Published - 19 Mar 2020
भारतीय किसान हमेशा खेतों में नील गाय, गाय, भैंस व अन्य पशुओं के घुसने से फसल बर्बादी को लेकर परेशान रहते हैं। कभी-कभी पशुओं का झुंड पूरा का पूरा खेत चर जाता है। ट्रैक्टर जंक्शन आपको कुछ कारगर नुस्खे बता रहा है जिससे आवारा पशु आपके खेत के पास नहीं आएंगे।
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मुगी के 10-12 अंडों और 50 ग्राम वाशिंग पाउउर को 25 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाएं और खड़ी फसल की मेड़ों पर छिडक़ाव कर दीजिए, इसकी गंध से आवारा पशु व नीलगाय खेत में नहीं जाएंगे। गर्मी और सर्दी के महीने में एक बार छिडक़ाव करा चाहिए और बारिश के मौसम में जरुरत के हिसाब से छिडक़ाव किया जा सकता है।
तीन किलो नीम की खली और तीन किलो ईंट भट्टे की राख का पाउडर बनाकर प्रति बीघा के हिसाब से छिडक़ाव किया जा सकता है। इससे फसल को भी फायदा होता है। नीम की खली से कीट और रोगों की लगने की समस्या भी कम हो जाती है और नील गाय खेत के पास नहीं आती है। नीम की गंध से जानवर फसलों से दूर रहते हैं। इसका छिडक़ाव महीने या फिर पंद्रह दिनों में किया जा सकता है।
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नील गायों को खेतों की ओर आने से रोकने के लिए 4 लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालें। इस घोल का पांच दिन बाद छिडक़ाव करें। इसकी गंध से करीब 20 दिन तक नील गाय खेतों में नहीं आएगी। इसे 15 लीटर पानी के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है।
20 लीटर गौमूत्र, 5 किलोग्राम नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतूरा, 2 किग्रा मदार की जड़, फल-फूल, 500 ग्राम तंबाकू की पत्ती, 250 ग्राम लहसुन, 150 ग्राम लालमिर्च पाउडर को एक डिब्बे में भकर वायुरोधी बनाकर धूप में 40 दिन के लिए रख दें। इसके बाद एक लीटर दवा 80 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिडक़ाव करने से महीना भर तक नीलगाय फसलों को नुकसानन नहीं पहुंचाती है। इससे फसल की कीटों से भी रखा होती है।
खेत के चारों ओर कंटीले तार, बांस की फट्टियां या चमकीली बैंड से घेराबंदी करें। खेत की मेड़ों के किनारे पेड़ जैसे करौंदा, जेट्रोफा, तुलसी, खस, जिरेनियम, मेंथा, लेमन ग्राम, सिट्रोनेला, पामारोजा का रोपण भी नीलगाय व आवारा जानवरों से सुरक्षा देंगे।
खेत में आदमी के आकार का पुतला बनाकर खड़ा करने से रात में नील गाय देखकर डर जाती है। नीलगाय के गोबर का घोल बनाकर मेड़ से एक मीटर के अंदर फसलों पर छिडक़ाव करने से अस्थाई रूप से फसलों की सुरक्षा की जा सकती है।
एक लीटर पानी में एक ढक्कन फिनाइल के घोल के छिडक़ाव से फसलों को बचाया जा सकता है। खेत में रात के समय मिट्टी के तेल की डिबरी जलाने से नील गाय नहीं आती है।
गधों की लीद, पोल्ट्री का कचरा, गोमूत्र, सड़ी सब्जियों की पत्तियों का घोल बनाकर फसलों पर छिडक़ाव करने से नील गाय खेतों के पास नहीं फटकती है।
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