Published - 10 Dec 2021 by Tractor Junction
दिल्ली बार्डर पर एक साल से चल रहा किसान आंदोलन आखिर समाप्त हो गया है। आंदोलन के खत्म करने की औपचारिक घोषणा के बाद किसान 11 दिसंबर से घर की ओर रवाना होना शुरू हो जाएंगे। बता दें 26 नवंबर 2020 को दिल्ली बार्डर पर किसानों ने केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए नए तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन शुरू किया था। इसमें तीनों नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताकर सरकार से इन्हें रद्द करने की मांग की गई। हालांकि इस दौरान किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बैठकें भी हुई पर कोई नतीजा नहीं निकला। इधर किसान इन नए कृषि बिलों को अपनाने को तैयार नहीं थे तो उधर सरकार इन्हें वापिस लेने को। आखिरकार किसानों के हट के आगे सरकार झुकी और 19 नवंबर 2021 को प्रकाश पर्व पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से क्षमा याचना करते हुए इन तीन नए कृषि कानूनों को वापिस ले लिया। इन कानूनों को लोकसभा और राज्यसभा की ओर से वापिसी के लिए सहमति होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ये तीन नए कृषि कानून रद्द कर हो गए।
विवादित तीनों नए कृषि बिलों के रद्द होने के बाद भी दिल्ली बार्डर पर किसान जमे रहे। वे सरकार से एमएसपी पर ठोस कानून बनाने की मांग कर रहे थे हालांकि सरकार की ओर से एमएसपी पर कोई कानून बनाने का जिक्र नहीं किया गया है। सरकार ने इस पर, बस इतना ही कहा है कि एमएसपी पर फसल खरीद की व्यवस्था आगे भी जारी रहेगी। इन सब बातों के बीच आखिरकार अचानक 9 दिसंबर को किसान नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन को खत्म करने का ऐलान कर दिया। अब 11 दिसंबर से दिल्ली बार्डर पर जमे किसान लौटना शुरू कर देंगे। सिंघु बॉर्डर का माहौल भी किसानों की वापसी का संकेत दे रहा है। यहां लोग टेंट हटाने लगे हैं और लंगर आदि का सामान गाडिय़ों में रखा जाने लगा है।
मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार सिंधु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की हुई बैठक में मौजूद राजस्थान के किसान नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि केंद्र सरकार का अधिकारिक पत्र आ गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने निर्णय लिया है कि किसान आंदोलन स्थगित किया जाता है। हम दिल्ली की घेराबंदी समाप्त कर सभी मोर्चे खाली कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सीडीएस बिपिन रावत के शहीद होने के कारण उनके अंतिम संस्कार होने बाद ही मोर्चे से रवाना होंगे। 11 दिसंबर को मोर्चे से जश्न के साथ रवाना होंगे। बता दें कि सरकार की ओर से मिले नए प्रस्ताव पर किसान संगठनों में सैद्धांतिक सहमति पहले बन गई थी, लेकिन गुरुवार दोपहर को इस पर लंबी चर्चा के बाद फैसला हुआ। इस मीटिंग में किसान संगठनों के 200 से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद थे।
किसानों का मानना है कि अगर आज अधिकारिक रूप से आंदोलन वापसी का ऐलान हो जाता है, तो भी उन्हें यहां से जाने में कई दिन लग जाएंगे। करीब एक किलोमीटर एरिया में किसानों के टेंट-तंबू लगे हैं। इसमें कई पक्के निर्माण भी हैं। उन सबको समेटने में कई दिन का समय लग जाएगा। इसके बाद दिल्ली पुलिस अपनी बैरिकेडिंग हटाएगी। माना जा रहा है कि मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस को पूरी तरह खाली होने में करीब एक हफ्ते का वक्त लग सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर गड़बड़ हुई तो फिर यहीं आ बैठेंगे। साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने भी कहा कि अभी यह आंदोलन स्थगित किया जा रहा है और अगर जरूरत पड़ी तो दोबारा शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से जो चिट्ठी मिली है उसे हम सही से पढ़ेंगे। वो समझ कर हमारे 5 लोग हैं जो जवाब देंगे।
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि हम इस आंदोलन के दौरान सरकार से हुए करारों की समीक्षा करते रहेंगे। यदि सरकार अपनी ओर से किए वादों से पीछे हटती है तो फिर से आंदोलन शुरू किया जा सकता है। इस आंदोलन ने सरकार को झुकाया है। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की समीक्षा बैठक दिल्ली में होगी।
केंद्र सरकार की ओर से कोरोना काल के बीच 2020 में ये तीन नए बिल कृषि बिल किसानों के हित का हवाला देते हुए लागू किए गए थे। लेकिन किसान इन कृषि कानूनों को अपने हित में नहीं मान रहे थे। उन्हें डर था की इन नए तीन कृषि कानूनों से खेती में कॉपोरेट घरानों का अधिकार हो जाएगा जिससे किसानों को हानि होगी। हांलाकि अब सरकार ने इन तीनों कानूनों को रद्द कर दिया है।
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