Published - 02 Jul 2021 by Tractor Junction
गन्ना किसानों को अपनी गन्ने की फसल चीनी मिलों को बेचने के बाद उसका भुगतान पाने के लिए इंतजार करना पड़ता है। उत्तरप्रदेश में गन्ना किसानों की संख्या अधिक होने से यहां की चीनी मिलों की ओर से किसानों से गन्ने की खरीद का भुगतान बकाया को लेकर खबरें आती रहती है। गन्ना खरीद का बकाया भुगतान की समस्या अकेले यूपी के किसानों की ही नहीं है। इससे हरियाणा के किसान भी खासे परेशान हैं। इनकी इस परेशानी को देखते हुए हाल ही में हरियाणा सरकार की ओर से गन्ना किसानों के पेराई सीजन 2020-21 के कुल बकाया भुगतान के लिए सहकारी चीनी मिलों को 315 करोड़ रुपए की रकम कर्ज के रूप में जारी की गई है। इस रकम से प्रदेश के गन्ना किसानों की बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा, सरकार ने चीनी मिलों को 47 करोड़ रुपए की सब्सिडी भी जारी की है। जिसमें सरस्वती मिल की सब्सिडी भी शामिल है। सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने इस बात की जानकारी मीडिया को दी है।
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प्रदेश के सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल पिछले दिनों अधिकारियों की एक बैठक लेकर 10 जुलाई तक गन्ना बकाया भुगतान करने के आदेश दिए थे। मंत्री ने बताया था कि हाल ही के पेराई सीजन 2020-21 के दौरान सहकारी चीनी मिलों ने 429.35 लाख क्विंटल गन्ने की खरीद की है। जिसकी कुल रकम 1500.83 करोड़ बनती है। इसमें से 1082.16 करोड़ रुपए की राशि गन्ना किसानों को दी जा चुकी है। शेष रकम 10 जुलाई तक दे दी जाएगी।
महम, कैथल और पलवल की सहकारी चीनी मिलों ने 2020-21 के पेराई सीजन के दौरान 630.16 क्विंटल गुड़ का भी उत्पादन किया है. ताकि इनकम में वृद्धि की जा सके. इसी प्रकार, कैथल की सहकारी चीनी मिल में बायो-फ्यूल के लिए परियोजना पर काम शुरू कर दिया गया है. जिसे जल्द ही अन्य सहकारी चीनी मिलों में भी शुरू किया जाएगा।
2015-16 के अनुमान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, क्योंकि यह अनुमानित 145.39 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन करता है, जो अखिल भारतीय उत्पादन का 41.28 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल 2.17 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में बोई जाती है, जो कि अखिल भारतीय गन्ने की खेती का 43.79 प्रतिशत हिस्सा है। इसके बाद गन्ना उत्पादन में दूसरा नंबर महाराष्ट्र का आता है। यहां अनुमानित 72.26 मिलियन टन गन्ना का उत्पादन होता है जो कि अखिल भारतीय गन्ना उत्पादन का 20.52 प्रतिशत है। महाराष्ट्र की कृषि भूमि का क्षेत्रफल जहां गन्ने की कुल बुवाई 0.99 मिलियन हेक्टेयर पर की जाती है वह मोटे तौर पर काली मिट्टी से युक्त क्षेत्र है। तीसरे स्थान पर कर्नाटक राज्य है। यहां 34.48 मिलियन टन गन्ना का उत्पादन किया जाता है जो कि देश के कुल गन्ना उत्पादन का लगभग 11 प्रतिशत है। राज्य की कृषि भूमि के 0.45 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र के कुल क्षेत्र पर गन्ने की बुवाई की जाती है। वहीं तमिलनाडु गन्ने का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है, जो कि 26.50 मिलियन टन गन्ना का अनुमानित उत्पादन करता है, जो कि देश के गन्ना उत्पादन का लगभग 7.5 प्रतिशत है। इधर बिहार में 14.68 मिलियन टन गन्ना का उत्पादन होता है। यह देश के गन्ना उत्पादन का 4.17 प्रतिशत है।
देश में 31.01.2018 की स्थिति के अनुसार 735 स्थापित चीनी कारखाने हैं जिनकी लगभग 340 लाख टन चीनी का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त पेराई क्षमता है। यह क्षमता मोटे तौर पर प्राइवेट क्षेत्र की यूनिटों और सहकारी क्षेत्र की यूनिटों के बीच समान रूप से विभाजित है। चीनी मिलों की क्षमता कुल मिलाकर 2500 टीसीडी-5000 टीसीडी की रेंज में है, लेकिन यह लगातार बढ़ रही है और 10,000 टीसीडी से अधिक भी हो रही है। गुजरात और पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्र में देश में 2 मात्र रिफाइनरियां भी स्थापित की गई हैं जो मुख्य रूप से आयातित रॉ चीनी और स्वदेशी रूप से उत्पादित रॉ चीनी से परिष्कृत चीनी का उत्पादन करती हैं।
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