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एमएसपी : गेहूं खरीदी की तिथि बढ़ाई, अब किसान 22 जून तक बेच सकेंगे अपनी उपज

Published - 19 Jun 2021

न्यूनतम समर्थन मूल्य : अब तक फसल नहीं बेच पाए किसानों को मिलेगा फायदा    

इस समय सभी राज्यों में रबी फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद अंतिम दौर में है। ऐसे में कई किसान ऐसे भी है जो अभी तक अपनी गेहूं की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं बेच पाए हैं। उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में गेहूं की सरकारी खरीद की तिथि को बढ़ाकर 22 जून कर दिया गया है।  अब राज्य के किसान 22 जून तक अपनी गेहूं की फसल बेच सकेंगे। बता दें कि गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की अंतिम तिथि 15 जून थी जिसे अब आगे बढ़ा दिया गया है। ऐसे किसान जो पहले ही गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीकरण करवा चुके हैं परंतु अभी तक गेहूं नहीं बेच पाए हैं वह किसान 22 जून तक एमएसपी पर गेहूं की उपज बेच सकते हैं।

 

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इस बार 16,10,637 किसानों ने ऑनलाइन  कराया पंजीकरण

उत्तर प्रदेश के खाद्य आयुक्त ने मीडिया को बताया कि इस बार 16,10,637 किसानों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया था, जबकि पिछले वर्ष 7,94,484 किसानों ने पंजीयन कराया था। राज्य में 12,30,024 किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचा है यानि इस बार 5,66,214 अधिक किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ प्राप्त हुआ है। 


राज्य में अब तक कितनी हुई गेहूं की खरीद

उत्तर प्रदेश में इस बार गेहूं की खरीद उच्चतम स्तर पर है। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों से वर्ष 2020-21 के रबी सीजन में 54.25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की है। इससे पहले 2018-19 में 52.92 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई थी। वर्ष 2019-20 में 37.04 लाख मीट्रिक टन और 2020-21 में 35.76 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई थी। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 18.49 लाख मीट्रिक टन गेहूं अधिक खरीदा गया है।


इस सीजन देश में कितनी हुई न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अब तक पूरे देश से लगभग 416.44 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 371.33 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी। जो कि पिछले साल के मुकाबले 12.14 प्रतिशत ज्यादा है। गेहूं खरीद में टॉप 5 राज्यों में पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं। कुल खरीद में 132.1 लाख मीट्रिक टन के साथ पंजाब सबसे ऊपर है, दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है जहां 128.08 एलएमटी की खरीद हुई है जबकि 84.93 एलएमटी के साथ तीसरे नंबर पर हरियाणा और 45.78 एलएमटी के साथ उत्तर प्रदेश चौथे नंबर पर है। 20.63 एलएमटी के साथ राजस्थान पांचवें नंबर पर जबकि 4.92 फीसदी में देश के अन्य सभी राज्य शामिल हैं। 


किसानों की मांग, 30 जून तक की जाए एमएसपी पर गेहूं की खरीद

यूपी सरकार की ओर से गेहूं खरीद की अंतिम तिथि 22 जून तक के लिए बढ़ा दी गई है, लेकिन किसान चाहते हैं कि राज्य सरकार 30 जून तक गेहूं की खरीद करें। इसके पीछे कारण ये है कि पंजीकरण कराने वाले काफी किसान अभी तक गहूं की बिक्री नहीं कर सके हैं। सभी केंद्रों पर लगातार गेहूं आ रहा है और ऐसे में किसान नेताओं ने 30 जून तक खरीद की तिथि बढ़ाने की मांग उठाई है। बता दें कि एक अप्रैल से खरीद के लिए 27 केंद्र खुल गए थे। कुछ दिन बाद केंद्रों की संख्या 30 कर दी गई थी। अब तक खाद्य एवं रसद विभाग के पोर्टल पर 10895 किसान पंजीकरण करा चुके हैं। इसके सापेक्ष 8577 किसानों ने 26046 मीट्रिक टन गेहूं बेचा है। लगातार केंद्रों पर गेहूं की आवक हो रही है। हर दिन 500 से 600 मीट्रिक टन की खरीद है। इस संबंध में किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सवित मलिक का कहना है कि पिछले माह व्यवस्था यह कर दी गई थी कि एक दिन में एक किसान से अधिकतम 30 कुंतल की खरीद होगी। यानी कि अधिक मात्रा होने पर किसानों को अगले दिन आना पड़ा। 


बिहार में 15 जुलाई तक चलेगी गेहूं की सरकारी खरीद

बिहार में गेहूं की सरकारी खरीद सबसे लेट 20 अप्रैल से शुरू हुई थी। भारतीय खाद्य निगम के एक्शन प्लान के मुताबिक यहां 15 जुलाई तक खरीद होगी। अन्य राज्यों में खरीद प्रक्रिया इससे एक महीने पहले ही बंद हो जाएगी। नीतीश कुमार सरकार ने 2021-22 में पहले सिर्फ 1 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा। अब इसे बढ़ाकर 7 लाख मीट्रिक टन कर दिया है। यहां पैक्स के जरिए किसानों से खरीद की जाती है। 


बिहार ने गेहूं खरीद में अपना पिछले छह साल का रिकार्ड तोड़ा

बिहार सरकार ने इस साल यानी रबी सीजन 2021-22 में गेहूं खरीद के मामले में पिछले छह साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पिछले छह साल में यहां सिर्फ 0.26 लाख मिट्रिक टन गेहूं की ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गई थी। जबकि इस बार अकेले यहां 22 मई तक रिकॉर्ड 1.23 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है। हालांकि, इस आंकड़े के बावजूद वह पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, यूपी और राजस्थान के मुकाबले बहुत पीछे है। जिसकी वजह से उसके किसानों को इस साल भी एमएसपी का बहुत कम हिस्सा मिलेगा।  

 

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