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ड्रैगन फ्रूट की खेती से होगी लाखों की कमाई, जानें बुवाई की विधि और तरीका

Published - 29 Oct 2021

जानें, कैसे की जाती है ड्रैगन फ्रूट की खेती और इसके लाभ

ड्रैगन फ्रूट एक ऐसा फल है जिसकी खेती पहले दक्षिण अमेरिका में शुरू हुई थी। इसके बाद इसकी खेती कई देशों में की जाने लगी। भारत में कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है। ड्रैगन फ्रूट को हिंदी में कमलम और पिताया फ्रूट के नाम से जाना जाता है। गुजरात सरकार ने ड्रैगन फ्रूट का नाम बदलकर कमलम कर दिया है। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि यह फल कमल के फूल की तरह दिखाई देता है। बता दें कि कमलम शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है जिसे इस फल के नाम के लिए उपयोग किया गया है। अब भारत ड्रैगन फ्रूट को कमलम नाम से जाना जाता है। किसान भाई इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी खेती की खास बात ये हैं कि इसे कम पानी मेें उगाया जा सकता है। साथ ही ड्रैगन फ्रूट के पौधों में बीमारियां और रोग नहीं लगते हैं। अभी तक ड्रैगन फ्रूट की खेती के दौरान बीमारियों और रोग लगने का ऐसा कोई मामला सामाने नहीं आया है। 

ड्रैगन फ्रूट की उन्नत खेती : एक बार निवेश करें, 25 वर्षों तक मिलेगा फायदा

इतना ही नहीं इस फसल में केवल एक बार निवेश के बाद पारंपरिक खेती के मुकाबले लगभग 25 वर्षों तक इससे आमदनी हो सकती है। इसलिए भी ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम आपको ड्रैगन फ्रूट की खेती की जानकारी दे रहे हैं। आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी।

क्या है ड्रैगन फ्रूट या कमलम / ड्रैगन फ्रूट के प्रकार

ड्रैगन फ्रूट एक प्रकार की कैक्टस बेल है। ड्रैगन फ्रूट का साइंटिफिक नाम हिलोसेरस अंडस है। भारत में इसे कमलम के नाम से पहचान दी गई है। इसके फल गूदेदार और रसीले होते हैं। ड्रैगन फ्रूट (कमलम) दो तरह का होता है। एक सफेद गूदे वाला और दूसरा लाल गूदे वाला होता है। इसके फूल बहुत ही सुगंधित होते हैं, जो रात में ही खिलते हैं और सुबह तक झड़ जाते हैं। इसके एक पौधे से 8 से 10 फल प्राप्त होते हैं।

भारत में कहां-कहां होती है ड्रैगन फ्रूट (कमलम ) की खेती

वर्तमान समय में ड्रैगन फ्रूट की ज्यादातर खेती भारत में कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में की जाती है। कुछ समय से इसकी खेती उत्तरप्रदेश में की जाने लगी है। यहां कई किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। 

ड्रैगन फ्रूट (कमलम) के उपयोग और फायदे

ड्रेगेन फ्रूट का इस्तेमाल सलाद, मुरब्बा, जेली और शेक बनाने में किया जाता है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी ये फल काफी लाभकारी माना जाता है। इसका प्रयोग से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। बता दें कि ये फल किसी भी बीमारी को जड़ से खतम तो नहीं कर सकता है लेकिन उसके लक्षणों को कम करके आराम जरूर दिला सकते हैं। इसका सेवन ब्लक में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है इससे डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है। इसके सेवन हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद बताया गया है। इसके अलावा कैंसर रोग में भी इसका सेवन आरामदायक बताया जाता है। ये शरीर में कोलेस्ट्रॉल की नियंत्रित करता है जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। यह फल पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में भी मददगार है। गठिया रोगियों के लिए भी इसका सेवन लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा इसका सेवन इम्युनिटी बूस्टर के रूप में किया जा सकता है। इतना ही नहीं बालों और त्वचा के लिए भी इसका प्रयोग फायदेमंद बताया गया है। 

छायादार स्थान में करें ड्रैगन फ्रूट की खेती

इसकी खेती के लिए अधिक तेज रोशनी या सूर्य का प्रकाश अच्छा नहीं माना जाता है। इसे उन इलाकों में आसानी से उगाया जा सकता है जहां का तापमान कम हो यानि जहां गर्मी कम पड़ती हो। जिन इलाकों में गर्मी ज्यादा पड़ती है उन इलाकों में इसकी खेती छायादार स्थान पर करना ही इसकी खेती की जा सकती है। इसकी खेती के लिए 50 सेमी वार्षिक औसत की दर से बारिश की जरूरत होती है। 

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए तापमान और मिट्टी

ड्रैगेन फ्रूट की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके लिए उपयुक्त माना जाता है। इसकी खेती रेतीली दोमट मिट्टी से लेकर दोमट मिट्टी तक अनेक प्रकार के मिट्टी में की जा सकती है। लेकि बेहतर जीवाश्म और जल निकासी वाली बलुवाई मिट्टी इसकी फसल के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7 तक होना ड्रैगन की खेती के लिए अच्छा माना जाता है। 

ड्रैगन फ्रूट के लिए खेत की तैयारी

ड्रैगन फ्रूट के लिए खेत की तैयारी करते समय इस बात कर ध्यान रखें की खेत में खरपतवार बिलकुल भी नहीं हो। इसके लिए खेत की ट्रैक्टर और कल्टीवेटर अच्छे से जुताई करनी चाहिए। इसके बाद भूमि को समतल बनाने के लिए पाटा लगाना चाहिए। जुताई के बाद कोई भी जैविक कंपोस्ट निर्धारित मात्रा के अनुसार मिट्टी में दिया जाना चाहिए। 

ड्रैगन फ्रूट खेती में बुवाई की विधि / बुवाई का तरीका

ड्रैगन फ्रूट खेती में बुआई का सबसे सामान्य तरीका है काट कर लगाना वैसे बीज के जरिए भी इसकी बुआई की जा सकती है लेकिन चूंकी बीज पनपने में लंबा समय लगता है और मूल पेड़ के गुण उस पौधे में आए इसकी संभावना भी कम रहती है इसलिए इसे इसकी वाणिज्यिक खेती के अनुकूल नहीं माना जाता है। आपको गुणवत्ता पूर्ण पौधे की छंटाई से ही ड्रैगन फ्रूट के सैंपल तैयार करने चाहिए। इसके अंतर्गत करीब 20 सेमी लंबे सैंपल को खेत में लगाने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। इनको लगाने से पहले मूल पेड की छंटाई करके इनका ढेर बना लेना चाहिए। 

ड्रैगन फ्रूट के पौधे का रोपण

ड्रैगन फ्रूट के पौधों को सूखे गोबर के साथ मिला कर मिट्टी, बालू और गोबर के 1:1:2 के अनुपात में मिलाकर रोप देना चाहिए। ये जरूर ध्यान रखा जाना चाहिए कि इन्हें रोपने से पहले इन्हें छाया में रखा जाए ताकि सूरज की तेज रोशनी ने इन सैपलिंग को नुकसान न पहुंचे। दो पौधों के रोपने की जगह में कम से कम 2 मीटर की खाली जगह छोड़ देनी चाहिए। पौधे को रोपने के लिए 60 सेमी गहरा, 60 सेमी चौड़ा गड्ढा खोदा जाना चाहिए। इन गड्ढों में पौधों की रोपाई के बाद मिट्टी डालने के साथ ही कंपोस्ट और 100 ग्राम सुपर फास्फेट भी डालना चाहिए। इस तरह से एक एकड़ खेत में ज्यादा से ज्यादा 1700 ड्रेगन फ्रूट के पौधे लगाए जाने चाहिए। इन पौधों को तेजी से बढऩे में मदद करने के लिए इनके सपोर्ट के लिए लकडी का तख्त या कंक्रीट लगाया जा सकता है। 

ड्रैगन फ्रूड की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक

ड्रैगन फ्रूट के पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए जीवाश्म तत्व जरूरी होता हैं। प्रत्येक पौधे की बेहतर बढ़ोतरी के लिए 10 से 15 किलो जैविक कंपोस्ट/जैविक उर्वरक दिया जाना चाहिए। इसके बाद प्रत्येक साल दो किलो जैविक खाद की मात्रा बढ़ाई जानी चाहिए। इसके अलावा इसकी  फसल के समुचित विकास के लिए रायायनिक खाद का भी इस्तेमाल किया जाता है। वानस्पतिक अवस्था में इसको लगने वाली रासायनिक खाद का अनुपात पोटाश: सुपर फास्फेट:यूरिया = 40:90:70 ग्राम प्रति पौधा दिया जाता है। जब पौधों में फल लगने का समय हो जाए तब कम मात्रा में नाइट्रोजन और अधिक मात्रा में पोटाश दिया जाना चाहिए ताकि अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सके। फूल आने से लेकर फल आने तक यानि की फूल आने के ठीक पहले (अप्रैल), फल आने के समय ( जुलाई-अगस्त) और फल को तोडऩे के दौरान ( दिसंबर) तक रासायनिक खाद जिसमेें यूरिया: सुपर फास्फेट: पोटाश =50ग्राम: 50 ग्राम:100 ग्राम के अनुपात में प्रति पौधे दिया जाना चाहिए। रासायनिक खाद प्रत्येक साल 220 ग्राम बढ़ाया जाना चाहिए जिसे बढ़ाकर 1.5 किलो तक किया जा सकता है। 

ड्रैगन फ्रूट की खेती में सिंचाई

ड्रैगन फ्रूट के पौधे को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। इसकी पहली हल्की सिंचाई पौधे लगाने के बाद करनी चाहिए। इसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई की जा सकती है। लेकिन सिंचाई हल्की करनी चाहिए और खेत में पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि खेत में पानी नहीं भरे। सिंचाई के लिए फव्वारा सिंचाई या ड्रिप सिंचाई का उपयोग किया जा सकता है।

ड्रैगन फ्रूट में कीट और रोग

ड्रेगेन फ्रूट के खेती की खासियत ये है कि इसके पौधों में रोग और कीट नहीं लगते हैं। अब तक इसके पौधों में किसी तरह के कीट लगने या बीमारी होने का कोई भी मामला अभी तक सामने नहीं आया है। इस तरह से इसकी खेती में कीटनाशकों का प्रयोग न के बराबर होता है जिससे किसान का कीटनाशकों पर किए जाने वाला खर्च बच जाता है। 

ड्रैगन फ्रूट उत्पादन : ड्रैगन फ्रूट की खेती में फलों की तुड़ाई (Dragon Fruit Cultivation)

ड्रेगेन फ्रूट के पौधे एक साल में ही फल देने लगते हैं। पौधों में मई से जून के महीने में फूल लगते हैं और अगस्त से दिसंबर तक फल आते हैं। फूल आने के एक महीने के बाद ड्रेगेन फ्रूट को तोड़ा जा सकता है। पौधों में दिसंबर महीने तक फल आते हैं। इस अवधि में एक पेड़ से कम से कम छह बार फल तोड़ा जा सकता है। फल तोडऩे लायक हुए हैं या नहीं इसको फलों के रंग से आसानी से समझा जा सकता है। कच्चे फलों का रंग गहरे हरे रंग का होता जबकि पकने पर इसका रंग लाल हो जाता है। रंग बदलने के तीन से चार दिन के अंदर फलों को तोडऩा उपयुक्त होता है लेकिन अगर फलों का निर्यात किया जाना हो तो रंग बदलने के एक दिन के भीतर ही इसे तोड़ लिया जाना चाहिए।

ड्रैगन फ्रूट की बाजार में कीमत

अब बात करें इसकी कीमत की तो एक फल का वजन 300 से 400 ग्राम तक होता है। बाजार में एक ड्रैगन पीस फ्रूट का रेट 80 से 100 रुपए तक है। यह फल एक पिलर पर 10 किलो से 12 किलो तक आता है। 

ड्रैगन फ्रूट के पौधे की कीमत / ड्रैगन फ्रूट प्लांट

गुजरात में इसकी खेती काफी होती है। ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए किसान भाई इस पौधे को गुजरात से मंगवा सकते हैं। गुजरात में इसके एक पौधे की कीमत 70 रुपए है। इसके अलावा किसान भाई अमेजन जैसी ऑनलाइन साइट से भी इस ड्रैगन फ्रूट का पौधा मंगवा सकते हैं। यदि आप डेढ़ बीघा जमीन पर इसकी खेती करते हैं तो आपको ड्रैगन फ्रूट के करीब 600 पौधों की आवश्यकता होगी।

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