Published - 11 May 2020
कोरोना लॉकडाउन के कारण फल-सब्जी उत्पादक किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। देश की बड़ी मंडिया में मांग व परिवहन साधनों की कमी से किसान परेशान है। लॉकडाउन का असर नासिक के प्याज किसानों पर भी पड़ा है। नासिक मंडी में ग्राहक नहीं आने से किसानों को प्याज की फसल बेचने में परेशानी आ रही है और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। नासिक में प्याज 450 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिक चुका है। वहीं देश की कई अन्य मंडियों में प्याज 2 से 3 रुपए किलो तक बिक चुका है। अब नासिक के प्याज किसानों को सरकार से मदद की दरकार है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार प्याज के उत्पादन में महाराष्ट्र देश में नंबर वन राज्य है। देश के कुल उत्पादन का 33 प्रतिशत प्याज महाराष्ट्र में होता है। इसके अलावा कर्नाटक, एमपी ,गुजरात , बिहार , आंध्र प्रदेश , राजस्थान , हरियाणा , तेलंगाना प्याज के बड़े उत्पादक राज्य हैं।
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नासिक मंडी में इस माह प्याज के भाव नीचे में 450 व ऊंचे में 1150 रुपए प्रति क्विंटल तक रह चुके हैं। किसानों को मंडी तक प्याज पहुंचाने में प्रति क्विंटल 100 रुपए पैंकिंग, परिवहन व मजदूरी के लिए चुकाने पड़ते हैं। किसानों के अनुसार लॉकडाउन के कारण मंडी में प्याज के खरीदार नहीं आ रहे हैं और प्याज के दाम पहले से गिर चुके हैं। किसानों के अनुसार जल्द ही मानसून आने वाला है और किसानों के पास प्याज के भंडारण की जगह नहीं है। प्याज किसानों का कहना है कि खुदाई, पैकिंग और परिवहन के लिए मजदूर मिल नहीं रहे है, ऐसे में राज्य सरकार ने हमारी मदद करनी चाहिए। आने वाले दिनों में किसानों की समस्याएं और अधिक बढ़ जाएंगी। किसानों की मांग है कि सरकार हमारी मदद करें, साथ ही राज्य सरकार प्याज की खरीद करें, जिससे नुकसान की भरपाई हो सके। उल्लेखनीय है कि देश के अलग-अलग राज्यों में पूरे साल प्याज की खेती होती है। अप्रैल से अगस्त के बीच रबी की फसल होती है जिसमें करीब 60 प्रतिशत प्याज का उत्पादन होता है। अक्टूबर से दिसंबर और जनवरी से मार्च के बीच 20-20 प्रतिशत प्याज का उत्पादन होता है।
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