबू पाया जा सके।
सरकार का मानना है कि देश में प्याज का रकबा बढऩे से इसका उत्पादन बढ़ेगा जिससे घरेलू मांग की पूर्ति संभव हो सकेगी। बता दें कि भारत में 45 हजार मीट्रिक टन प्याज रोज खाया जाता है। इस हिसाब से प्याज का रकबा बढऩे से देश में प्याज की कोई समस्या नहीं होगी और हमें बाहर से प्याज का आयात भी नहीं करना होगा। बता दें कि हमारे देश में 2019 में में प्याज की कीमतें बढऩे पर मिस्र व तुर्कमेनिसतान से प्याज का आयात किया गया था।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्याज निर्यातक देश है। भारत से प्याज का एक्सपोर्ट बांग्लादेश, मलेशिया, यूएई, श्रीलंका और नेपाल में एक्सपोर्ट होता है। दरअसल भारत अपने पड़ोसी देशों की प्याज की ज्यादातर जरूरत की भरपाई करता है। जब भारत में प्याज की कीमतें बढ़ जाती है तो इन देशों को चीन, म्यांमार, मिस्र और तुर्की जैसे देशों का रुख करना पड़ता है। अभी पिछले साल ही भारत ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी जिसके चलते इन देशों को काफी परेशानी हुई थी और इन्हें अन्य देशों से प्याज का आयात करना पड़ा था।
रबी की फसल का प्याज चार से छह महीने अच्छा रहता है लेकिन खरीफ की फसल का प्याज (लाल प्याज) 15-20 दिन से ज्यादा नहीं टिकता। इस वजह से प्याज उत्पादक सिर्फ रबी की फसल को गोदामों में रखते हैं।
किसानों को एक एकड़ प्याज पर उत्पादन के लिए 40 से 45 हजार रुपए खर्च आता है। जबकि किसानों से औने-पौने दाम में इसकी खरीद की जाती है। जिससे किसान को प्याज की लागत तक निकलना मुश्किल हो जाता है। वहीं इसके उलट बाजार में यही प्याज ऊंचे दामों में बेचा जाता है।
किसानों की ओर से गेहूं, चावल, दालें और तिलहन की तरह ही प्याज का समर्थन मूल्य दिए जाने की मांग उठती रही है। 1 साल पहले मीडिया को दी गई जानकारी के दौरान एनएचआरडीएफ के पूर्व संचालक डॉ. सतीश बोंडे ने बताया था कि देश में प्याज की कमी को दूर करना है तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देना होगा। अंगूर की तरह प्याज उत्पादक किसानों को भी प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है।
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