user profile

New User

Connect with Tractor Junction

सोयाबीन की खेती कैसे करें : जानें, सोयाबीन की उन्नत किस्में और बुवाई का तरीका

Published - 05 May 2022

जानें, सोयाबीन की उन्नत किस्में और बुवाई का सही तरीका

सोयाबीन की बुवाई जून के प्रथम सप्ताह से शुरू हो जाती है। ऐसे में सोयाबीन की बंपर पैदावार लेने के लिए किसानों को इसकी उन्नत किस्में और बुवाई के सही तरीके की जानकारी होना बेहद जरूरी है। सोयाबीन के किसानों को अच्छे भाव मिलते हैं क्योंकि सोयाबीन से तेल निकाला जाता है। इसके अलावा सोयाबीन से सोया बड़ी, सोया दूध, सोया पनीर आदि चीजें बनाई जाती है। बता दें कि सोयाबीन तिलहनी फसलों में आता है और इसकी खेती देश के कई राज्यों में होती है। विशेषकर मध्यप्रदेश में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है सोयाबीन का भारत में 12 मिलियन टन उत्पादन होता है। यह भारत में खरीफ की फसल है। भारत में सबसे ज्यादा सोयाबीन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में उत्पादित होती है। मध्य प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन में 45 प्रतिशत जबकि महाराष्ट्र का 40 प्रतिशत हिस्सा है। इसके अलावा बिहार में किसान इसकी खेती कर रहे है। मध्यप्रदेश के इंदौर में सोयाबीन रिसर्च सेंटर है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को सोयाबीन की खेती की जानकारी दें रहे हैं।

सोयाबीन में पाए जाने वाले पोषक तत्व

सोयाबीन में प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, विटामिन ई, बी कॉम्प्लेक्स, थाइमीन, राइबोफ्लेविन अमीनो अम्ल, सैपोनिन, साइटोस्टेरॉल, फेनोलिक एसिड एवं अन्य कई पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। इसमें आयरन होता है जो एनिमिया को दूर करता है।

सोयाबीन की खेती का उचित समय (Soyabean ki Kheti)

खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुवाई प्रमुखता से की जाती है। इसकी बुवाई जून के प्रथम सप्ताह से शुरू हो जाती है। लेकिन सोयाबीन की बुवाई का सर्वोत्तम समय जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई के मध्य तक होता है। 

सोयाबीन की खेती के लिए जलवायु व मिट्टी

सोयाबीन की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु में अच्छी रहती है। इसकी खेती के लिए उचित तापमान 26-32 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। सोयाबीन की खेती के अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि अच्छी रहती है। मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 सेल्सियस होना चाहिए ।

सोयाबीन की उन्नत किस्में

भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने चार सोयाबीन किस्मों का विकास किया है जैसे एनआरसी 2 (अहिल्या 1), एनआरसी -12 (अहिल्या 2), एनआरसी -7 (अहिल्या 3) और एनआरसी -37 (अहिल्या 4) है। इसके अलावा संस्थान ने कई किस्मों जैसे-जेएस 93-05, जेएस 95-60, जेएस 335, जेएस 80-21, एनआरसी 2, एनआरसी 37, पंजाब 1, कलितुर को उच्च बीज लॉजिविटी के साथ विकसित किया गया है। इसके अलावा एम. ए.सी.एस.भारतीय वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की एक नई किस्म जो अधिक उपज देने वाली और कीट प्रतिरोधी किस्म एमएसीएस 1407 विकसित की है। यह नई किस्म असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त बताई जा रही है। इसके बीज वर्ष 2022 के खरीफ के मौसम के दौरान किसानों को बुवाई के लिए उपलब्ध कराएं जाएंगे। यह किस्म से उपज में 17 से प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर में 39 क्विंटल का पैदावार ली जा सकती है। इसकी बुवाई का उचित समय 20 जून से 5 जुलाई है। इसके बीजों में 19.81 प्रतिशत तेल की मात्रा है।

सोयाबीन की खेती के लिए तैयारी (soyabean ki kheti)

रबी फसल की कटाई उपरांत खेत की गहरी जुताई रिवर्सिबल मोल्ड बोर्ड प्लाऊ से प्रति तीन वर्ष के बाद पर अवश्य करें एवं प्रति वर्ष खेत अच्छी तरह तैयार करें। गहरी जुताई के लिए रिजिड टाईन कल्टीवेटर अथवा मोल्ड बोर्ड प्लाऊ का प्रयोग करें। प्रति तीन वर्षों बाद खेत का समतलीकरण जरूर करें। खेत की ग्रीष्मकालीन जुताई के बाद सोयाबीन की फसल को बोया जाना चाहिए। सोयाबीन की बुवाई में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पहले फसल सीजन में बोई फसल के साथ नहीं बोना चाहिए। एक बात और 100 मिमी वर्षा होने पर ही इसकी बुवाई करना उचित रहता है। इससे कम बारिश में इसकी बुवाई नहीं करनी चाहिए।

बुवाई के लिए बीज व उसकी मात्रा

सोयाबीन की बुवाई के लिए हमेशा प्रमाणिक बीज ही उपयोग में लेना चाहिए। यदि स्वयं के खेत में पिछली बार बचाए गए बीज प्रयोग में ले रहे है तो उसे पहले उपचारित कर लेना चाहिए। बाजार से लिए गए बीज प्रमाणिक हो इसके लिए सहकारी बीज भंडार से बीज खरीदें और इसकी पक्की रसीद अवश्य लें। सोयाबीन की बुवाई के लिए बीज की मात्रा का निर्धारण दानों के आकार के अनुसार बीज की मात्रा का निर्धारण करें। पौध संख्या 4-4.5 लाख/हेक्टेयर रखें। वहीं छोटे दाने वाली प्रजातियों के लिए बीज की मात्रा 60-70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। बड़े दाने वाली प्रजातियों के लिए बीज की मात्रा 80-90 कि.ग्रा. प्रति हेक्टयर की दर से निर्धारित करें। 

सोयाबीन की बुवाई का तरीका/विधि

किसानों को सोयाबीन की बुवाई पंक्तियों में करनी चाहिए जिससे फसलों का निराई करने में आसानी होती है। किसानों को सीड ड्रिल से बुवाई करना चाहिए जिससे बीज एवं उर्वरक का छिडक़ाव साथ में किया जा सके। सोयाबीन की बुआई फरो इरिगेटेड रेज्ड बैड पद्धति या ब्राड बैड पद्धति (बी.बी.एफ) से करनी चाहिए। इस पद्धति से बुआई करने के लिए परंपरागत विधि की अपेक्षा थोड़ी सी अधिक लागत द्वारा लाभ को बढ़ाया जा सकता है। विपरीत परिस्थितयां जैसे-अधिक या कम वर्षा की स्थिति में भी सोयाबीन फसल में इसके द्वारा अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। इस विधि में प्रत्येक दो पंक्ति के बाद एक गहरी एवं चौड़ी नाली बनती है, जिससे अधिक वर्षा की स्थिति में वर्षा जल इन नालियों के माध्यम से आसानी से खेत से बाहर निकल जाता है और फसल ऊंची मेड पर रहने के कारण सुरक्षित बच जाती है जबकि समतल विधि में अधिक में वर्षा होने पर खेत में पानी भर जाता है और फसल खराब हो जाती है। इसी प्रकार कम वर्षा की स्थिति में इन गहरी नालियों में वर्षा जल संग्रहित होता है और पौधे को नमी प्राप्त होते रहती है, जिससे पौधों में पानी की कमी नहीं होती। इसके साथ ही साथ चौड़ी नाली के कारण प्रत्येक पंक्ति को सूर्य की रोशनी एवं हवा पर्याप्त मात्रा में मिलती है। पौधों के फैलाव के लिए अधिक जगह मिलती है, जिससे पौधों की शाखाओं में वृद्धि होती है तथा अधिक मात्रा में फूल एवं फलियां बनती हैं और परिणामस्वरूप उत्पादन में वृद्धि होती है।

कतारों में बुवाई में दूरी का निर्धारण

सोयाबीन की बुवाई 45 सेमी से 65 सेमी की दूरी पर सीड ड्रिल की सहायता से या हल के पीछे खूंट से करनी चाहिए।  कतारों में सोयाबीन की बुवाई करते समय कम फैलने वाली प्रजातियों जैसे जे.एस. 93-05, जे.एस. 95-60 इत्यादि के लिए बुवाई के समय कतार से कतार की दूरी 40 से.मी. रखें। वहीं अधिक फैलनेवाली किस्में जैसे जे.एस. 335, एन.आर.सी. 7, जे.एस. 97-52 के लिए 45 से.मी. की दूरी रखनी चाहिए। वहीं पौधे से पौधे की दूरी 4 सेमी से 5 सेमी. तक होनी चाहिए। इसकी बुवाई 3-4 से.मी. गड्डे से ज्यादा नही होनी चाहिए।

सोयाबीन की फसल में खाद एवं उर्वरक प्रयोग

सोयाबीन की फसल में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही किया जाना चाहिए। रासायनिक उर्वरकों के साथ नाडेप खाद, गोबर खाद, कार्बनिक संसाधनों का अधिकतम (10-20 टन/हेक्टेयर) या वर्मी कम्पोस्ट 5 टन/हेक्टेयर उपयोग करें। संतुलित रसायनिक उर्वरक प्रबंधन के अंतर्गत संतुलित मात्रा 20:60 - 80:40:20 (नत्रजन: स्फुर: पोटाश: सल्फर) का उपयोग करें। संस्तुत मात्रा खेत में अंतिम जुताई से पूर्व डालकर भली-भांति मिट्टी में मिला देंवे। वहीं नत्रजन की पूर्ति हेतु आवश्यकता अनुरूप 50 किलोग्राम यूरिया का उपयोग अंकुरण बाद 7 दिन से डोरे के साथ डाले। इसके अलावा जस्ता एवं गंधक की पूर्ति के लिए अनुशंसित खाद एवं उर्वरक की मात्रा के साथ जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मिट्टी परीक्षण के अनुसार डालें।

सोयाबीन में सिंचाई

सोयाबीन की फसल खरीफ की फसल होने से इसमें सिंचाई की कम ही आवश्यकता पड़ती है। लेकिन यदि फली भरने के समय कोई लंबा सूखा पड़ता है, तो एक सिंचाई की आवश्यकता होती है। वहीं इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बरसात के दौरान खेत में जल का भराव नहीं होना चाहिए। 

सोयाबीन की कटाई 

सोयाबीन की फसल को पकने में 50 से 145 दिनों का समय लगता है जो उसकी किस्म पर निर्भर करता है। सोयाबीन की फसल जब परिपक्व हो जाती है तब उसकी पत्तियां पीली हो जाती हैं, और सोयाबीन की फली बहुत जल्दी सूख जाती है। कटाई के समय, बीजों में नमी की मात्रा लगभग 15 प्रतिशत होनी चाहिए। 

सोयाबीन की प्राप्त उपज

सोयाबीन की उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करके किसान इसकी 18-35 क्विंटल तक की औसत पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। वहीं एम. ए.सी.एस.भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सोयाबीन की नई किस्म एमएसीएस 1407 से प्रति हेक्टेयर में 39 क्विंटल की पैदावार पा सकते हैं। इसमें तेल की मात्र 19 प्रतिशत बताई गई है। 


अगर आप नए ट्रैक्टरपुराने ट्रैक्टरकृषि उपकरण बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

Certified Used Tractors

Swaraj 744 एफई
₹ 1.40 Lakh Total Savings

Swaraj 744 एफई

48 HP | 2021 Model | Ahmednagar, Maharashtra

₹ 6,00,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Mahindra 475 डीआई
₹ 2.25 Lakh Total Savings

Mahindra 475 डीआई

44 HP | 2019 Model | Sikar, Rajasthan

₹ 4,50,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Sonalika डीआई 50 आरएक्स
₹ 1.47 Lakh Total Savings

Sonalika डीआई 50 आरएक्स

52 HP | 2020 Model | Rajgarh, Madhya Pradesh

₹ 5,70,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Powertrac 434 प्लस
₹ 2.08 Lakh Total Savings

Powertrac 434 प्लस

37 HP | 2023 Model | Chittaurgarh, Rajasthan

₹ 3,32,500
Certified
icon icon-phone-callContact Seller

View All