1000 रू महीना लेने वाला माली फूलों की खेती से ऐसे बना करोड़ों का मालिक !

Share Product Published - 05 Sep 2017 by Tractor Junction

1000 रू महीना लेने वाला माली फूलों की खेती से ऐसे बना करोड़ों का मालिक !

40 वर्षीय बोलापल्ली श्रीकांत का जीवन पूरी तरह से खिले फूलों की तरह है। श्रीकांत जिन्होंने सोलह साल की उम्र में एक फूलों की फार्म में 1000 रूपये महीने की पगार में नौकरी किया, आज भारत में फूलों की खेती करने वालों की सूची में उन्होंने एक खास जगह बनाई है। इस खेल के वह माहिर खिलाड़ी बन गए हैं। आपको यकीन नहीं होगा आज उनका वार्षिक टर्न-ओवर करोड़ो का है।

दसवीं कक्षा की पढ़ाई छोड़कर, श्रीकांत तेलंगाना के निज़ामाबाद जिले में अपने गृहनगर से नालमंगला, जो बंगलुरू के बाहरी इलाके में स्थित है, एक परिचित के फूलों के फार्म में काम करने आ गए थे। उनका परिवार खेती पर निर्भर था और पूरी तरह से कर्ज में डूबा हुआ था। तब उन्होंने यह तय किया कि वह पढ़ाई छोड़ देंगे और नौकरी करेंगे

नालमंगला के फार्म में वह अठारह से बीस घंटे काम करते थे। दो साल तक काम करते हुए उन्होंने फूलों की खेती के बिज़नेस के बारे में पूरा ज्ञान हासिल कर लिया। कल्टीवेशन, हार्ववेस्टिंग, मार्केटिंग और उन्हें निर्यात करना सब में श्रीकांत ने महारथ हासिल कर ली।

जब वह 18 वर्ष के हुए तब उन्होंने 20,000 रुपयों से अपने फूलों के रिटेल का बिज़नेस शुरू किया। शुरुआत में उनके पिता उनके इस काम के लिए अनिच्छुक थे क्योंकि वह चाहते थे कि वह अपने घर की खेती में उनकी मदद करे। लेकिन श्रीकांत ने अपने मन की आवाज़ सुनी और अपनी योजना के साथ आगे बढ़े

1000 रुपये महीना सैलरी पर की माली की नौकरी

22 साल पहले, तेलंगाना के एक छोटे से शहर से ताल्लुक रखने वाले बोलापल्ली श्रीकांत का सपना था कि वह अपनी जमीन पर खेती करें। मगर गरीबी की वजह से घर-परिवार की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह जमीन खरीद सकें। हालात बिगड़ने पर श्रीकांत को अपना शहर निजामाबाद छोड़ना पड़ा और वह वर्ष 1995 में बेंगलुरु अपना करियर बनाने के लिए आ गये। उस समय डोड्डाबल्लापुरा क्षेत्र के पास श्रीकांत को फूलों की खेती से जुड़ी एक कंपनी में नवस्थापित ग्रीन हाउस परियोजना में बतौर पर्यवेक्षक के रूप में काम मिला। उस समय श्रीकांत की सैलरी 1000 रुपये महीना थी।

ऐसे हुई शुरुआत

श्रीकांत ने दो साल तक इस कंपनी में काम किया और फूलों की खेती में वैज्ञानिक खेती के बारे में काफी जानकारी हासिल की। इस बीच श्रीकांत ने अपनी दो साल की सैलरी यानी 20000 हजार रुपये से जब वह 18 वर्ष के हुए तब बैंगलुरु में ही फूलों का छोटा सा व्यापार शुरू किया और विभिन्न कंपनियों, किसानों और वितरकों से संपर्क साधकर फूलों का व्यापार करना शुरू कर दिया।

उन्होंने बेंगलुरू के विल्सन गार्डन में स्थित अपने घर पर ही अपनी फूलों की दुकान खोली। 200 स्क्वायर फ़ीट की जगह पर इन्होंने काम शुरू किया। अपनी शॉप का नाम उन्होंने ओम श्री साई फ्लावर्स रखा। अपने पुराने अनुभव से और संपर्कों की बदौलत इन्होंने दो सालों में ही अपने बिज़नेस को अच्छी जगह पर खड़ा कर दिया। शुरू में तो वे फूल उत्पादकों और थोक डीलर्स से फूल लेकर उन्हें पैक कर खुद ही ग्राहकों तक पहुंचाया करते थे।

दिन-प्रतिदिन उनके ग्राहक बढ़ते चले गए और फिर उनके फूल बड़े-बड़े होटलों, शादी, जन्मदिन और बहुत सारे आयोजनों में जाने लगे।पहले श्रीकांत अकेले ही फूलों को एकत्र करते थे और फिर पैकिंग और पार्सल किया करते थे। मगर मांग बढ़ने पर उन्होंने दो और कर्मचारियों को अपने साथ जोड़ लिया।

वर्ष 2012 में खरीदी जमीन

काफी लंबे समय तक फूलों का व्यापार करने के बाद साल 2012 में श्रीकांत ने डोड्डाबल्लापुरा में ही 10 एकड़ जमीन खरीदी और इस जमीन पर आधुनिक कृषि तकनीक से फूलों की खेती करना शुरू की। मगर आज चार साल बाद श्रीकांत 30 एकड़ जमीन पर फूलों की वैज्ञानिक खेती कर रहे हैं। श्रीकांत ने फूलों की खेती से पिछले साल 9 करोड़ रुपये का बड़ा मुनाफा कमाया और अब इस वर्ष 12 करोड़ लाभ कमाने की अनुमान लगा रहे हैं।

मांग इतनी ज्यादा की विदेशों भी मंगवाते है फूल

उनके खेतों के फूलों से उनके बिज़नेस के लिए केवल 10% तक के फूल हो पाते है बाकि वह ऊटी, कोडाइकनाल से मंगाते हैं। ज्यादा मांग होने पर थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और हॉलैंड से भी फूल आयात किया जाता है। श्रीकांत रेन वाटर हार्वेस्टिंग भी करते हैं अपने फार्म्स में। उनके यहाँ 300 कर्मचारी हैं जो उनके विल्सन गार्डन स्थित फार्म में काम करते हैं। और श्रीकांत 80 कर्मचारियों के रहने-खाने की व्यवस्था भी अपने फार्म में करते हैं।

Quick Links

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back