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बिहार बना देश का नंबर 1 मशरूम उत्पादक राज्य, किसानों को हो रहा लाभ

Published - 11 May 2022

जानें, बिहार में मशरूम उत्पादक किसानों को क्या मिल रही है सुविधाएं

बिहार एक बार फिर से देश का नंबर वन मशरूम उत्पादक राज्य बन गया है। यहां के किसान मशरूम की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। बिहार ने मशरूम उत्पादन के मामले में ओडिशा को भी पीछे छोड़ दिया है। बता दें कि ओडिशा में सबसे अधिक मशरूम उत्पादन होता है लेकिन इस बार बिहार ने बाजी मारते हुए ओडिशा को भी पीछे छोड़ दिया है। अब बिहार का देश के कुल मशरूम उत्पादन में 10 फीसदी हिस्सा हो गया है। 

बिहार में इस बार कितना हुआ है मशरूम का उत्पादन

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों की मानें तो बिहार में 2021-22 में 28,000 टन से अधिक मशरूम का उत्पादन हुआ है। बिहार के मशरूम की मांग पूर्वोत्तर के राज्यों साथ ही यूपी और झारखंड में भी बहुत है।  

बिहार में मशरूम की इन किस्मों का होता है उत्पादन

बिहार में किसान बटन, ऑएस्टर और दूधिया मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। यहां अधिकांश किसान मशरूम की खेती को अपना रहे हैं। बता दें कि बिहार में 60 से 70 हजार के करीब किसान इसकी खेती में लगे हुए हैं। यहां मशरूम की खेती, व्यवसायिक खेती के रूप में की जा रही है। अभी इस खेती से बिहार में चार हजार करोड़ से पांच हजार करोड़ रुपए तक बिक्री हो चुकी है। 

किसानों को मशरूम की खेती का दिया जाता है प्रशिक्षण

बिहार के समस्तीपुर में डॉ. राजेंद्र प्रसाद विश्वविद्यालय की तरफ से किसानों को मशरूम के विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण संस्थान पूसा के द्वारा किसानों को मशरूम पर कई प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके लिए समय-समय पर विश्वविद्यालय की ओर से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजन किया जाता है। किसान इन प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंजीयन करा कर मशरूम की खेती का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए प्रशिक्षणार्थी को विश्वविद्यालय की ओर से आवेदन मांगे जाते हैं। इसमें आवेदन करके किसान पंजीयन शुल्क जमा करा कर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। 

मशरूम की खेती पर मिलती है सब्सिडी (Mushroom Cultivation)

बिहार में मशरूम की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। योजना के तहत पूरी योजना लागत की 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। यदि आप 5 लाख रुपए लगाकर मशरूम उत्पादन करते हैं तो आपको 50 प्रतिशत यानि 2.5 लाख रुपए तक सब्सिडी मिल सकती है। योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा क्रेडिट लिंक्ड बैंक इंडेड आधारित 50 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाता है, जिसका लाभ कोई भी इच्छुक किसान प्राप्त कर सकते हैं।

मशरूम की खेती के लिए बिहार में हैं उपयुक्त वातावरण

बिहार की जलवायु विभिन्न प्रकार के मशरूम उत्पादन के लिए उपयुक्त है। जैसे- ओयस्टर मशरूम की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता होती है। वहीं बटन मशरूम की खेती 15 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड चाहिए होती है। इसी प्रकार वृहत / स्वेट दूधिया की खेती 30 से 80 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता होती है। बिहार में मशरूम की विभिन्न प्रजातियों की खेती कम लागत में आसानी से की जा सकती है, क्योंकि यहां की भौगोलिक स्थिति मशरूम की खेती के लिए काफी अच्छी है। यही कारण है कि आज यहां के किसान मशरूम की व्यवसायिक स्तर पर खेती करके अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। 

राज्य में साल दर साल बढ़ा मशरूम का उत्पादन

प्राप्त आकड़ों के अनुसार वर्ष 2010 में बिहार में 400 टन बटन मशरूम एवं 80 टन ओयस्टर मशरूम का उत्पादन होता था, जो दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। और आज बिहार में सबसे अधिक 28,000 टन मशरूम उत्पादन हो रहा है। बटन मशरूम के उत्पादन में सामान्य पुआल की कुट्टी एवं गेहूं भूसा का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन बटन मशरूम, श्वेत दूधिया मशरूम के व्यावसायिक उत्पादन के लिए एक विशेष प्रकार के कम्पोस्ट का निर्माण किया जाना जरूरी होता है।

मशरूम की खेती से युवाओं को मिल रहा रोजगार

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के मशरूम वैज्ञानिक दयाराम की मानें तो बिहार में करीब तीन दर्जन उद्यमी के रूप में कंट्रोल इन्वायरमेंट में बटन मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे 100 से अधिक लोगों को रोजाना रोजगार उपलब्ध हो रहा है। वहीें 60 हजार से अधिक छोटे किसान बटन, ऑएस्टर और दूधिया मशरूम का उत्पादन कार्य में लगे हुए हैं। इसमें जेल में प्रशिक्षण लेने के बाद सजा काटकर घर पहुंचे लोग भी शामिल हैं।

बिहार में कितना बढ़ा मशरूम का कारोबार

मशरूम उत्पादन में नंबर वन बनने के लिए बिहार ने 30 सालों से अधिक का सफर तय किया है। राज्य के सभी जिलों में मशरूम क्षेत्र में हुए विकास ने मशरूम के कारोबार को चार हजार करोड़ से पांच हजार करोड़ पर पहुंचा दिया है। राज्य में करीब 55 कंट्रोल यूनिट लगी है, जिसमें प्रतिदिन करीब तीन दर्जन से ज्यादा मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है। 

कम लागत में की जा सकती है मशरूम की खेती

मशरूम की खेती को पुआल पर भी किया जा सकता है। पुआल पर मशरूम की खेती करने से किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा मिल सकता है। यह तकनीक डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई है। विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानियों के अनुसार गर्मी का मौसम इस प्रक्रिया के लिए अनुकूल रहता है। इस मौसम में पुआल पर कम समय में मशरूम से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया सकता है। ये तकनीक दूधिया मशरूम के लिए उपयुक्त पाई गई है। इस तकनीक से 15 से 20 दिन में मशरूम तैयार हो जाता है जबकि अन्य तकनीक में मशरूम 30 से 35 दिनों में तैयार होता है। 

घर पर भी कर सकते हैं मशरूम का उत्पादन

यदि आप मशरूम का उत्पादन करना चाहते हैं तो आप इसे घर से भी शुरू कर सकते हैं। इसके लिए कोई लंबी-चौड़ी जगह की जरूरत नहीं होती है। एक छोटे से कमरे या जगह से भी इसका उत्पादन शुरू किया जा सकता है। इसके लिए आप धान की कटाई के बाद बचे हुए पुआल को छोटी-छोटी मुट्ठी (अंटिया) बनाकर बांध लें। इसके बाद उन्हें 15 से 20 मिनट तक पानी में फुलाकर गर्म पानी से उपचारित करें। आगे चोकर या बोझे की तरह उसे बांधकर नीचे के पुआल वाली मुट्ठी पर मशरूम के बीज को रख दें। आखिर में पुआल की कई परत बनाकर बीज को डाल दें। इस तरह से घर पर ही टेबल का आकार बनाकर मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है।  

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