user profile

New User

Connect with Tractor Junction

प्याज की खेती : ये किस्में देगी अधिक पैदावार, बस इन बातों का रखें ध्यान

Published - 23 Oct 2020

प्याज की पूरे साल रहती है बाजार में मांग, मिलते हैं अच्छे भाव

सब्जियों में आलू और प्याज हर मौसम में खाई जाने वाली सब्जी है। इसलिए इसकी साल के 12 महीने बाजार में मांग रहती है। प्याज को कच्चा सलाद के रूप में एकल या अन्य सब्जी के साथ पकाकर खाया जाता है। होटलों, ढाबों सहित घरों में इसका उपयोग कई तरीके की रेसीपी बनाने में किया जाता है। भारत में महाराष्ट्र में प्याज की खेती सबसे ज्यादा की जाती है। यहां साल मेें दो बार प्याज की फसल होती है- एक नवंबर में तो दूसरी मई के महीने के करीब होती है। भारत से कई देशों में प्याज का निर्यात किया जाता है। भारत से प्याज खरीदार देशों में नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांज्लादेश आदि प्रमुख है। 

 

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1


प्याज की खेती (Onion cultivation) सबसे ज्यादा कहां होती है

हमारे देश के नासिक और राजस्थान के अलवर शहर का प्याज काफी पसंद किया जाता है। प्याज की फसल कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश जैसी जगहों पर अलग-अलग समय पर तैयार होती है। विश्व में प्याज 1,789 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में उगाई जाती हैं, जिससे 25,387 हजार मीट्रिक टन उत्पादन होता है। भारत में इसे कुल 287 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में उगाए जाने पर 2450 हजार टन उत्पादन प्राप्त होता है। इसकी देश व विदेशों में इसकी अच्छी मांग होने के कारण इसे नकदी फसल में गिना जाता है। यदि किसान व्यवसायिक तरीके से इसकी खेती करे तो अधिक पैदावार के साथ ही भरपूर मुनाफा कमाया जा सकता है। इसके लिए किसान को प्याज की उन्नत किस्मों की जानकारी होना बेहद जरूरी है जिससे वह अधिक उत्पादन और स्वाद से भरपूर किस्म का चुनाव कर अच्छा लाभ सके। आइए जानतें हैं प्याज की अधिक पैदावार देने वाली उन्नत किस्मों और इसकी खेती में ध्यान रखने वाली महत्वपूर्ण बातों के बारें में जिससे किसान भाई प्याज का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन करने में सफल हो सके।

 


अधिक पैदावार देने वाली प्याज की उन्नत किस्में / प्याज की किस्में

  • पूसा रतनार : इस किस्म के कंद बड़े थोड़े चपटे व गोल होते है, जो गहरे लाल रंग के होते है। पत्तियां मोमी चमक तथा गहरे रंग कि होती है। इसके कंदों को 3 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है, रोपाई के 125 दिनों बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। यह प्याज की उन्नत किस्म प्रति हेक्टेयर 400 से 500 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है।
  • हिसार- 2 : इस प्याज की उन्नत किस्म के कंद लाली लिए हुए, भूरे रंग के तथा गोल होते है। इसकी फसल रोपाई के लगभग 175 दिनों बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके कंद कम तीखे होते है। यह प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल तक पैदावार दे देती है। इस प्याज की इस उन्नत किस्म की भंडारण क्षमता भी अच्छी है।
  • पूसा व्हाईट फ़्लैट : इस प्याज की उन्नत किस्म के कंद मध्यम से बड़े आकार के चपटे, गोल तथा आकर्षक सफ़ेद रंग के होते है। रोपाई के 125 से 130 दिन बाद में तैयार होने वाली किस्म है। इसकी भंडारण क्षमता अच्छी होती है। यह प्रति हेक्टेयर 325 से 350 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है।
  • पूसा व्हाईट राउंड : इस प्याज की उन्नत किस्म के कंद मध्यम से बड़े आकार के चपटे, गोल, और आकर्षक सफेद रंग के होते है। इस किस्म को सुखाकर रखने कि दृष्टि से विकास किया गया है। यह रोपाई के 125 से 130 दिनों बाद तैयार होती है। इसकी भंडारण क्षमता अच्छी है। यह प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है।
  • ब्राउन स्पेनिश : इस किस्म की प्याज के शल्क कंद गोल लंबे तथा लाल भूरे रंग के होते है, इसमें हलकी गंध आती है। यह किस्म सलाद के लिए उपयुक्त होती है। इसके कंद 165 से 170 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाते है। यह किस्म पर्वतीय क्षेत्रों में उगाने के लिए अत्यंत उपयुक्त सिद्ध हुई है। सुरक्षित रखने कि दृष्टि से यह दूसरी किस्मों कि अपेक्षा काफी अच्छी मानी गई है।
  • अर्ली ग्रेनो : इस किस्म के कंद गोल आकार के, पीले, हलकी गंध युक्त वाले तथा सलाद के लिए उपयुक्त होते है व रोपाई के 95 दिनों बाद पूरे आकार के हो जाते है और 115 से 120 दिनों में पक जाते है। इस किस्म में फूल खिलने कि समस्या कम है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर 500 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है, लेकिन इसकी भंडारण क्षमता कम होती है।
  • एग्री फाउंड लाईट रेड : प्याज की यह किस्म सभी क्षेत्रों के लिए अच्छी सिद्ध हुई है, परन्तु महाराष्ट्र में नासिक और उसके आसपास के क्षेत्रों में विशेष रूप से सफल है। इसके कंद हलके लाल रंग के होते है। यह 160 दिन में 300 से 325 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार दे सकती है।
  • कल्याणपुर रेड राउंड : प्याज की यह किस्म उत्तर प्रदेश के लिए अच्छी मनी गई है। यह किस्म 130 से 150 दिन पककर तैयार हो जाती है। बात करें इसके प्राप्त उपज की तो इसकी 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल जाती है।
  • लाइन- 102 : इस किस्म में कंद मध्यम से बड़े आकार के तथा लाल रंग के होते है। यह किस्म 130 से 135 दिन में तैयार हो जाती है और 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल सकती है। यह किस्म उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी गई है।
  • पूसा रेड : इस के कंद मंझौले आकार के तथा लाल रंग के होते है, स्थानीय लाल किस्मों कि तुलना में यह प्याज की उन्नत किस्म कम तीखी होती है। इसमें फूल निकल आने कि समस्या कम होती है। रोपाई के 125 से 140 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है, इसकी भंडारण क्षमता बहुत अधिक होती है। उपज की दृष्टि से देखे तो इसकी प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल तक पैदावार दे देती है। कंद का भार 70 से 90 ग्राम का होता है, गंगा के पठारों, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा महाराष्ट्र के लिए उपयुक्त किस्म है।
  • एन- 257-1 : प्याज की यह किस्म के सफेद रंग के कंद वाली होती है। यह किस्म महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में रबी मौसम में उगाने के लिए अच्छी है।
  • अर्का कल्याण : प्याज की इस किस्म के कंद गहरे गुलाबी रंग के होते है, जिनका औसतन वजन 100 से 190 ग्राम होता है। यह किस्म उत्तरी भारत के मैदानों, मध्य प्रदेश, बिहार, उडि़सा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक तथा तमिलनाडु में उगाने के लिए उपयुक्त बताई गई है।


रबी प्याज की खेती / खरीफ प्याज की खेती

  • एन- 257-1 : प्याज की यह किस्म के सफेद रंग के कंद वाली होती है। यह किस्म महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में रबी मौसम में उगाने के लिए अच्छी है।
  • अर्का प्रगति : यह दक्षिण भारत में रबी तथा खरीफ दोनों मौसमों में उगाने के लिए उपयुक्त किस्म है। इसके कंद गुलाबी रंग के होते है। यह 140 से 145 दिन बाद 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है।
  • एन- 53 : प्याज की इस किस्म के कंद गोल, हलके लाल सुडौल, कम तीखे होते है। इसकी एक गांठ का औसत वजन 80 से 120 ग्राम तक होता है, खुदाई के समय इसकी गांठ हलके बैंगनी रंग कि होती है जो बाद में गहरे लाल रंग कि हो जाती है। इस किस्म को रबी तथा खरीफ दोनों मौसमों में उगाया जा सकता है, किन्तु उत्तरी भारत में खरीफ मौसम में उगाने के लिए उपयुक्त पाई गई है। यह फसल 150 से 165 दिनों में खुदाई हेतु तैयार हो जाती है। रबी में 200 से 250 तथा खरीफ में 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल सकती है।
  • अर्का निकेतन : इस प्याज की उन्नत किस्म को खरीफ व रबी दोनों मौसमों में उगाया जा सकता है। इसकी फसल 145 दिन में तैयार हो जाती है। इसके कंद का वजन 100 से 180 ग्राम का होता है। यह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा तमिलनाडु में उगाने के लिए उपयुक्त मानी गई है। इसकी प्रति हेक्टेयर 325 से 350 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है। इसके कंदों को 3 महीने तक भंडारित किया जा सकता है।


अधिक पैदावार देने वाली प्याज की कुछ संकर किस्में

  • वी एल- 76 : यह एक संकर किस्म है, इस किस्म के कंद बड़े तथा लाल रंग के होते है। यह तराई क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है। रोपाई के बाद 175 से 180 दिनों में कंद खुदाई के लिए तैयार हो जाते है। यह प्रति हेक्टेयर 350 से 400 क्विंटल तक पैदावार देती है।
  • अर्का कीर्तिमान : यह संकर किस्म है। इसके कंदों को काफी समय तक भंडारित किया जा सकता है। यह निर्यात के लिए अच्छी किस्म है।
  • अर्का लाइम : यह भी प्याज की संकर किस्म है। इसके कंद लाल रंग के होते है। इसकी भंडारण क्षमता भी अधिक होती है। यह किस्म भी निर्यात के लिए अच्छी किस्म है।


प्याज उगाते समय में इन बातों का रखें ध्यान / प्याज की खेती का समय

  • प्याज की बुवाई करते समय भूमि से 10 सेमी. ऊंची क्यारियां बनाकर बुवाई करनी चाहिए। इसके बाद बीज को ढक देना चाहिए। आद्र्र गलन का रोग पौधों में न लग पाए इसके लिए क्यारियों में 1 प्रतिशत बोर्डो मिश्रण का छिडक़ाव करना चाहिए।
  • प्याज की कतार 15 सेमी., पौधे 10-15 सेमी. ऊंचे हो जाएं तब खेत में रोपण करना चाहिए। अधिक उम्र के पौधे या जब उनमें जड़ वाला भाग मोटा होने लगे, तब इसे नहीं लगाना चाहिए। इसकी के लिए खेत की तैयारी आलू के समान ही की जानी चाहिए। पौध रोपण के तुरंत बाद ही सिंचाई जरूर करनी चाहिए।
  • प्याज के पौधों की कतारों के मध्य पुआल या सूखी पत्तियां बिछा देनी चाहिए जिससे सिंचाई की बचत होती है। फूल आना या बोल्टिंग- कन्द के लिए ली जाने वाली फसल में फूल आना उचित नहीं माना जाता है, इससे कन्द का आकार घट जाता है। अत: आरंभ में ही निकलते हुए डंठलों को तोड़ देना चाहिए।
  • प्याज के लिए कुल 12-15 सिंचाई की आवश्यकता होती है, 7-12 दिन के अन्तर से भूमि के अनुसार सिंचाई की जानी चाहिए। पौधों का सिरा जब मुरझाने लगे, यह कन्द पकने के लक्षण हैं, इस समय सिंचाई नहीं करनी चाहिए।
  • जब पत्तियों का ऊपरी भाग सूखने लगे तो उसे भूमि में गिरा देना चाहिए जिससे प्याज के कन्द ठीक से पक सकें। खुदाई करने में कन्द को चोट या खरोंच नहीं लगनी चाहिए।
  • प्याज के छोटे आकार के कंदों में बड़े आकार की तुलना में संग्रहण क्षमता अधिक होती है। वहीं मोटी गर्दन वाले कंद संग्रहण में शीघ्र ही खराब होने लगते हैं। फसल में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक अधिक देने से कंदों की संग्रहण क्षमता कम हो जाती है। इसलिए इसका आवश्यकता से ज्यादा प्रयोग नहीं करें। वहीं फॉस्फोरस और पोटाश का कोई महत्वपूर्ण प्रभाव इस पर नहीं पड़ता है।

 

 

अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।

Certified Used Tractors

Powertrac 434 प्लस
₹ 1.10 Lakh Total Savings

Powertrac 434 प्लस

37 HP | 2023 Model | Chittaurgarh, Rajasthan

₹ 4,30,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Mahindra 575 डीआई एक्सपी प्लस
₹ 4.40 Lakh Total Savings

Mahindra 575 डीआई एक्सपी प्लस

47 HP | 2014 Model | Hanumangarh, Rajasthan

₹ 2,87,500
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Massey Ferguson 1035 डीआई
₹ 1.28 Lakh Total Savings

Massey Ferguson 1035 डीआई

36 HP | 2020 Model | Tonk, Rajasthan

₹ 5,00,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Farmtrac 45 पॉवरमैक्स
₹ 0.49 Lakh Total Savings

Farmtrac 45 पॉवरमैक्स

50 HP | 2023 Model | Dewas, Madhya Pradesh

₹ 7,41,285
Certified
icon icon-phone-callContact Seller

View All