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अब चारागाह और दलदली जमीन पर भी लगा सकते हैं सौर संयंत्र

Published - 17 Nov 2020

प्रधानमंत्री कुसुम योजना : छोटे किसानों को 500 किलोवाट से छोटे आकार के संयंत्र को मिलेगी मंजूरी

सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने और किसानों की आय दुगुनी करने के उद्देश्य से देशभर में कुसुम योजना चलाई जा रही है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 19 फरवरी, 2019 को हुई बैठक में पीएम-कुसुम योजना को मंजूरी दी थी। इस योजना के तहत किसान अपनी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर अपनी कृषि कार्य के लिए बिजली उत्पादन कर उपयोग कर सकते हैं तथा इसके अलावा अतिरिक्त बिजली को ग्रिड को बेचकर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। इसके लिए सरकार की ओर से सब्सिडी देने का भी प्रावधान हैं। इसी कुसुम योजना में हाल ही में भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने इस योजना का दायरा अब और बढ़ा दिया गया है ताकि इसका लाभ छोटे किसानों तक पहुंच सके। जानकारी के अनुसार मीडिया में प्रकाशित आधिकारिक बयान के मुताबिक मंत्रालय ने अपने पुराने दिशा-निर्देश में संशोधन किया है। इसके तहत, अब बंजर, परती और कृषि भूमि के अलावा सौर बिजली संयंत्र किसानों के चारागाह और दलदली जमीन पर भी लगाए जा सकते हैं। मंत्रालय ने बयान में कहा कि छोटे किसानों की मदद के लिये 500 किलोवाट से छोटे आकार की सौर परियोजनाओं को राज्य मंजूरी दे सकते हैं। यह मंजूरी तकनीकी-वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर निर्भर करेगी। इसके अलावा मंत्रालय ने कई महत्वपूर्ण संशोधन इस कुसुम योजना में किए हैं जिनका फायदा किसानों को होगा।

 

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कुसुम योजना के ये हैं वे तीन घटक जिनमें किया गया हैं संशोधन

  • कुसुम योजना के घटक- ए- घटक- ए में विकेंद्रीकृत ग्राउंड माउंटेड ग्रिड कनेक्टेड नवीकरणीय विद्युत संयंत्र की स्थापना,
  • बी- घटक- बी में स्टैंडअलोन सोलर पावर्ड एग्रीकल्चर पंप्स की स्थापना,
  • सी- घटक-सी में सोलराइजेशन ऑफ ग्रिड कनेक्टेड एग्रीकल्चर पंप्स शामिल है।

 


कुसुम योजना के घटक-ए (सोलर प्लांट हेतु) किया गया संशोधन

  • बंजर, परती और कृषि भूमि के अलावा किसानों के चारागाह और दलदली भूमि पर भी सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा सकते हैं।
  • छोटे किसानों की मदद करने के लिए तकनीकी-व्यावसायिक व्यवहार्यता के आधार पर राज्यों द्वारा 500 किलोवाट से कम की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की अनुमति दी जा सकती है।
  • चयनित नवीकरणीय पावर जनरेटर (आरपीजी) सौर ऊर्जा संयंत्र को लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) जारी करने की तिथि से 12 महीने के भीतर चालू कर देगा। न्यूनतम निर्धारित क्षमता उपयोग कारक (सीयूएफ) से सौर ऊर्जा उत्पादन में कमी के लिए आरपीजी को कोई जुर्माना नहीं होगा।


कुसुम योजना के घटक-बी (सोलर पंप हेतु) संशोधन/स्पष्टीकरण

घटक-बी में संशोधन/स्पष्टीकरण के हिस्से के रूप में एमएनआरई देशव्यापी सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियों के लिए उचित सेवा शुल्क का 33 फीसदी हिस्सा अपने पास रखेगा। इस आदेश में उल्लेख किया गया है कि मंत्रालय प्रारंभिक गतिविधियों के लिए एलओए की नियुक्ति के बाद स्वीकृत मात्रा के लिए उचित सेवा शुल्क का 50 फीसदी जारी कर सकता है। जल उपयोगकर्ता संघों (डब्ल्यूयूए) / किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ)/प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) को या क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली के लिए सौर पंप स्थापित करने और इसका उपयोग करने के लिए समूह में प्रत्येक व्यक्ति के लिए 5 एचपी क्षमता तक के 7.5 एचपी से अधिक के सौर पंप क्षमता के लिए सीएफए द्वारा अनुमति दी जाएगी। केंद्रीयकृत निविदा में भाग लेने के लिए पात्रता में भी संशोधन किया गया है। अंतिम बोली के दौरान केवल सोलर पंप और सोलर पैनल निर्माताओं अगले पांच वर्षों के लिए गुणवत्ता और स्थापना के बाद की सेवाओं पर विचार करके बोली में हिस्सा लेने की अनुमति दी गई थी। कार्यान्वयन के दौरान यह देखा गया कि इन निर्माताओं के पास किस क्षेत्र में कार्यबल की कमी है और इसके लिए स्थानीय इंटीग्रेटरों पर निर्भर है। इस वजह से सोलर पंप्स की स्थापना में देरी हुई है। इस स्थिति को दूर करने के लिए और गुणवत्ता एवं स्थापना के बाद सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए अब इंटीग्रेटरों के साथ सोलर पंप/ सोलर पैनल/सोलर पंप कंट्रोलर के निर्माताओं को संयुक्त उद्यम की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। यह आदेश केंद्रीकृत निविदा में भाग लेने के लिए निम्नलिखित दो श्रेणियों में से किसी एक या दोनों को अनुमति देता है -

  • स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके सोलर पीवी मॉड्यूल या सोलर पंप के निर्माता या सोलर पंप्स नियंत्रकों के निर्माता
  • सिस्टम इंटीग्रेटरों के साथ ऊपर (क) में उल्लेखित किसी भी निर्माता का संयुक्त उद्यम

इस आदेश में आगे कहा गया है कि विशेष श्रेणी या प्रकार के पंपों के तहत कुल मात्रा का 10 फीसदी (निकटम पूर्ण संख्या में बदलकर) के बराबर मात्रा एल1 बोली लगाने वाले को दिया जाएगा। इसके अलावा बाकी राशि को एल1 बोली लगाने वाले सहित सभी चयनित बोली लगाने वालों के लिए मार्केट मोड पर रखा जाएगा। यह आश्वासन दिया गया है कि आवंटन बोली में गंभीरता और प्रतिस्पर्धा लाया जाएगा। इसके अलावा एल1 की कीमत से समान होने का विकल्प शुरू में एल1+15 फीसदी के तहत आने वाले सभी बोली लगाने वालों के लिए बढ़ा दिया जाएगा और इस श्रेणी में बोली लगाने वालों की संख्या पांच से कम होने के कारण उनके द्वारा उल्लेखित मूल्य के बढ़ते हुए क्रम में अन्य बोली लगाने वालों को आगे बढ़ाया जा सकता है। यह प्रक्रिया उन स्थितियों (इनमें पहले जो हो) में अपनाई जा सकती है, जब पांच बोलीदाता एल1 के मिलान के लिए सहमत हो जाते हैं या सभी बोलीदाताओं को एल1 मूल्य से मेल खाने का विकल्प दिया जाता है।

एक ही मॉडल के दोहराए गए परीक्षण और तेजी से कार्यान्वयन से बचने के लिए विनिर्देशों और परीक्षण से संबंधित दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया है। जुलाई, 2019 में एमएनआरई द्वारा सोलर पंप विनिर्देशों को अद्यतन किया गया था और अब इसका उपयोग पीएम-कुसुम योजना के लिए किया जा रहा है। अब तक यह अनिवार्य था कि वेंडर के नाम पर जारी किए गए प्रत्येक प्रकार और श्रेणी के सोलर पंप के लिए परीक्षण प्रमाण-पत्र उसके पास होना चाहिए। इसका परिणाम यह हुआ है कि एक ही सोलर वाटर पंपिंग प्रणाली के कई परीक्षण हुए हैं, जो न केवल समय लेने वाली और महंगी है, बल्कि, इसका कोई मूल्यवर्द्धन भी नहीं है।

इसे दूर करने के लिए यह फैसला लिया गया है कि सोलर पंपिंग सिस्टम के लिए पहले से उपलब्ध परीक्षण प्रमाण पत्र का उपयोग अन्य संस्थापकों के लिए किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए उपयोगकर्ता को इसका उपयोग करने के लिए परीक्षण प्रमाणपत्र रखने वाले से लिखित सहमति लेना होगा। इसके अलावा पहले से परीक्षण किए गए सोलर पंपिंग सिस्टम के घटक में किसी भी परिवर्तन के मामले में उपयोगकर्ता को प्रमाणपत्र रखने वाले से सहमति पत्र के साथ-साथ तकनीकी संगतता प्रमाणपत्र मिलेगा।

संशोधित दिशा-निर्देशों के हिस्से के रूप में यूनिवर्सल सोलर पंप कंट्रोलर (यूपीएससी) के साथ सोलर वाटर पंपिंग सिस्टम के लिए अलग-अलग बोली मूल्य आमंत्रित किया जाएगा और यूपीएससी के बिना सोलर पंप्स के बेंचमार्क मूल्य के अनुसार इन पंपों के लिए सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी, चाहे यूपीएससी के बिना सोलर पंप्स के लिए खोजी मूल्य बेंचमार्क कीमत से कम हो।

स्टैंडअलोन सोलर पंप्स का उपयोग एक वर्ष में केवल 100-150 दिनों के लिए ही किया जाता है और बाकी अवधि के दौरान उत्पादित सौर ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। सौर ऊर्जा का प्रभावी उपयोग करने के लिए यूपीएससी शुरू करने का प्रस्ताव लाया गया था, जो न केवल वाटर पंप चलाएगा बल्कि अन्य बिजली के उपकरण जैसे; शीत भंडार, बैटरी चार्जिंग, आटा चक्की आदि भी चला सकता है।


कुसुम योजना के घटक-सी के लिए संशोधन और स्पष्टीकरण

  • घटक-सी के हिस्से के रूप में मंत्रालय आईईसी गतिविधियों के लिए 33 फीसदी सेवा शुल्क का उपयोग करेगा। कार्यान्वयन एजेंसियों को प्रारंभिक गतिविधियों के लिए सेवा शुल्क का अग्रिम आवंटन करने का प्रावधान किया गया है। मंत्रालय के आदेश में कहा गया है, ‘एमएनआरई एलओए की नियुक्ति के बाद प्रारंभिक गतिविधियों के लिए स्वीकृत मात्रा के लिए उचित सेवा शुल्क का 50 फीसदी जारी कर सकता है।’
  • घटक-सी के तहत ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों वाले व्यक्तिगत किसानों को अपने पंपों को सोलराइज करने के लिए मदद दी जा रही है। इसके अलावा किसानों को सोलर पैनल उपलब्ध करवाया जाएगा। इससे वे उत्पादित सौर ऊर्जा से सिंचाई की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे और बाकी सौर ऊर्जा की बिक्री कर सकेंगे। इनसे डिस्कॉम संबंधित राज्य/एसईआरसी द्वारा तय की जाने वाली प्रति निर्धारित दर पर अधिशेष बिजली की खरीदारी करेगी। इस योजना के तहत किलोवाट में पंप क्षमता के दोगुनी तक की सोलर पीवी क्षमता की अनुमति है।
  • इस योजना के दिशानिर्देशों में जल उपयोगकर्ता संघों और समुदाय/क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली द्वारा उपयोग किए जाने वाले अधिक क्षमता वाले पंपों के सोलराइजेश के लिए लागू सीएफए पर कुछ नहीं कहा गया है। अब मंत्रालय द्वारा स्पष्ट किया गया है कि जल उपयोगकर्ता संघों (डब्ल्यूयूए)/किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ)/ प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) या क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली के लिए उपयोग किए जाने वाले ग्रिड से जुड़े पंपों के लिए समूह में प्रत्येक व्यक्ति को 5 एचपी तक की क्षंमता पर विचार करते हुए सीएफए को 7.5 एचपी से अधिक पंप क्षमता के सोलराइजेशन की अनुमति दी जाएगी।

 

ऊर्जा मंत्रालय की ओर से किए गए संशोधन के मूल बिंदु/सार/खास बातें

  • मंत्रालय के अनुसार छोटे किसानों की मदद के लिये 500 किलोवाट से छोटे आकार की सौर परियोजनाओं को राज्य मंजूरी दे सकते हैं। यह मंजूरी तकनीकी-वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर निर्भर करेगी।
  • चुने गए नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक अनुबंध आबंटन पत्र मिलने की तारीख से 12 महीने के भीतर सौर बिजली संयंत्र चालू कर सकेंगे।
  • अगर सौर ऊर्जा उत्पादक का बिजली उत्पादन निर्धारित न्यूनतम क्षमता उपयोग कारक से कम होता है, उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।
  • संशोधन के तहत अब एमएनआरई पात्र सेवा शुल्क का 33 प्रतिशत देशव्यापी सूचना, शिक्षा और संचार (आईसी) गतिविधियों के लिए रखेगा।
  • आदेश के तहत मंत्रालय पात्र सेवा शुल्क का 50 प्रतिशत अनुबंध आबंटन पत्र जारी होने के बाद मंजूर क्षमता के लिए शुरुआती कामकाज को लेकर दे सकता है।
  • मंत्रालय के अनुसार जल उपयोगकर्ता संघों / किसान उत्पादक संगठनों / प्राथमिक कृषि साख समितियों द्वारा या संकुल आधारित सिंचाई प्रणाली के लिए सौर पंपों की स्थापना और उपयोग के लिए 7.5 एचपी (अश्व शक्ति) से अधिक के सौर पंप की क्षमता के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) की अनुमति दी जाएगी।
  • इसके लिये समूह में प्रत्येक व्यक्ति के लिए 5 एचपी की क्षमता पर गौर किया जाएगा।
  • केंद्रीकृत निविदा में भाग लेने को लेकर पात्रता में भी संशोधन किया गया है। इसके अनुसार- संयंत्र लगाने में किसी भी प्रकार की देरी नहीं हो इसके लिए अबअब संयंत्र लगाए जाने के बाद उससे जुड़ी सेवाओं को लेकर अब सौर पंप/सौर पैनल/सौर पंप नियंत्रकों का ‘इंटीग्रेटर’ के साथ संयुक्त उद्यम को अनुमति देने का फैसला किया गया है।

 

 

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