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किसानों के लिए खुशखबरी : 32 वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किए

Published - 05 Dec 2020

जानें, किन नई वनोपजों का कितना तय किया समर्थन मूल्य

केंद्र सरकार हर साल रबी और खरीफ की फसलों का समर्थन मूल्य जारी करती है और इसी न्यूनतम मूल्य पर किसानों से उपज की खरीद की जाती है। सरकार की ओर से जारी समर्थन मूल्य पूरे देश में लागू होता है। इस समय विभिन्न राज्यों में खरीफ की फसल की खरीद जोरों पर चल रही है। इसी तर्ज पर राज्य सरकारें भी अपने क्षेत्र में अधिक उत्पादित होने वाली वनोपजों का समर्थन मूल्य जारी करती है जिससे किसानों को फायदा हो। हाल ही में किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश शासन ने 32 वनोपजों का समर्थन मूल्य जारी किया गया है। इनमें से 18 नई वनोपजों को भी शामिल किया गया है।

 

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क्या होती है वनोपज

लघु वनोपज (एमएफपी) का अर्थात एैसे उपज हैं जो विभिन्न वन प्रजातियों से फल, बीज, पत्ते, छाल, जड़, फूल और घास आदि के रूप में पाए जाते हैं तथा जिसमें औषधीय जड़ी बूटियां/झाडिय़ों के पूरे भाग सम्मिलित हैं। छत्तीसगढ़ के वन इन लघु वनोपज से बहुत समृद्ध हैं। राज्य में कई लघु वनोपज प्रजातियां वाणिज्यिक महत्व की हैं। यहां कुछ प्रमुख वनोपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद जाता है।  मध्यप्रदेश में भी इसी प्रकार की व्यवस्था है। 

 


पहली बार शामिल किए गिलोय, कालमेघ, गुडमार और जामुन के बीज

मध्य प्रदेश शासन द्वारा 32 लघु वनोपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किए गए हैं। इनमें 18 लघु वनोपजों की प्रजातियों के समर्थन मूल्य पहली बार शामिल किए गए हैं। इसमें प्रमुख रूप से गिलोय, कालमेघ, गुडमार और जामुन बीज शामिल हैं। वहीं इस वर्ष अप्रैल माह में 14 लघु वनोपजों के न्यूनतम मूल्य में वृद्धि भी की गई है। इसमें महुआ फूल, अचार गुल्ली, शहद, पलास लाख एवं कुसुम लाख शामिल हैं। इस तरह प्रदेश में अब तक 32 लघु वनोपजों का न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया जा चुका है। लघु वनोपजों के संग्रहण मूल्य निर्धारित होने से वनवासियों को इन वनोपजों के लिए बिचौलियों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। इससे जहां के किसानों की आय बढ़ेगी। 


इन 18 लघु वनोपजों का निर्धारित किया है समर्थन मूल्य

राज्य सरकार द्वारा जिन 18 लघु वनोपजों का प्रथम बार समर्थन मूल्य प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है, उनमें जामुन बीज 42 रुपए, आंवला गूदा 52, मार्किंग नट (भिलावा) 9 रुपए, अनन्त फूल 35, अमलतास बीज 13, अर्जुन छाल 21, गिलोय 40, कोंच बीज 21, कालमेघ 35 रुपए, बायबिडंग बीज 94, धवई फूल 37, वन तुलसी पत्तियां 22, कुटज (सूखी छाल) 31, मकोय (सूखी छाल) 24, अपंग पौधा 28, इमली (बीज सहित) 36, शतावरी की सूखी जड़ 107 और गुडमार लघु वनोपज 41 रुपए प्रति किलोग्राम न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है।


अब तक केंद्र सरकार ने किसानों से खरीदी 10 हजार रुपए करोड़ की कपास 

इस समय खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2020-21 के दौरान, कपास खरीद का काम सुचारू रूप से चल रहा है। केंद्र सरकार ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक राज्यों के किसानों से अब तक 10 हजार करोड़ से अधिक की कपास खरीदी है। जानकारीके अनुसार 3 दिसंबर को  2020 तक 34,54,429 कपास की गांठें खरीदी गईं जिनका मूल्य 10145.49 करोड़ रुपए हैं जिससे 6,89,510 किसान लाभान्वित हुए हैं। 


पिछले वर्ष की तुलना में इस बार किसानों से ज्यादा खरीदा गया धान

खरीफ 2020-21 के लिए धान की खरीद, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, तमिलनाडु, चंडीगढ़, जम्मू एवं कश्मीर, केरल, गुजरात, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में सुचारु रूप से चल रही है। पिछले वर्ष के 275.98 लाख मीट्रिक टन की तुलना में इस वर्ष 03 दिसंबर 2020 तक 329.86 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद की जा चुकी है और इस प्रकार पिछले वर्ष के मुकाबले धान की खरीद में 19.52 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। कुल 329.86 लाख मीट्रिक टन की खरीद में से अकेले पंजाब सेे 202.77 लाख मीट्रिक टन की खरीदी की गई है जो कि कुल खरीद का 61.47 प्रतिशत है। कुल 62278.61 करोड़ रुपए के एमएसपी मूल्य के साथ लगभग 31.78 लाख किसान अभी तक लाभान्वित हो चुके हैं।


मूंग, उड़द, मूंगफली की फली और सोयाबीन की 120626.22 मीट्रिक टन की खरीद

3 दिसंबर 2020 तक सरकार ने अपनी नोडल एजेंसियों के माध्यम से 649.50 करोड़ रुपये की एमएसपी मूल्य वाली मूंग, उड़द, मूंगफली की फली और सोयाबीन की 120626.22 मीट्रिक टन की खरीद की जिससे तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान के 68,978 किसान लाभान्वित हुए। इसी तरह, 3 दिसंबर 2020 तक 52.40 करोड़ रुपए के एमएसपी मूल्य पर 5089 मीट्रिक टन खोपरे (बारहमासी फसल) की खरीद की गई है, जिससे कर्नाटक और तमिलनाडु के 3,961 किसान लाभान्वित हुए हैं जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 293.34 मीट्रिक टन खोपरे की खरीद की गई थी।  

 

 

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