Published - 24 May 2021 by Tractor Junction
सरकार की ओर से किसानों से हर वर्ष समर्थन मूल्य पर गेहूं, दलहन, तिलहर, धान सहित 23 फसलों की खरीद की जाती है। इसमें से मूंग की खरीद किसानों से बहुत कम की जाती है। इससे किसानों को मजबूरन खुले बाजार में सस्ती दर पर मूंग की फसल बेचनी पड़ती है। हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार से मूंग की फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए अनुरोध किया था। इस पर केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश राज्य को मूंग की फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदने की मंजूरी दे दी। केंद्र सरकार के इस फैसले से राज्य के कई किसानों को लाभ होगा। इस संबध में मध्यप्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने मीडिया को बताया कि केंद्र सरकार ने मूंग की फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को मंजूरी प्रदान कर दी है। मंत्री श्री पटेल ने कहा कि हरदा एवं होशंगाबाद के साथ ही पूरे प्रदेश के किसानों के लिए अति प्रसन्नता का दिन है कि अब प्रदेश में भी ग्रीष्मकालीन मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रारंभ होगी।
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किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने मीडिया को बताया है कि मध्यप्रदेश सरकार किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने जा रही है। केंद्र सरकार ने मूंग उपार्जन की अनुमति दे दी है। श्री पटेल ने बताया कि भारत सरकार द्वारा मूंग का समर्थन मूल्य 7 हजार 196 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होता है। पंजीयन को लेकर कृषि मंत्रीं ने कहा कि 24 मई के बाद जल्दी ही प्रदेश के किसानों का पंजीयन प्रारंभ हो जाएगा।
ग्रीष्मकालीन (जायद) के मौसम में जहां सिंचाई के चलते अधिकतर खेत खाली पड़े रहते हैं। वहीं मध्यप्रदेश के सिर्फ दो जिलों हरदा और होशंगाबाद में किसानों ने 3 लाख 33 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग की फसल लगाई है। कृषि मंत्री पटेल के अनुसार सिर्फ दो जिलों हरदा और होशंगाबाद में 3 हजार 500 करोड़ रुपए की मूंग का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है। इसका कारण कृषि मंत्री ने बताया कि इस वर्ष जायद में मूंग उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने एवं सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए उन्होंने तवा डैम के गेट खुलवाएं, बल्कि सिंचाई के लिए सभी को पानी उपलब्ध हो, इसके लिये मॉनिटरिंग की समुचित व्यवस्था की भी निगरानी की गई।
कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा हैं कि मध्यप्रदेश गेहूं उपार्जन के क्षेत्र में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ कर एक नया कीर्तिमान बनाने जा रहा है। मंत्री पटेल ने कहा है कि कोरोना के इस संकट में भी केंद्र और प्रदेश सरकार किसानों के साथ खड़ी है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किसानों को दिए जा रहे संबल के कारण ही एक बार फिर से मध्यप्रदेश गेहूं उपार्जन के क्षेत्र में नया कीर्तिमान रचने जा रहा है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष मध्यप्रदेश ने रिकॉर्डेड एक करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन कर देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। इस वर्ष भी अभी तक एक करोड़ 8 लाख 173 मीट्रिक टन गेहूं किसानों से उपार्जित किया जा चुका है। इससे 21 हजार 334 करोड़ 32 लाख रुपए किसानों के खाते में जाएंगे। अभी तक एक हजार 522 करोड़ से भी ज्यादा राशि किसानों के खाते में डाली जा चुकी है।
जहां कुछ राज्यों में रबी फसल की खरीदी का लक्ष्य पूर्ण होने वाला है। वहीं बिहार राज्य अभी काफी पीछे रह गया है। बिहार में 20 अप्रैल से राज्य में गेहू, चना, मसूर की खरीदी शुरू की गई थी। राज्य में 15 मई तक गेहूं की खरीदी किया जाना था लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक के बाद खरीदी का समय बढ़ाकर 31 मई कर दिया है। राज्य में गेहूं खरीदी की बात की जाए तो यह लक्ष्य का 10 प्रतिशत भी पूरा नहीं करता है। राज्य सरकार ने जितना खरीदी का लक्ष्य रखा था उतने किसानों ने गेहूं बेचने के लिए पंजीयन भी नहीं कराए हैं और रही बात खरीदी केंद्र की तो वह भी सरकार के द्वारा बताए गए लक्ष्य से काफी कम है।
बता दें कि इस समय गेहूं की खरीदी राज्य के सभी 38 जिलों में चल रही है। बिहार सरकार की सहकारिता विभाग की वेबसाईट के अनुसार राज्य में 21/05/2021 तक 5,038 किसानों से 25310.79 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी किया गया। राज्य में गेहूं खरीदी का 1 माह पूरा हो गया है लेकिन गेहूं खरीदी कुल लक्ष्य का लगभग 3 प्रतिशत पूरा हुआ है। राज्य में गेहूं खरीदी का लक्ष्य 7 लाख मैट्रिक टन का था लेकिन राज्य के कुल 28,925 किसानों के द्वारा 133507.65 मैट्रिक टन गेहूं बेचने के लिए पंजीयन कराया है। ऐसे में जिन किसानों ने अभी तक गेहूं बेचने के लिए पंजीकरण नहीं करवाया है वह पंजीयन करवा सकते हैं।
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