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एमएसपी पर खरीद की प्रक्रिया में बदलाव, 50 प्रतिशत किसानों को ही बुलाएगी सरकार

Published - 03 Apr 2021

हरियाणा में 500 खरीद केंद्रों पर टोकन और मेजेस व्यवस्था से की जा रही है फसल की तुलाई

हरियाणा राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 500 खरीदी केन्द्रों पर रबी फसल की खरीदी 1 अप्रैल से शुरू कर हो गई है। इसी बीच किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने खरीद-प्रक्रिया में बदलाव किया है। सरकार ने किसानों अब नया विकल्प दिया है कि 50 प्रतिशत किसानों को सरकार बुलाएगी। 30 प्रतिशत को आढ़तिये बुलाएंगे और बाकी किसान खुद रजिस्ट्रेशन कराकर गेहूं बेच सकेंगे। हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि, किसान पोर्टल पर रजिस्टर्ड कराकर फसल लाएंगे तो विभाग उन्हें टोकन देगा। उप मुख्यमंत्री ने अनुमान लगाया है कि राज्य में इस बार 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं आने की उम्मीद है। राज्य में गेहूं के अलावा 5 अन्य फसलों की सरकारी खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है। पहली बार सरकारी खरीद एजेंसियों ने 1 अप्रैल से गेहूं और सरसों की खरीद शुरू कर दी है। वहीं इस वर्ष खुले बाजार में सरसों का भाव 5200 से 5400 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है।

 

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भुगतान में देरी पर किसान को मिलेगा 9 प्रतिशत ब्याज

इस वर्ष सभी पंजीकृत किसानों को मेसेज के द्वारा या टोकन के माध्यम से मंडी में फसल तुलाई के लिए बुलाया जा रहा है। ऐसे में किसानों को समय पर भुगतान के लिए अलग-अलग राज्य सरकारों ने 48 से 72 घंटे की सीमा का निर्धारण किया है। इधर हरियाणा में किसान जब अपनी फसल बेचने के लिए खरीद केंद्र या मंडी में लेकर आएगा तो उसे जे फार्म मिलेगा और 40 घंटे के अंदर किसान को उसकी फसल की कीमत की अदायगी हो जाएगी। यदि 72 घंटे में किसान को अदायगी नहीं हुई तो सरकार उस राशि पर 9 प्रतिशत ब्याज किसानों को देगी।

 


राज्य में अब तक एमएसपी पर कितनी खरीद

कृषि कानूनों को लेकर घिरी हरियाणा सरकार के शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने दावा किया है कि उनकी सरकार ने फसलों की रिकॉर्ड खरीद की है। वर्ष 2013-14 में सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित था, लेकिन सरकारी खरीद एक किलोग्राम की भी नहीं हुई थी। जबकि 2020-21 में मनोहरलाल सरकार ने 7.49 लाख मीट्रिक टन सरसों की सरकारी खरीद 4425 रुपए के समर्थन मूल्य पर की गई। कंवरपाल बीते महीने विधानसभा में कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विपक्ष का उद्देश्य किसानों का हित करना नहीं बल्कि टकराव की स्थिति पैदा करना है। आंकड़े पेश करते हुए उन्होंने कहा कि मैं धान और गेहूं की खरीद के आंकड़ों की बात नहीं करता, क्योंकि इन दोनों फसलों की खरीद में तो हमारी सरकार ने पूर्व की सरकारों के मुकाबले बहुत अच्छा काम किया है।

 


किस फसल की कितनी हुई खरीद

मंत्री ने अपनी सरकार का बचाव करते हुए कहा कि 2013-14 में चना, सूरजमुखी, मक्काा और मूंग की भी कोई सरकारी खरीद नहीं हुई। जबकि 2020-21 में 10,636 मीट्रिक टन चना की 4875 रुपए के एमएसपी पर खरीद की गई। इसी प्रकार 16,207 मीट्रिक टन सूरजमुखी की 5650 रुपए के एमएसपी पर खरीद हुई है। यही नहीं 1850 रुपए के एमएसपी पर 4016 मीट्रिक टन से अधिक मक्का खरीदा गया है. 7196 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी पर 1099.65 मीट्रिक टन मूंग की खरीद की गई है। कंवरपाल ने कहा, 2020-21 में 7,36,000 मीट्रिक टन से अधिक बाजरे की सरकारी खरीद भी की गई है। जबकि 2013-14 में इसकी सरकारी खरीद नहीं हुई थी।


गाजीपुर की मंडियों का होगा विकास और विस्तार, 236 करोड़ रुपए होंगे खर्च

दिल्ली की गाजीपुर की मंडियों का विकास और विस्तार किया जाएगा। इसके लिए दिल्ली सरकार ने 236 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार ने थोक बाजारों और मंडियों के विकास और विस्तार की अहम योजना बनाई गई है। इसको लेकर बजट भी आवंटित किया है। सरकार की ओर से गाजीपुर फूल, फल और सब्जी मंडी के अलावा गाजीपुर पोल्ट्री बाजार के लिए 236 करोड रुपए मंजूर किए गए हैं। वहीं, टिकरी खानपुर थोक मंडी के लिए भी 70 करोड़ मंजूर किए गए हैं। दिल्ली के कृषि एवं विकास मंत्री गोपाल राय की अध्यक्षता में सभी कृषि उपज बाजार समिति और दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड के बजट को लेकर मीटिंग बुलाई गई थी। मीटिंग में कई मंडी विकास व विस्तार के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई।


इन मंडियों के लिए दी बजट में राशि

बैठक में अकेले गाजीपुर फूल मंडी के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई है। वहीं गाजीपुर पोल्ट्री बाजार के विकास के लिए 132.12 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। गाजीपुर की फल और सब्जी मंडी के विकास को लेकर 4 करोड रुपए मंजूर किए गए हैं। बैठक में आजादपुर, नरेला, केशोपुर, गाजीपुर, गाजीपुर के फूल बाजार, नजफगढ़ और गाजीपुर की फल और सब्जी मंडी आदि एपीएमसी के लिए बजट मंजूर किया गया है।


पिछले बजट के नतीजों पर की चर्चा

दिल्ली कृषि मंत्री गोपाल राय ने कहा कि एपीएमसी और डीएएमबी के पिछले बजट के नतीजों और नए बजट की योजना पर चर्चा की गई। इसमें डीएएमबी की समग्र आय का 2020-2021 में संशोधित अनुमान (आरई) 7718.50 लाख रुपए लगाया गया है। जबकि कुल खर्च का अनुमान 6,832.15 लाख है जो कि 886.35 लाख अधिक है। इसी तरह 2021-22 के बजट में कुल आय का अनुमान 40063.50 लाख रुपए लगाया गया है। जबकि कुल खर्च 34,855 लाख रुपये का अनुमान है जो कि 5,208.50 लाख अधिक है।

 

 

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