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कम लागत में पैरा मशरूम की खेती से पाएं अधिक मुनाफा

Published - 31 May 2021

एक कमरे में भी किया जा सकता है इसका उत्पादन, जानें, पैरा मशरूम उगाने का सही तरीका और इससे लाभ

आजकल किसानों की दिलचस्पी मशरूम की खेती करने में अधिक दिखाई देने लगी है। खासकर युवा किसानों में जो खेती को रोजगार और व्यापार के रूप में अपना रहे हैं। मशरूम की खेती का इतिहास काफी पुराना है। सर्वप्रथम इसकी खेती चीन में सन् 1822 में की गईं थी। भारत वर्ष में इस मशरूम की खेती सर्वप्रथम सन् 1940 में की गई, हालांकि व्यवस्थित ढंग से इसकी खेती का प्रयास 1943 मे किया गया। मशरूम की अनेक प्रजातियां हैं। इनमें से पैरा मशरूम का वैज्ञानिक नाम – Volvariella volvacea  है। भारत में इसे ‘चीनी मशरूम’, धान का पुवाल मशरूम, पैरा मशरूम एवं गर्मी मशरूम के नाम से भी जाना जाता है। सबसे अधिक उष्ण कटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में अनुकूलित है। पैरा मशरूम एक खाद्य मशरूम है। दुनिया भर में, स्ट्रॉ मशरूम तीसरे सबसे अधिक खपत मशरूम हैं। धान-पुआल मशरूम (पैरा मशरूम) एक स्वादिष्ट, पौष्टिक भोजन और समृद्ध प्रोटीन से परिपूर्ण है। इसकी उत्पादन लागत कम है और लगभग 40-45 दिनों की फसल अवधि है। 

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धान का पुआल में इसे उगाना आसान

धान का पुआल इस मशरूम को उगाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे प्रचलित सबस्ट्रेट्स में से एक है। यह प्रजाति कई सेल्यूलोसिक सब्सट्रेट पर अच्छी तरह से बढ़ती है, जैसे कि धान का पुआल, गन्ना बैगस, केले के पत्ते, जलकुंभी, कपास की अपशिष्ट आदि पैरा मशरूम उत्पादन अत्याधुनिक तकनीकों के विकास के साथ तेज किया जा सकता है।

भारत में कहां-कहां होता है पैरा मशरूम का उत्पादन

वर्तमान में यह मशरूम समुद्रतटीय राज्यों जैसे कि उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, केरल तथा पश्चिम बंगाल मे सर्वाधिक लोकप्रिय है। छत्तीसगढ़ में जांजगीर चांपा, महासमुंद, बिलासपुर, मुंगेली, रायपुर, धमतरी, कोरिया, जशपुर क्षेत्रों में भी उत्पादन किया जाता है। 

पैरा मशरूम उगाने का सही समय

पैरा मशरूम उगाने का सही समय भारत मे धान पुवाल मशरूम माह अप्रैल के मध्य से माह सितंबर तक उगाई जाती है तथा इस मशरूम को प्राकृतिक रूप से सड़े गले धान के पुआल में जुलाई से सितंबर तक पाई जाती है।

पैरा मशरूम के लिए जलवायु

इसके लिए तापमान बीज फैलाव हेतु (सेल्सियस) 32-38, एवं फलन हेतु (सेल्सियस) 28-32 तथा नमी 80-85 (प्रतिशत) तक हो।

पैरा मशरूम उगाने के लिए  आवश्यक सामग्री

  • धान का पुआल-  पैरा मशरूम की खेती में धान का पुआल सबसे महत्वपूर्ण है। यह धान के पौधे का उप-उत्पाद है। बिस्तर सामग्री के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 1.5 फीट लंबे एवं 1/2 फीट चौड़े बंडल 1-2 किलो ग्राम पैरा बंडल की 16 से 20 बंडल की 1 बेड बनाने के लिए जरूरत होती है।
  • मशरूम स्पॉन-  ‘स्पॉन’ या ‘मशरूम बीज पूरी प्रक्रिया की पहली आवश्यकता है। हमेशा उस पर सफेद माइसेलियम के साथ स्वस्थ स्पॉन खरीदें। अवांछित रंग जैसे, गहरे भूरे, काले और हरे रंग के साथ स्पॉन को त्यागें।
  • फॉर्मेलिन और कैल्शियम कार्बोनेट-  पैरा को उपचारित करने के लिए 100 लीटर पानी के लिए 135 मिलीलीटर फॉर्मेलिन एवं कैल्शियम कार्बोनेट पैरा के पीएच को कम करने के लिए 100 लीटर पानी में 200 ग्राम डाला जाता है।
  • बेसन ( चना/लाकडी ) - 150 से 200 ग्राम प्रति बेड।
  • पारदर्शी पॉलीथिन शीट-  पॉलीथिन शीट का उपयोग स्पॉन वाले मशरूम बेड को ढंकने के लिए किया जाता है।
  • पानी की टंकी या प्लास्टिक ड्रम-  जरूरत के हिसाब से पानी की टंकी का आकार और संख्या बढ़ाई जा सकती है। 12x4x2 फीट के मानक आकार के टैंक को प्राथमिकता दी जाए। सीमेंट और ईंटों का उपयोग करके एक स्थायी टैंक का निर्माण किया जाता है।
  • पानी का स्रोत-  हमेशा साफ पानी का उपयोग करें। कुंआ बोरवेल, नदी का ताजा पानी, मीठे पानी का अन्य स्रोत।

पैरा मशरूम उगाने की विधि

पैरा मशरूम की खेती खुले क्षेत्र व बंद कमरे में भी की जा सकती है। इसके लिए इस प्रकार  से तैयारी की जाती है-

  • खुले में पैरा मशरूम की खेती-  इस विधि से खेती करने के लिए 100 सेमी लंबीx60 सेमी चौड़ीx 15 – 20 सेमी ऊंची ईंटों की या क्यारियां बनाई जाती हैं सीधी धूप तथा बारिश से बचाने के लिए इसके ऊपर शेड बना दिया जाता है। बाहरी खेती में बारिश, हवा या उच्च तापमान के संपर्क में आने के जोखिम होते हैं, जो उपज को कम करते हैं।
  • कमरे के अंदर पैरा मशरूम की खेती-  कमरे के अंदर बांस या लोहे के एंगल से रैक बनाये। एक के ऊपर एक 45-50 सेमी ऊंची चार रैक बनाये और सबसे नीचे वाली रैक जमीन से 20-30 सेमी ऊपर हो। इस विधि में एक विशेष प्रकार के कंपोस्ट खाद तैयार की जाती है। यह महंगी विधि है।
  • जगह-  सामान्य  तौर पर 7-10 स्क्वायर फीट प्रति बेड की आवश्यकता होती है ।

पैरा मशरूम उत्पादन का तरीका

  • धान पैरा के 1.5 फीट लंबे एवं 1/2 फीट चौड़े बंडल 1-2 किलो ग्राम के एक बंडल तैयार करें उस बंडल के दोनों किनारे को बांधे रखें। एक क्यारी बनाने के लिये 12-16 बंडल की जरूरत होती है।
  • इस बंडल को 14-16 घंटों तक 200 ग्राम कैल्शियम कार्बोनेट, 135 मि. ली. फार्मेलिन प्रति 100 लीटर साफ पानी में भिगाते है उसके बाद पानी को निथार देते हैं।
  • उपचारित बंडलों से पानी निथार जाने के 1 घंटे बाद प्रति बेड 120-150 ग्राम पैरा मशरूम की बीज मिलाते हैं। बिजाई करते समय 4 बंडल को आड़ा बिछाकर उसके किनारे में बीज डालते हैं और उसमे थोड़ा बेसन उसके ऊपर 4 बंडल को तिरछा बिछाते है फिर उसके बाद बीज और बेसन मिलाते हैं। ऐसे ही चार परत तक इस विधि को दोहराते हैं। तब कहीं जाकर एक क्यारी बनता है।
  • बीज युक्त बंडलों को अच्छी तरह से चारों ओर से पालीथिन से 8-10 दिनों के लिए ढंक देते हैं।
  • कवकजाल फैल जाने के बाद पालीथिन सीट को हटाया जाता है। उसके बाद 5-6 दिनों तक हल्का पानी का छिडक़ाव सुबह शाम करते हैं।
  • पैरा मशरूम की कलिकायें 2-3 दिन में बनना प्रारंभ हो जाती है।
  • 4-5 दिनों के भीतर मशरूम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है।

फल और कटाई

अनुकूल नमी और तापमान की स्थिति में लगभग 20-25 दिनों के बाद मशरूम की कटाई होती है। अकेले धान के पुआल में, 15-18 किलोग्राम/100 किलोग्राम गीला सब्सट्रेट प्राप्त किया जा सकता है। मशरूम की कटाई तब की जाती है जब वोल्वा सिर्फ टूटता है और मशरूम अंदर से बाहर निकलता है। धान के पुआल मशरूम प्रकृति में बहुत नाजुक होते हैं और केवल 2-3 दिनों के लिए रेफ्रिजरेटर के स्थिति में संग्रहीत किए जा सकते हैं। मशरूम को छाया या धूप में सुखाया जा सकता है।

प्राप्त उपज और शुद्ध लाभ

पैरा मशरूम की प्रति बेड लगभग 4-5 किलो तक प्राप्त होती है। इसे उगाने में प्रति बेड लगभग 100-150 रुपए का खर्चा आता है। इसका फसल चक्र लगभग 40-45 दिनों की होती है। इसको रेफ्रीजरेटर में 2-3 दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है। अब बात करें इससे प्राप्त आय की तो ये मशरूम बाजार में करीब 150 से 250 रुपए प्रति किलो ग्राम की दर से बाजारों में बिकता है। यदि उत्पादन खर्च निकाल दिया जाए तो इसके बाद भी इससे प्रति बेड लगभग 250 से 350 रुपए शुद्ध लाभ प्राप्त किया जा सकता है। 

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