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आवश्यक वस्तु अधिनियम संशोधन का असर : बढऩे लगी आलू व प्याज की कीमतें

Published - 26 Sep 2020

प्याज के निर्यात पर रोक के बावजूद कीमतों पर नियंत्रण नहीं

जब से आवश्यक वस्तु अधिनियम संशोधन के तहत आलू व प्याज को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर किया है तब से ही आलू और प्याज की कीमतें बढ़ती जा रही है। प्याज का हाल तो और भी बुरा है। सरकार ने इसके निर्यात तक पर रोक लगा दी ताकि इसकी कीमतों में स्थिरता आ सके लेकिन इसका भी इसके भावों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। इसकी कीमतों में तेजी से बढ़ रही है जिससे लोगों के लिए आलू और प्याज खाना काफी महंगा होता जा रहा है। 

इस संबंध में व्यापारियों के एक संगठन फोरम ऑफ ट्रेडर्स ऑर्गनाइजेशन ने बताया कि आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन से बड़े कारोबारी अनाज, दाल, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसे जरूरी जिंसों की जमाखोरी कर सकते हैं जिससे कीमतें बढ़ेंगी। फोरम के सचिव रबींद्रनाथ कोले ने दावा किया, इस विधेयक के पारित होने के एक दिन के भीतर ही प्याज के दाम 10 रुपए किलो बढ़ गए। राज्य में आलू के दाम भी बढ़े है क्योंकि जून में ही मुक्त व्यापार की अनुमति दे दी गई। 

 

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प्याज के दाम में कितनी हुई बढ़ोतरी 

निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है। निर्यात पर प्रतिबंध लगने के बाद से प्याज की कीमतों में 20 प्रतिया से 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्याज की कीमतों में दिसंबर तक वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि ज्यादा बारिश से प्याज की फसल को नुकसान हुआ है। इसके अलावा प्रमुख राज्यों में खरीफ की फसल में देरी भी हुई। सरकार ने कीमतों पर लगाम लगाने के लिए 14 सितंबर को प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी। फुटकर बाजार में प्याज 36 से 40 रुपए किलो बिक रहा है। 


नासिक की प्याज सबसे महंगी

नासिक जिले के प्याज के बेंचमार्क पिंपलगांव बाजार में औसत थोक प्याज की कीमतें 14 सितंबर को 27 रुपए प्रति किलोग्राम से बढक़र 22 सितंबर को 36 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गईं हैं। उत्तर भारत में कीमतें इसकी तुलना में कम हैं। थोक मूल्य 12 से 35 रुपए किलोग्राम के बीच है। खुदरा में, अच्छी गुणवत्ता वाले प्याज की कीमत 40-60 तक पहुंच गई है। 

 

 

कीमतें बढऩे क्या है कारण

व्यापारियों का कहना है कि कीमतें बढ़ाने के लिए सट्टेबाजों ने बांग्लादेश में प्याज की भारी कमी का इस्तेमाल किया है। जून से अक्टूबर तक, भारत स्टोर किए गए प्याज का उपभोग करता है, जबकि खरीफ की फसल की नई दक्षिणी राज्यों से आनी शुरू होती है। अगस्त से स्टॉक बढऩे लगता है। फसल के समय बारिश के कारण नई फसल के आगमन में व्यवधान, हमेशा अगस्त से सितंबर के दौरान कीमतों में वृद्धि होती है।

 

दक्षिण भारत में असमय हुई बारिश से प्याज की फसल बर्बाद

इधर प्याज व्यापारी शम्स अहमद राईन ने बताया कि दक्षिण भारत में असमय हुई बारिश से वहां प्याज की फसल बर्बाद हो गई है। ऐसे में महाराष्ट्र के नासिक से प्याज दक्षिण भारत के राज्यों में भेजी जा रही है, जिससे उत्तर भारत में प्याज की आवक कम हो गई है। इससे प्याज की कीमतों में उछाल आ गया है। प्याज व्यापारी नौशाद ने बताया कि आलू की कीमत पिछले कुछ दिनों से स्थिर है, लेकिन प्याज की कीमत लगातर बढ़ रही है। मांग की तुलना में प्याज की आवक नहीं है। इससे व्यापारियों के साथ ही आम लोगों को महंगी प्याज खरीदनी पड़ रही है। नासिक मंडी से ही प्याज 25 रुपए किलो मिल रहा है। 


आलू प्याज की कीमत ने बिगाड़ा घर का बजट

गृहणी सुनीता शर्मा ने बताया कि आलू और प्याज ने किचन का बजट बिगाड़ दिया है। इसे देखते हुए खाने में आलू और प्याज के इस्तेमाल को कम कर दिया है। जहां पहले एक किलो प्याज प्रतिदिन काम में लिया करते थे। वहां आज आधे किलो में काम चलाना पड़ रहा है। इसी तरह गृहणी अनुराधा पारीक ने बताया कि पिछले 15 दिनों में प्याज की कीमतों में काफी उछाल आया है जिसने किचन का बजट बिगड़ गया है। अब हम खाने में ऐसी सब्जियों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसमें प्याज और आलू की जरूरत नहीं पड़े। 


कब आएगी कीमतों में कमी

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि आलू और प्याज की कीमतें अक्टूबर तक इसी तरह रहेगी। इनमें उतार चढ़ाव की स्थिति रहेगी। अभी जो आलू व प्याज बाजार में बिक रहा है वह कोल्ड स्टोरेज में स्टॉक किया हुआ है। अक्टूबर बाद जब नई फसल आएगी तब इसके भावों में गिरावट देखने को मिल सकती है। उससे पहले इसके दामों कम होने की उम्मीद फिलहाल नजर नहीं आती है।

 

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