Published - 21 Dec 2021 by Tractor Junction
सर्दी का मौसम चल रहा है। इस समय अधिकांश राज्यों में शीतलहर का प्रकोप जारी है। इससे किसानों की फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। मौसम विभाग की ओर से भी शीतलहर और कोहरे को लेकर जानकारी दी गई है और अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार सर्दी का असर और बढ़ेगा। इसलिए किसान भाईयों को शीतलहर और पाले से अपनी फसलों की सुरक्षा के उपाय करने चाहिए। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को शीतलहर और पाले से फसल की सुरक्षा के संबंध में कृषि वैज्ञानिक द्वारा दी गई सलाह और उपाय बता रहे हैं ताकि आप अपनी खेतों में खड़ी फसलों की सुरक्षा कर सकें और नुकसान से बच सकें।
यदि पाला पडऩे की संभावना हो या मौसम विभाग की ओर से पाला पडऩे की चेतावनी दी गई हो तो फसलों की हल्की सिंचाई करना चाहिए जिससे खेत का तापमान शून्य डिग्री से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। सिंचाई करने से खेत के तापमान में 5 से 2 डिग्री सेंटीग्रेट तक वृद्धि हो जाती है।
पाले से सर्वाधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को प्लास्टिक की चादर से ढक देना चाहिए ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2-3 डिग्री से0 तक बढ़ जाता है जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधा पाले से बच जाता है। प्लास्टिक की जगह पुआल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान रखें कि पौधे का दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रहे ताकि उन्हे सुबह और दोपहर को धूप मिलती रहे।
फसल को पाले से बचाने के लिए खेत के किनारे धुआं करने से तापमान में वृद्धि होती है जिससे पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है।
फसलों को पाले से बचाने के लिए खेत के उत्तर-पश्चिम मेड़ पर तथा बीच-बीच में उचित स्थान पर वायु रोधक पेड़ जैसे-शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, आडू तथा जामुन आदि के लगाए जाएं तो सर्दियों में पाले व ठंडी हवा के झोकों से भी बचाव हो सकता है।
शीतलहर को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था पूसा के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनन्ता वशिष्ठ, डॉ. कृष्णन, डॉ. देब कुमार दास, डॉ. बीएस तोमर, डॉ. जेपीएस डबास, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. पी. सिन्हा एवं डॉ. सचिन सुरेश सुरोशे ने किसानों को सलाह जारी की है। कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि हवा में अधिक नमी के कारण आलू तथा टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है। इसलिए फसल की नियमित रूप से निगरानी करें। लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 को 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि वे पछेती गेहूं की बुवाई अतिशीघ्र कर दें। बुवाई से पूर्व बीजों को थायरम 2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज की दर से उपचारित करें। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो उनमें किसान क्लोरपाईरिफास (20 ईसी) 5.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ या सूखे खेत में छिडक़ दें। नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 80, 40 व 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए।
कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि देर से बोई गई सरसों की फसल में किसान विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें। औसत तापमान में कमी को नजर में रखते हुए सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग की नियमित रूप से निगरानी करें। इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई से पहले अच्छी तरह से तैयार गोबर की खाद तथा पोटास उर्वरक का प्रयोग अवश्य करें।
आलू की फसल में उर्वरक की मात्रा डालें तथा फसल में मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें। जिन किसानों की टमाटर, फूलगोभी, बंदगोभी और ब्रोकली की पौधशाला तैयार है, वह मौसम को ध्यान में रखते हुए पौधों की रोपाई कर सकते हैं। गोभीवर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों की निरंतर निगरानी करते रहें। यदि संख्या अधिक हो तो बीटी 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या स्पेनोसेड दवा 1.0 एमएल/3 लीटर दर से पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें।
इस मौसम में किसान सब्जियों की निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट करें। सब्जियों की फसल में सिंचाई करें तथा उसके बाद उर्वरकों का बुरकाव करें। इस मौसम में मिलीबग के बच्चे जमीन से निकलकर आम के तनों पर चढ़ेंगे, इसको रोकने के लिए किसान जमीन से 5 मीटर की ऊंचाई पर आम के तने के चारों तरफ 25 से 30 से.मी. चौड़ी अल्काथीन की पट्टी लपेटें। तने के आस-पास की मिट्टी की खुदाई करें जिससे उनके अंडे नष्ट हो जाएंगे। आर्द्रता के अधिक रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि वे अपनी गेंदे की फसल में पुष्प सडऩ रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें।
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