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हमले की आशंका : जानें टिड्डी दल से खेत को बचाने के कारगर तरीके

Published - 29 May 2020

टिड्डी दल के हमले से तबाही का मंजर

देश के कुछ राज्यों में पिछले कई दिनों से टिड्डी दल ने तबाही मचा रखी है। टिड्डी दल में इनकी संख्या करोड़ों में होती है। दो ढाई इंच लंबे टिड्डी गन्ना, बाजरा, मूंग, फल, सब्जी समेत तमाम फसलों को कुछ ही घंटों में खा जाते हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश में तबाही मचाने के बाद टिड्डी दलों ने हवा के रूख के अनुसार अपनी दिशा तय कर ली है। दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में सरकारों ने टिड्डी दल के पहुंचने को लेकर अलर्ट जारी किए हैं। 
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, टिड्डियों के झुंड के बिहार और उड़ीसा तक पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन दक्षिण भारत में इन कीटों के पहुंचने की संभावना कम है। एफएओ ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में, भारत में टिड्डियों के वयस्क समूहों का आना हुआ है और ये भारत-पाकिस्तान सीमा से पूर्व की ओर बढ़ रहे हैं। एफएओ ने ताजा सूचना में कहा कि टिड्डियों के झुंड उत्तरी भारत की ओर चले गए हैं। राजस्थान के पश्चिम भाग से आये टिड्डियों के समूह राज्य के पूर्वी हिस्से तथा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे मध्यवर्ती राज्यों की ओर बढ़ रहे हैं।

 

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टिड्डी दल से अपने खेत को बचाने के कारगर तरीके

  • खेतों में एक साथ मिलकर आग जलाकर पटाखे फोड़ें।
  • बलुई मिट्टी वाले खेत टिड्डी दल की पसंद हैं। ये हमेशा बलुई मिट्टी में अंडे देता है, ऐसे में इन खेतों को खाली न रहने दें, जोत दें।
  • खेतों में पानी भर दें, जिससे प्रजनन और अंडे देने की कोई गुंजाइश न रहे।
  • थाली-खाली टिन को जोर से पीटें, ढोल नगाड़े बजाकर तेज आवाज करें, इससे भी ये कीट भाग जाता है।
  • टिड्डियों का दल आवाज के कंपन को महसूस करता है। इस कारण आजकल इन्हें भगाने के लिए डीजे का भी प्रयोग किया जाने लगा है। यह आवाज को दूर से भांपकर अपना रास्ता बदल लेते हैं अथवा खेतों से उडक़र दूर चले जाते हैं। 
  • इसके अलावा फसलों को टिड्डी दल के हमले से बचाने के लिए  हेस्टाबीटामिल, क्लोरफाइलीफास और बेंजीएक्सटाक्लोराइड का खेतों में छिडक़ाव करना चाहिए। 
  • साथ ही ड्रोन से रसायन का छिडक़ाव किया जा रहा है। वहीं सरकारी स्तर पर भी इस तरह के प्रयास किए जाते हैं। हालांकि इतने बड़े पैमाने पर ऐसे उपाय करना काफी मुश्किल काम है। 
  • खाली पड़े खेतों में टिड्डी दल अंडे देता है। जिन्हें नष्ट करने के लिए खेतों में गहरी खुदाई की जानी चाहिए और फिर इनमें पानी भर देना चाहिए।

 

 

टिड्डी दल से बचाव के लिए हैल्पलाइन नंबर

उत्तरप्रदेश : टिड्डी दल के खतरे को लेकर यूपी में राज्य स्तर पर बने कंट्रोल रूम में टेलीफोन संख्या 0522-2205867 पर सूचना दी जा सकती है। 
मध्यप्रदेश : राज्य स्तर पर भी नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है, जिसका दूरभाष नंबर 0755-255-8823 है। किसान इस नंबर पर सूचना देकर आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।

 

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टिड्डी दल के हमले से राज्यों में बचाव की तैयारी 

हरियाणा : हरियाणा ने सात जिलों में हाई अलर्ट जारी किया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग संजीव कौशल ने बताया कि हम तैयार हैं, सात जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। हमारे पास कीटनाशकों का पर्याप्त भंडार है और हमने किसानों के समूह को भी सूचित कर दिया है। यहां तक कि हमने व्हाट्सएप पर भी किसानों का एक समूह बनाया है। उन्होंने बताया कि छिडक़ाव की सुविधा वाले ट्रैक्टरों को भी तैयार किया गया है। हम सभी एहतियात बरत रहे हैं।

कर्नाटक : कर्नाटक सरकार का दावा है कि  हवा की दिशा में बदलाव के चलते राज्य में टिड्डी दल के पहुंचने की संभावना बेहद कम है। कृषि मंत्री बीसी पाटिल ने बताया कि बचाव उपायों के तहत, टिड्डी दल के हमले की सूरत में इससे निपटने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। 

उत्तरप्रदेश : राज्य के कृषि मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश स्तर पर टिड्डी दल के नियंत्रण हेतु नियंत्रण कक्ष तथा गठित टीमें, टिड्डी दलों के प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में आक्रमण एवं उनकी गतिविधियों का नियमित पर्यवेक्षण करें तथा सम्बन्धित जिलों को आवश्यक सुरक्षात्मक निर्देश दें। कीटनाशक के छिडक़ाव एवं अन्य उपायों के जरिए लाखों की संख्या में टिड्डे मारे गए हैं। बचे दल को भगाने एवं मारने के प्रयास किए जा रहे हैं।

दिल्ली : केजरीवाल सरकार ने राजधानी में रेगिस्तानी टिड्डियों के संभावित हमले को रोकने के लिए संबंधित अधिकारियों से खड़ी फसलों, बाग-बगीचों में कीटनाशकों का छिडक़ाव करने को कहा है। 

हिमाचल प्रदेश : हिमाचल प्रदेश में टिड्डियों के दल के हमले का अलर्ट जारी किया गया है। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि हाई अलर्ट, राज्य के 12 में से चार जिलों के लिए जारी किया गया है जिनमें कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर और सोलन हैं। टिड्डियों की गतिविधि पर निरंतर और लगातार नजर रखने के लिए क्षेत्र के कर्मचारियों को सतर्क कर दिया गया है और टिड्डियों के कारण सामने आने वाली किसी भी आपात स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।

 

कीटनाशकों का छिडक़ाव ड्रोन और हेलिकॉप्टर से होगा

टिड्डी दलों पर नियंत्रण के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के विभागीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने समीक्षा की। उन्होंने कहा कि राज्यों के साथ मिलकर सभी आवश्यक कदम भी उठाए जा रहे हैं, एडवायजरी जारी की जा चुकी हैञ ब्रिटेन से अतिरिक्त स्प्रेयर 15 दिनों के अंदर देश में आना शुरू हो जाएंगे। इनका आर्डर पहले ही दिया जा चुका है। इसके अलावा 45 और स्प्रेयर भी अगले एक-डेढ़ महीने में खरीद लिए जाएंगे। ऊंचे पेड़ों व दुर्गम क्षेत्रों में प्रभावी नियंत्रण हेतु कीटनाशकों के छिडक़ाव के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। क्षेत्रवार 11 नियंत्रण कक्ष स्थापित कर विशेष दलों की तैनाती करते हुए उनके साथ अतिरिक्त कर्मचारी भी लगाए गए हैं।

 

ड्रोन से छिडक़ाव के लिए ई-टेंडर आमंत्रित 

ऊंचे पेड़ों व दुर्गम क्षेत्रों में प्रभावी नियंत्रण हेतु ड्रोन से कीटनाशकों के छिडक़ाव हेतु ई-टेंडर आमंत्रित किए गए हैं। जल्द ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा अनुमोदित ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। इसी प्रकार 55 वाहनों की खरीद के आदेश दे दिए गए है। स्प्रे के लिए हेलीकॉप्टरों की सेवाएं लेने की भी तैयारी है।

 

इन जगहों पर टिड्डी दल किए नियंत्रित

अब तक राजस्थान के जैसलमेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, बाड़मेर, नागौर, अजमेर, पाली, बीकानेर, भीलवाड़ा, सिरोही, जालोर, उदयपुर, प्रतापगढ़, चित्तौडग़ढ़, दौसा, चुरू, सीकर, झालावाड़, जयपुर, करौली एवं हनुमानगढ़, मध्यप्रदेश के मंदसौर, नीमच, उज्जैन, रतलाम, देवास, आगर,मालवा, छतरपुर, सतना ग्वालियर, गुजरात के बनासकांठा और कच्छ, उत्तरप्रदेश में झांसी और पंजाब के फाजिल्का जिले में हॉपर और गुलाबी झुंडों को नियंत्रित किया गया है। 

 

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