user profile

New User

Connect with Tractor Junction

गीर नस्ल की गाय से कर सकते हैं अच्छी कमाई, एक बार में देती है छह से 14 लीटर दूध

Published - 06 Oct 2020

जानें गीर नस्ल की गाय की खासियत और उससे मिलने वाले लाभ

भारत के गाँवों में किसान खेती और पशु पालन से अपना जीवन यापन करते हैं। पशु पालन के लिए गाय, भैंस आदि दूधारू पशुओं को पाला जाता है। पशुपालन करते समय पशुपालकों के लिए सबसे अहम विषय होता है नस्ल का चयन यानि पशुपालन के लिए वे किस नस्ल का चयन करें ताकि उससे ज्यादा उत्पाद प्राप्त किया जा सके। इसके लिए पशुपालकों को गाय या भैंस आदि दुधारू पशुओं की उत्तम नस्लों की जानकारी होना बेहद जरूरी है। आज हम आपको गाय की उत्तम नस्ल की जानकारी में गीर नस्ल के बारे में बताएँगे की आप किस तरह इस नस्ल की गाय से डेयरी उद्योग लगाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं, साथ ही ऐसे पशुपालक की कहानी भी आपसे साझा कर रहे हैं जो इस नस्ल की गाय का पालन कर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं।

 

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1

 

उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के हरिकेश सिंह जो पहले ठेकेदारी का काम करते थे लेकिन उन्होंने पशुपालन में रूचि ली और दूध का एक बड़ा कारोबार खड़ा कर दिया। उन्होंने शुरू में गीर नस्ल की एक गाय से शुरुआत की और आज उनकी गौशाला में गिर नस्ल की 72 गायें हैं। उनकी शारदा गीर गौशाला में दूध और घी आदि लेने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है। उनके यहां खास विधि से तैयार होने वाला घी बाजार में साढ़े तीन हजार रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। 

 

 

घी की शुद्धता बनाए रखने के लिए अपनाया ये तरीका

घी की शुद्धता बनाए रखने के लिए हरिकेश ने घी बनाने का पुरातन तरीका अपनाया। इस तरीके में दूध को गाय के गोबर से तैयार कंडे (छाने) पर धीरे-धीरे पकाया जाता है। यह काम सूर्योदय से पहले शुरू किया जाता है। भोर में दही से मक्खन निकाला जाता है। उसके बाद धीमी आंच पर मक्खन को उबालकर शुद्ध घी तैयार किया जाता है। एक किलो देसी घी निकालने के लिए करीब 40 लीटर दूध इस्तेमाल किया जाता है। इस विधि से तैयार घी की शुद्धता के कारण ही उनका कारोबार बढ़ता ही जा रहा है। यही नहीं उन्होंने गाय की देखरेख के लिए 17 कर्मचारी भी रखे हुए हैं जिनका प्रतिमाह का खर्च करीब डेढ़ लाख रुपए आता है। आसपास सहित दूर-दराज तक इनके उत्पादों की काफी मांग है। इस तरह वे गौ पालन कर लोगों को शुद्ध उत्पाद उपलब्ध करा कर अच्छी कमाई कर रहे हैं। आप भी इनकी तरह गीर नस्ल की गाय का पालन कर अच्छी कमाई कर सकते हैं। 


गीर नस्ल की गाय का परिचय

गीर, भारतीय मूल की गाय है। गीर नस्ल की गाय सौराष्ट्र (गुजरात) के गीर जंगलों में पाई जाती है। इसी से इसका नाम गीर पड़ा है। यह गायें 12-15 साल जीवित रहतीं हैं और अपने पूरे जीवनकाल में 6-12 बछड़े उत्पन्न कर सकतीं हैं। यह गाय अच्छी दुग्ध उत्पादताकता के लिए जानी जाती है। गुजरात के अलावा ये गीर नस्ल की गायें राजस्थान व महाराष्ट्र में भी पाई जाती हैं।


गीर गाय की विशेषताएं

गीर नस्ल की गाय के शरीर का रंग सफेद, गहरे लाल या चॉकलेट भूरे रंग के धब्बे के साथ या कभी कभी चमकदार लाल रंग में पाया जाता है। कान लंबे होते हैं और लटकते रहते हैं। इसकी सबसे अनूठी विशेषता उनकी उत्तल माथे हैं जो इसको तेज धूप से बचाते हैं। यह मध्यम से लेकर बड़े आकार में पाई जाती है। मादा गिर का औसत वजन 385 किलोग्राम तथा ऊंचाई 130 सेंटीमीटर होती है जबकि नर गिर का औसतन वजन 545 किलोग्राम तथा ऊंचाई 135 सेंटीमीटर होती है। इनके शरीर की त्वचा बहुत ही ढीली और लचीली होती है। सींग पीछे की ओर मुड़े रहते हैं। यह गाय अपनी अच्छी रोग प्रतिरोध क्षमता के लिए भी जानी जाती है। 


गीर गाय से प्राप्त दूध की मात्रा

यह गाय प्रतिदिन 12-14 लीटर तक दूध देती है। इसके दूध में 4.5 प्रतिशत वसा होती है। गिर का एक बियान में औसत दुग्ध उत्पादन 1590 किलोग्राम है। ये पशु विभिन्न जलवायु के लिए अनुकूलित होते हैं और गर्म स्थानों पर भी आसानी से रह सकतें हैं। 


गीर गाय से होने वाले लाभ

गीर गाय का दूध प्रतिरोधक क्षमता के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। उच्च रक्त चाप, मधुमेह, दिल और किडनी की बीमारी में गीर गाय के दूध से तैयार घी अमृत की तरह काम करता है। गीर गाय के दूध में विटामिन ए-2 होता है। इसलिए इसका दूध बच्चों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। वहीं इस नस्ल की गाय के मूत्र में 388 प्रकार के रोग प्रतिरोधक तत्व पाए जाते हैं जो कई रोगों में लाभकारी माना जाता है। 


गीर गाय की कीमत

गीर गाय की कीमत की बात करें तो इसकी नस्ल की गाय की कीमत 90 हजार रुपए से लेकर साढ़े तीन लाख रुपए तक होती है। गाय की कीमत उसके द्वारा दिए जाने वाले दूध की मात्रा व गुणवत्ता के आधार पर तय की जाती है। दूध की गुणवत्ता गाय को खिलाने जाने वाले चारे की पौष्टिकता पर निर्भर करती है। 


गीर नस्ल की गाय का पालन / देखरेख

पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवी से बचाने के लिए शैड की आवश्यकता होती है। इसके लिए ऐसे शैड का चुनाव करें जिसमें साफ हवा और पानी की सुविधा हो। पशुओं की संख्या के अनुसान भोजन के लिए जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें। पशुओं के व्यर्थ पदार्थ की निकास पाइप 30-40 सेंटिमीटर मीटर चौड़ी और 5-7 सेंटिमीटर मीटर गहरी होनी चाहिए।


गीर गाय को दिए जाने वाला आहार

इस नसल की गायों को जरूरत के अनुसार ही खुराक देनी चाहिए। फलीदार चारे को खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें। ताकि अफारा या बदहजमी ना हो। गीर नस्ल की गाय के लिए आहार में पौष्टिक तत्वों का होना बेहद जरूरी है क्योंकि इससे प्राप्त दूध गुणवत्ता इसको खिलाए गए चारे की पोष्टिकता पर निर्भर करती है। इसलिए इसके चारे का चुनाव करते समय उसकी पोष्टिकता पर ध्यान देना चाहिए। गाय की खुराक में उर्जा, प्रोटीन, खनिज पदार्थ और विटामिन आवश्यक मात्रा में होने चाहिए। 

  • गाय को दिए जाने वाले पदार्थों में मक्की जौं, ज्वार, बाजरा, छोले, गेहूं, जई, चोकर, चावलों की पॉलिश, मक्की का छिलका, चूनी, बड़वे, बरीवर शुष्क दाने, मूंगफली, सरसों, बड़वे, तिल, अलसी, मक्की से तैयार खुराक, गुआरे का चूरा, तोरिये से तैयार खुराक, टैपिओका, टरीटीकेल आदि शामिल है। 
  • हरे चारे में बरसीम (पहली, दूसरी, तीसरी, और चौथी कटाई), लूसर्न (औसतन), लोबिया (लंबी ओर छोटी किस्म), गुआरा, सेंजी, ज्वार (छोटी, पकने वाली, पकी हुई), मक्की (छोटी और पकने वाली), जई, बाजरा, हाथी घास, नेपियर बाजरा, सुडान घास आदि देना चाहिए।
  • सूखे चारे व आचार में बरसीम की सूखी घास, लूसर्न की सूखी घास, जई की सूखी घास, पराली, मक्की के टिंडे, ज्वार और बाजरे की कड़बी, गन्ने की आग, दूर्वा की सूखी घास, मक्की का आचार, जई का आचार आदि खिलाया जाता है।
  • अन्य रोजाना की खुराक में मक्की/ गेहूं/ चावलों की कणी, चावलों की पॉलिश, छाणबुरा/ चोकर, सोयाबीन/ मूंगफली की खल, छिल्का रहित बड़वे की खल/सरसों की खल, तेल रहित चावलों की पॉलिश, शीरा, धातुओं का मिश्रण, नमक, नाइसीन आदि खिलाया जा सकता है। 

 

 

गीर गाय के आहार के संबंध में पशु चिकित्सों की राय

गीर गाय को दिए जाने वाले आहार के संबंध में चिकित्सों का कहना है कि खान-पान का गाय के दूध पर असर पड़ता है। यदि गाय को भूसे व हरे चारे के साथ कालीजीर, अश्वगंधा, सतावर, गेहूं, सोंठ, अजवाइन व हल्दी युक्त अष्टगंध की दलिया खिलाई जाए तो इसके दूध की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ जाती है और गाय का स्वास्थ भी उत्तम रहता है।

 

अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।

Certified Used Tractors

Powertrac 434 प्लस
₹ 1.10 Lakh Total Savings

Powertrac 434 प्लस

37 HP | 2023 Model | Chittaurgarh, Rajasthan

₹ 4,30,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Mahindra 575 डीआई एक्सपी प्लस
₹ 4.40 Lakh Total Savings

Mahindra 575 डीआई एक्सपी प्लस

47 HP | 2014 Model | Hanumangarh, Rajasthan

₹ 2,87,500
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Massey Ferguson 1035 डीआई
₹ 1.28 Lakh Total Savings

Massey Ferguson 1035 डीआई

36 HP | 2020 Model | Tonk, Rajasthan

₹ 5,00,000
Certified
icon icon-phone-callContact Seller
Farmtrac 45 पॉवरमैक्स
₹ 0.49 Lakh Total Savings

Farmtrac 45 पॉवरमैक्स

50 HP | 2023 Model | Dewas, Madhya Pradesh

₹ 7,41,285
Certified
icon icon-phone-callContact Seller

View All