Published - 25 Oct 2021
by Tractor Junction
इस बिहार सरकार सरकार का जोर राज्य में दलहन और तिलहन उत्पादन ( Pulses and oilseeds production ) को बढ़ाने पर रहेगा। इसके लिए राज्य सरकार ने राज्य में दलहन और तिलहन का रकबा बढ़ाने का निर्णय लिया है। वहीं राज्य सरकार की ओर से रबी/गरमा वर्ष 2021-22 में तिलहन का 2.20 लाख हेक्टेयर में खेती के लिए 3.90 लाख मैट्रिक टन तिलहन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राज्य में दलहन व तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों को इसके प्रमाणिक बीजों 80 प्रतिशत सब्सिडी पर मुहैया कराएं जाएंगे।
दलहन व तिलहन फसलों के अलावा बिहार में अन्य रबी और गरमा फसलों के लक्ष्यों को लेकर भी राज्य सरकार ने अनुमान जारी किया है। इसके तहत राज्य में रबी तथा गरमा फसलों की कुल बुवाई 45.10 लाख हेक्टेयर में खाद्यान फसलों की खेती में 153.35 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गेहूं फसल के लिए 23 लाख हेक्टेयर में खेती से कुल 72 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
रबी मक्का में 5 लाख हेक्टेयर में खेती के लिए कुल 42.75 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गरमा मक्का के लिए 2.75 लाख हेक्टेयर में खेती से कुल 16.50 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। बोरो एवं ग्राम धान फसल के लिए 2.00 लाख हेक्टेयर में आच्छादन तथा 7.20 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जौ फसल के लिए 0.25 लाख हेक्टेयर में खेती से कुल 0.35 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
गरमा फसल रबी और खरीफ के बीच के मौसम में उपजाई जाती है। इस वर्ग की फसलों में तेज गर्मी और शुष्क हवाएं सहन करने की अच्छी क्षमता होती हैं। उत्तर भारत में ये फसलें मूख्यत: मार्च-अप्रैल में बोई जाती हैं। उदाहरण के लिए तरबूज, खीरा, ककड़ी, मूंग, मक्का उड़द, सूरजमुखी फसलें इस श्रेणी में आती है। गरमा फसलों को जायद की फसल भी कहा जाता है। बता दें कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि विभाग गरमा फसल पर ज्यादा जोर दे रहा है, ताकि किसानों को तीन चक्र में फसल मिल सके।
बिहार राज्य सरकार का जोर इस बार राज्य में तिलहन व दलहन उत्पादन बढ़ाने पर रहेगा। इसके लिए किसानों को दलहन व तिलहन के बीज 80 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को वितरित किए जाएंगे। मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि कृषि विभाग ने रबी वर्ष 2021-22 में दलहन एवं तिलहन का उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके लिए राज्य में दलहन और तिलहनी फसलों के बीज प्रतिस्थापन दर में वृद्धि करने के साथ-साथ इसके रकबा में भी विस्तार किया जाएगा। रबी मौसम, वर्ष 2021-22 में राज्य योजना के अन्तर्गत मिनीकीट कार्यक्रम को कार्यान्वित करने हेतु सरकार की स्वीकृति प्राप्त हुई है।
प्रमाणिक बीजों का फसल उत्पादन में गुणवत्तायुक्त / प्रमाणित बीज का प्रमुख योगदान है। इससे न केवल प्रति इकाई फसल उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है, अपितु फसल उत्पादन के अन्य आदानों यथा उवर्रक, सिंचाई आदि का भी समुचित उपयोग होता है। इसके अलावा पैदावार भी अच्छी होती है। इस सब बातों को देखते हुए किसानों के लिए प्रमाणिक बीज काफी उपयोगी साबित हो रहे हैं।
बिहार राज्य सरकार की ओर से दलहन और तिलहन की खेती के लिए मिनी किट योजना चलाई जा रही है। मिनी किट योजना के तहत राज्य के किसानों को दलहन और तिलहन फसलों के प्रमाणित बीज 80 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को उपलब्ध कराएं जाएंगे। मिनी कीट योजना के तहत एक किसान को अधिकतम 2 एकड़ क्षेत्र के लिए बीज उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के तहत चना का 20,690 क्विंटल प्रमाणित बीज 80 प्रतिशत अनुदानित दर पर किसानों के बीच वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
राज्य में तिलहन तथा दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए रबी सीजन वर्ष 2021-22 के लिए 50 करोड़ से ज्यादा लागत से दलहन एवं तिलहन की मिनी किट योजना की स्वीकृति दी गई है। इसके लिए सभी जिला कृषि पदाधिकारी एवं बिहार राज्य बीज निगम को यह निर्देश दिया गया है कि विशेष अभियान चलाकर सही समय पर उच्च गुणवत्ता के बीज किसानों को होम डिलीवरी एवं सामान्य तरीके से वितरित किए जाएं।
इसी प्रकार, मसूर, मटर एवं राई/सरसों का प्रमाणित बीज क्रमश: 17,325 क्विंटल, 640 क्विंटल और 2,260 क्विंटल किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान पर दिया जाएगा। बीज प्राप्ति के लिए इच्छुक किसान डीबीटी/बीआरबीएन पोर्टल पर किसी एंड्रॉयड मोबाइल/कम्प्यूटर/कॉमन सर्विस सेंटर/वसुधा केंद्र/साइबर कैफे के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
यदि किसान भाई बीज अनुदान योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहते हैं तो वे इस प्रकार इसके लिए नीचे दिए गए स्टे्प्सों का पालन कर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं-
बीज अनुदान योजना के संबंध में अधिक जानकारी के लिए किसान भाई अपने क्षेत्र में कार्यरत कृषि पर्यवेक्षक, सहायक कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
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