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नए साल में प्याज कराएगी मोटी कमाई, सरकार ने निर्यात से रोक हटाई

Published - 30 Dec 2020

प्याज निर्यात से रोक हटते ही थोक भावों में आया जोरदार उछाल

प्याज की घरेलू मांग कम होने के कारण केंद्र सरकार ने इसके निर्यात पर लगी रोक को हटा लिया है। यह रोक प्याज की सभी किस्मों पर से हटाई गई है। सरकार का यह फैसला नए साल यानि एक जनवरी से लागू होगा। इससे अब नए साल में प्याज का निर्यात नेपाल, बांग्लादेश सहित अन्य देशों को किया जा सकेगा। वहीं दूसरी ओर प्याज के निर्यात को हरी झंडी मिलते ही प्याज के थोक भावों में जोरदार उछाल देखने को मिला। महाराष्ट्र की मंडी में प्याज के भावों में ये उछाल देखने को मिला। यहां प्याज के थोक भावों में करीब 500 रुपए तक की बढ़ोतरी देखी गई।

 

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जानें, पहले क्यों लगी थी प्याज निर्यात पर रोक

बता दें कि सरकार ने इस साल 2020 सितंबर में प्याज की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी होने और घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी। मीडिया में प्रकाशित जानकारी के आधार पर विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना में कहा कि प्याज की सभी किस्मों का निर्यात को एक जनवरी 2021 से मुक्त रूप से किया जा सकता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) वाणिज्य मंत्रालय की इकाई है जो कि निर्यात और आयात-संबंधी मुद्दों को देखता है। राष्ट्रीय राजधानी में प्याज का खुदरा मूल्य 35-40 रुपए प्रति किलोग्राम के दायरे में है।

 

 

भारत के प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य

भारत में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक तीन सबसे बड़े प्याज उगाने वाले राज्य हैं। भारत सबसे बड़े प्याज निर्यातकों में से एक है। भारत से नेपाल और बांग्लादेश सहित कई देशों को प्याज का निर्यात किया जाता है।


प्याज आयात के आसान नियमों को अगले साल 31 जनवरी तक बढ़ाया

इससे पहले 18 दिसंबर को सरकार ने प्याज आयात के आसान नियमों को अगले साल 31 जनवरी तक बढ़ा दिया था। प्याज की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने तथा इसकी खुदरा कीमतों पर अंकुश के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया था। प्याज के आयात के लिए सरकार ने 31 अक्टूबर को वनस्पति संगरोध आदेश (पीक्यू) 2003 के तहत ध्रुमीकरण और पौधों से संबंधित यानी फाइटोसैनिटरी प्रमाणन पर अतिरिक्त घोषणा से छूट देते हुए 15 दिसंबर तक उदार व्यवस्था के तहत आयात की अनुमति दी थी। अब इस ढील को डेढ़ महीने बढ़ाकर 31 जनवरी तक कर दिया है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा कि बाजार में प्याज की ऊंची कीमतों को लेकर आम लोगों में चिंता है। इसके मद्देनजर प्याज आयात नियमों में दी गई ढील को 31 जनवरी, 2021 तक बढ़ाया जा रहा है। हालांकि, यह छूट कुछ शर्तों के साथ दी गई है।

 

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थोक भाव 1600 की जगह 2100 रुपए प्रति क्विंटल हुआ

देश में प्याज की नई आवक शुरू होने से कीमतों पर बने दबाव को कम करने के लिए सरकार द्वारा सोमवार को प्याज निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने की घोषणा के तुरंत बाद ही प्याज की थोक कीमतों में जोरदार उछाल देखने को मिला है। मंगलवार को महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में प्याज का थोक भाव 2200 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। इससे पहले सोमवार को यहां प्याज का थोक भाव अधिकतम 1750 रुपए प्रति क्विंटल था। वहीं मनमाड मंडी में मंगलवार को प्याज का थोक भाव 2100 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया, जो सोमवार को 1600 रुपये प्रति क्विंटल तक था।


विश्व में प्याज उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर, फिर क्यूं हर बार महंगा होता है प्याज?

विश्व में प्याज 1,789 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में उगाई जाती हैं, जिससे 25,387 हजार मीट्रिक टन उत्पादन होता है। भारत में इसे कुल 287 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में उगाये जाने पर 2450 हजार टन उत्पादन प्राप्त होता है। महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु तथा गुजरात आदि प्रदेशों में अधिकता से उगाया जाता है। दुनिया में प्याज उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है। उसके बावजूद यहां के प्याज के दाम हर साल आसमान छूने लग जाते हैं और लोगों को महंगा प्याज खरीदना पड़ता है। 

बाजार एक्सपर्ट्स के अनुसार इसके पीछे बिचौलियों और जमाखोरों का हाथ होता है। ये निर्यात में छूट मिलते ही बाजार में कृत्रिम कमी पैदा करना शुरू कर देते हैं और परिणाम स्वरूप प्याज के दाम बढऩे लगते हैं। बता दें कि प्याज भारत से कई देशों में निर्यात होता है, जैसे कि नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, इत्यादि। प्याज की फ़सल कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश जैसी जगहों पर अलग-अलग समय पर तैयार होती है। इस वजह से करीब-करीब साल भर बाजार में प्याज की उपलब्धता रहती है। लेकिन बिचौलियों व जमाखोरों के कारण प्याज के भावों में तेजी का रूख हर साल देखने को मिलता है।

 

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भारत में कब-कब होती है प्याज की खेती?

भारत में प्याज की खेती के तीन सीजन है। पहला खरीफ, दूसरा खरीफ के बाद और तीसरा रबी सीजन का होता है। खरीफ सीजन में प्याज की बुआई जुलाई अगस्त महीने में की जाती है। खरीफ सीजन में बोई गई प्याज की फसल अक्टूबर दिसंबर में मार्केट में आती है। प्याज का दूसरे सीजन में बुआई अक्टूबर नवंबर में की जाती है। इनकी सप्लाई जनवरी-मार्च में होती है।

प्याज की तीसरी फसल रबी फसल है। दिसंबर-जनवरी में बुआई होती है और फसल की कटाई मार्च से लेकर मई तक होती है। एक आंकड़े के मुताबिक प्याज के कुल उत्पादन का 65 फीसदी रबी सीजन में होती है। इस हिसाब से पर्याप्त स्टाक होने पर देश में पूरे साल प्याज की उपलब्धता बनी रह सकती है। बशर्ते बिचौलियों व जमाखोरों पर लगाम लगाई जाए।

 

 

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