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बाजार में नकली खाद-बीज की बिक्री जोरों पर, किसान ऐसे करें नकली-असली की पहचान

Published - 31 Jul 2020

खाद व बीज खरीदे समय किसान रहें सावधान!

किसी भी फसल के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए अच्छे खाद, बीज की आवश्यकता होती है। यदि खाद व बीज नकली या घटिया स्तर के प्रयोग में लाए जाए तो फसल का उत्पादन तो घटता ही साथ ही उसकी गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है। इसलिए बाजार से बीज अच्छे बीज खरीदते समय अच्छे बीजों का चयन करना बेहद जरूरी हो जाता है। किसान फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए उन्नत किस्म के बीज एवं खाद बाजार से खरीदते हैं। लेकिन किसान कई बार भ्रामक विज्ञापनों या सूचनाओं के आधार पर खाद एवं बीज खरीद लेते हैं जिससे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है। जैसा कि सभी बीज तथा खाद और कीटनाशक कंपनियां किसानों को यह भरोसा देती है कि उनका बीज सबसे उत्तम है तथा इस वर्ष अधिक उत्पादन देगा लेकिन इसके विपरीत उलटा होता है। नकली बीज खरीदने के कारण फसल का नुकसान हो जाता है। ऐसा ही कुछ खेल मध्यप्रदेश में चल रहा है। यहां कई व्यापारियों एवं दुकानदारों के पास खाद, बीज एवं उर्वरक नकली पाए गए है। किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि किसानों को नकली बीज बेचने वालों के विरूद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत सख्त कार्यवाही की जाएगी।

 

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इन जगहों पर विक्रेताओं के खिलाफ मिली नकली बीज की शिकायत, मामला दर्ज

छिन्दवाड़ा में चार, सिवनी में चार, होशंगाबाद में तीन, धार में दो और छतरपुर, बडवानी, इंदौर, कटनी, शहडोल, नरसिंहपुर एवं हरदा में एक-एक विक्रेताओं के यहां नकली बीज की शिकायत मिली है। विरुद्ध अवैधानिक रूप से खाद के भंडारण, परिवहन और कालाबाजारी करने पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। 

 

खाद विक्रेताओं के 28 पंजीयन निलंबित और 21 पंजीयन निरस्त

किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने मीडिया को बताया कि जुलाई माह में अब तक 13 जिलों में उर्वरक विक्रताओं की दुकानों पर किए गए औचक निरीक्षणों में पाई गई अनियमितताओं पर 28 पंजीयन निलंबित किए गए हैं। साथ ही 21 के पंजीयन निरस्त किए गए हैं। इसी प्रकार 11 जिलों में 25 जून से अब तक यूरिया के अवैध भंडारण, अवैध परिवहन और बैगर लायसेंस के यूरिया बेचने पर 20 उर्वरक विक्र्रेताओं के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है। 

 

 

मध्यप्रदेश के इन जिलों में की गई कार्रवाई

13 जिलों में खाद की दुकानों के पंजीयन निलंबित और निरस्त किए गए हैं। सिवनी, झाबुआ, शिवपुरी, मंडला, जबलपुर, छिन्दवाड़ा, खंडवा, खरगौन, सीहोर, राजगढ़, हरदा, रायसेन और धार जिले के उर्वरक विक्रय की दुकानों के औचक निरीक्षण में 21 दुकानों पर नमूने अमानक पाए गए। दो दुकानों पर पीओएस मशीन का उपयोग नहीं किया जाना पाया गया। चार दुकानों पर अभिलेख संधारित नहीं पाए गए। निरीक्षण में 17 दुकानों पर अनियमितता पाई गई। एक दुकान पर यूरिया के साथ जबरन अन्य सामग्री वितरित करने और एक दुकान पर बिना दस्तावेज के यूरिया भंडारण पाये जाने पर कार्यवाही की गई।

 

वैज्ञानिक विधि से जांचें असली बीज की गुणवत्ता

किसान चाहे तो बुआई से पहले घर पर भी बीज की गुणवत्ता का परीक्षण कर सकता है। इसके लिए उसे वैज्ञानिक विधि काम में लेनी पड़ेगी। बीज परीक्षण के लिए सूती कपड़ा विधि और अखबार विधि का इस्तेमाल किसान के लिए अधिक आसान रहेगा।

सूती कपड़ा विधि

  • 100 बीजों को सूती कपड़े या जूट की बोरी में दूर-दूर रखें।
  • कपड़े या बोरी को गीला कर ढंककर अंधेरी जगह रखें।
  • पांच दिन बाद उगे बीजों की संख्या गिन कर प्रतिशत निकाल लें।

अखबार विधि

  • अखबार के पृष्ठ को एन आकृति में चार समान हिस्सों में मोड लें।
  • बीजों को कतार में बिछा लें।
  • मोड़े हुए पेपर के दोनों छोरों को धागे से बांध दें।
  • पेपर को गीला कर पॉलीथिन में रखें और उसका मुंह बांध दें।
  • चार-पांच दिन बाद अंकुरण की स्थिति देख प्रतिशत निकाल लें।

 

सरकारी प्रयोगशाला में निशुल्क होती है बीजों की जांच

प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स एक्सपर्ट् कहते हैं कि अच्छे उत्पादन के लिए किसान को बुवाई से पहले बीज अंकुरण परीक्षण करवा लेना चाहिए। परीक्षण में यदि 80 से 90 फीसदी बीजों का अंकुरण हो तो बीज बेहतर माना जाता है।60-70 फीसदी अंकुरण की स्थिति में बीजदर बढ़ाई जा सकती है। 60 फीसदी से कम बीजों में अंकुरण हो तो बीज बदलना चाहिए। किसान चाहे तो बीज प्रमाणीकरण प्रयोगशाला में बीज की निशुल्क जांच कराकर उसकी अंकुरण क्षमता जांच सकता है। प्रयोगशाला में नमूना जमा कराने के एक सप्ताह बाद किसान को रिपोर्ट सौंप दी जाती है, जिसमें किसानों को उपज की अंकुरण क्षमता, गुणवत्ता की अधिकृत रिपोर्ट सौंपी जाती है। साथ ही किसान द्वारा उपज की बीज के रूप में बुवाई की मात्रा की भी सिफारिश की जाती है।

 

ऐसे करें असली खाद की पहचान

डी.ए.पी.

किसान भाइयों डी.ए.पी.के कुछ दानों को हाथ में लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मलने पर यदि उसमें से तेज गंध निकले जिसे सूंघना मुश्किल हो जाए तो समझें कि ये डी.ए.पी. असली है। किसान भाइयों डी.ए.पी.को पहचानने की एक और सरल विधि है। यदि हम डी.ए.पी. के कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें यदि ये दाने फूल जाते है तो समझ लें यही असली डी.ए.पी. है। ये डी.ए.पी. की असली पहचान है। इसके कठोर दाने ये भूरे काले एवं बादामी रंग के होते है और नाखून से आसानी से नहीं टूटते हैं।

 

यूरिया

यूरिया की असली के दाने सफेद चमकदार व  समान आकार के होते हैं। इन दानों को पानी में डालने पर यह पूर्णतया घुल जाते हैं तथा इसके घोल को छूने पर शीतल अनुभूति होती है। यदि ऐसा हो तो समझ लेना चाहिए कि यूरिया असली है। वहीं यूरिया को तवे पर गर्म करने से इसके दाने पिघल जाते है यदि हम आंच तेज कर दें और इसका कोई अवशेष न बचे तो समझ लें यही असली यूरिया है।

 

सुपर फास्फेट

सुपर फास्फेट की असली पहचान है इसके सख्त दाने तथा इसका भूरा काला बादामी रंग। आप इसके कुछ दानों को गर्म करें यदि ये नहीं फूलते है तो समझ लें यही असली सुपर फास्फेट है। ध्यान रखें कि गर्म करने पर डी.ए.पी. व अन्य काम्प्लेक्स के दाने फूल जाते है जबकि सुपर फास्फेट के नहीं। इस प्रकार इसकी मिलावट की पहचान आसानी से की जा सकती है। सुपर फास्फेट नाखूनों से आसानी से नहीं टूटने वाला उर्वरक है। ध्यान रखें इस दानेदार उर्वरक में मिलावट बहुधा डी.ए.पी. व एन.पी.के. मिक्स्चर उर्वरकों के साथ की जाने की संभावना बनी रहती है।

 

पोटाश

पोटाश की असली पहचान है इसका सफेद कड़ा-कड़ा होना। ये नमक और लाल मिर्च जैसा मिश्रण होता है। जांच के लिए पोटाश के कुछ दानों को नम करें यदि ये आपस में नहीं चिपकते है तो समझ लें कि ये असली पोटाश है। एक बात और ध्यान रखें कि पोटाश पानी में घुलने पर इसका लाल भाग पानी में ऊपर तैरता रहता है।

 

जिंक सल्फेट 

जिंक सल्फेट की असली पहचान ये है कि इसके दाने हल्के सफेद पीले तथा भूरे बारीक कण के आकार के होते है। जिंक सल्फेट में प्रमुख रूप से मैगनीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है। भौतिक रूप से सामान्य होने के कारण इसके असली व नकली की पहचान करना कठिन होता है। एक बात और डी.ए.पी. के घोल मे जिंक सल्फेट का घोल मिलाने पर थक्केदार घना अवशेष बनाया जाता है। जबकि डी.ए.पी. के घोल में मैगनीशियम सल्फेट का घोल मिलाने पर ऐसा नहीं होता है। यदि हम जिंक सफेट के घोल मे पलती कास्टिक का घोल मिलाएं तो सफेद मटमैला मांड जैसा अवशेष बनता है। यदि इसमें गाढ़ा कास्टिक का घोल मिला दें तो ये अवशेष पूर्णतया घुल जाता है। इसी प्रकार यदि जिंक सल्फेट की जगह पर मैगनीशियम सल्फेट का प्रयोग किया जाय तो अवशेष नहीं घुलता है।

 

 

नकली खाद मिलने पर यहां करें शिकायत

यदि कहीं भी अगर नकली खाद की पाई जाए तो किसान इसकी जानकारी अपने जिले के उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी और कृषि निदेशक को दे सकते हैं। इसके अलावा किसान इसकी शिकायत सीधे किसान काल सेंटर के टोल फ्री नंबर-1800-180-1551 पर भी कर सकते हैं।

 

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