Published - 20 Oct 2020
सोयाबीन किसानों को इस बार बाजार में फसल बेचने से अच्छे दाम मिल रहे हैं। किसानों का कहना है कि यह पांच साल में पहला मौका है जब सोयाबीन के मंडियों में बेहतर दाम मिल रहे हैं। इस समय महाराष्ट्र की मंडियों में सोयाबीन के भाव 4000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है जबकि सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 3880 रुपए तय किया हुआ है। सरकारी समर्थन मूल्य की बेहतर होने से हाजिर वायादा भावों में भी तेजी आई है जिसका फायदा किसानों को मिल रहा है। इधर सोमवार को कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन का नवंबर वायदा 54 रुपए की तेजी के साथ 4243 रुपए प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहा था। महाराष्ट्र राज्य कृषि मूल्य आयोग के पूर्व चेयरमैन पाशा पटेल का कहना कि पिछले कई वर्षों बाद किसानों को उनकी उपज (सोयाबीन) का बेहतर भाव मिल रहा है। फसलों की कटाई के समय का पिछले 4-5 साल का ट्रेंड देखें तो सोयाबीन के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे थे। इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ था। कई साल बाद पहला मौका है जब भाव एमएसपी से ऊपर चल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक देशभर की प्रमुख हाजिर मंडियों में सोयाबीन का भाव 4000 रुपए के आसपास चल रहा है। 19 अक्टूबर को मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में हाजिर में बढिय़ा क्वालिटी वाली सोयाबीन का दाम 4000-4200 रुपए के बीच था।
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मध्य प्रदेश के किसानों से जुड़ी संस्था समृद्ध किसान के वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि इस साल मध्य प्रदेश के किसानों को सोयाबीन का उचित भाव मिल रहा है, जिससे में सोयाबीन बेचने वाले किसानों में उत्साह दिखाई दे रहा है। मध्य प्रदेश के ही उज्जैन जिले के बढऩगर की फॉर्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी के सुरेन्द्र का कहना है कि मंडियों में अच्छी क्वालिटी के सोयाबीन का दाम 4300 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। हाजिर में भाव बढऩे से वायदा में भी तेजी का रुख है। उनका कहना है कि बाजार में जितनी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी किसानों को उनकी उपज का भाव बाजिव मिलेगा।
इस बार कई जगह भारी बारिश की वजह से सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचा है। इससे उत्पादन में कमी आई है। बात करें देश में सबसे अधिक सोयाबीन उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की तो यहां इस साल भारी बारिश के कारण 20 फीसदी नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। इसमें मध्यप्रदेश में बारिश की कमी और महाराष्ट्र में अत्यधिक बारिश की वजह से फसल बर्बाद हुई। इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ। अब चूंकी बाजार में किसानों को सोयाबीन के अच्छे दाम मिल रहे हैं इससे किसानों के नुकसान की भरपाई हो सकेगी।
भावों का अंतर देखें तो सोयाबीन का बाजार भाव, सरकार द्वारा तय किए गए भाव से काफी ज्यादा हैं। इससे किसानों को निजी मंडियों में सोयाबीन बेचने से फायदा हो रहा है। फिर भी सरकार द्वारा तय किए गए भावों से एक फायदा है कि खरीद शुरू होने पर इससे कम भाव में व्यापारी किसानों से सोयाबीन की खरीद नहीं कर पाएंगे। इसलिए एमएसपी भी किसान के लिए बेहद जरूरी हैं ताकि बाजार में भाव नीचे गिरने लगे तो किसान एमएसपी पर अपनी उपज बेचकर अपनी हानि की भरपाई कर सके।
सोयाबीन फसल की बुआई से लेकर कटाई तक किसानों को प्रति बीघा के हिसाब से करीब ढाई हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। किसानों के द्वारा बताया जा रहा है कि, प्रति बीघा जमीन की 02 वार की जुताई 750 रुपए, पंजी की हकाई 250 रुपए, सोयाबीन की बुवाई 250 रुपए, 1200 रुपए की बीज, थ्रेसर की कटाई 500 रुपए, दबाई 200 रुपए और मजदूरों से कटाई 1000 यानि कुल 4 हजार से 4200 रुपए का खर्चा करना पड़ता है। इस हिसाब से देखें तो सोयाबीन की फसल बेचने से किसान की लागत ही निकल पाती है। इसलिए किसानों को चाहिए कि सोयाबीन की फसल के साथ अन्य सहायक फसलें भी उगाएं ताकि एक फसल में हानि होने पर दूसरी फसल को बेचकर उसकी भरपाई की जा सके।
राजस्थान में सोयाबीन और मूंगफली की समर्थन मूल्य पर खरीद की जाएगी। इसके लिए 20 अक्टूबर से पंजीयन शुरू हो जाएगा। मीडिया में प्रसारित खबरों के अनुसार सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना के मुताबिक सोयाबीन के लिए 79 खरीद केन्द्र चिह्नित किए गए हैं। ई-मित्र और खरीद केन्द्रों पर ऑनलाइन पंजीकरण सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक हो सकेगा। बिना पंजीकरण के किसानों से खरीद नहीं होगी। इस बार राजस्थान में किसानों से सोयाबीन की 2.92 लाख टन उपज खरीदने का लक्ष्य हैं।
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