Published - 27 Aug 2020 by Tractor Junction
किसानों के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही है ताकि उनका लाभ किसानों को मिले ताकि उनकी आमदनी में इजाफा हो सके। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में अब एग्री बिजनेस को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नाबार्ड देशभर की 2200 अधिक सोसायटियों को एक हजार करोड़ का लोन उपलब्ध कराएगा। इससे किसानों को फायदा होगा। जानकारी के अनुसार नाबार्ड ने देशभर में 2200 से अधिक क्रेडिट सोसायटियों की पहचान की है। इन्हेंं एक हजार करोड़ का लोन दिया जाएगा। नाबार्ड की ओर से चिन्हित सोसायटियों में सबसे ज्यादा सोसायटियां मध्यप्रदेश की है। इस हिसाब से देखा जाए तो यहां सबसे ज्यादा लोन इसी राज्य की सोसायटियों को मिलेगे जिससे यहां के किसानों को फायदा होगा।
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नाबार्ड की ओर से कर्ज उपलब्ध कराने के लिए अभी तक देशभर में 2282 प्राइमरी एग्रीकल्चर कोआपरेटिव सोसायटी (पैक्स) को चिन्हित किया जा चुका है। जबकि 2325 एग्रीकल्चर कोआपरेटिव सोसायटी की पहचान की गई है जिनमें मध्यप्रदेश की 350, आंध्र प्रदेश की 347, महाराष्ट्र की 309, राजस्थान की 258, तेलंगाना की 207, पश्चिम बंगाल की 281, तमिलनाडु की 202, गुजरात की 151, छत्तीसगढ़ की 125 व हरियाणा की 95 सोसायटियां शामिल हैं।
नाबार्ड के डिपार्टमेंट आफ रि-फाइनेंस सीजीएम एलआर रामचंद्रन ने मीडिया को बताया कि यह लोन नाबार्ड मल्टी सर्विस सेंटर के तहत दिया जाएगा। इससे सोसायटियां लोन लेकर कोल्ड स्टोरेज, गोदाम, आयल मिल, प्रोसेसिंग यूनिट, फ्लोर मिल खोल सकती हैं। इसके अलावा टै्रडिंग भी कर सकती हैं।
जिन सोसायटी को चिन्हित किया गया है इन सभी से प्रोजेक्ट की डीपीआर मांगी जा रही है। प्रोजेक्ट स्वीकृत होने के बाद लोन देने की प्रक्रिया शुरू होगी। प्रत्येक सोसायटी को करीब 30 से 40 लाख रुपए का लोन दिया जाएगा। बता दें कि अभी तक 2282 सोसायटियां चिन्हित की जा चुकी है। कुल 3 हजार सोसायटियों को लोन दिया जाएगा।
कितना फीसदी लगेगा ब्याज, कितनी सब्सिडी मिलेगी
जिन सोसायटियों को यह लोन उपलब्ध कराया जाएगा उनसे 4 फीसदी ब्याज लिया जाएगा। यदि वो कृषि से संबंधित कार्य करते हैं तो 3 फीसदी का अनुदान दिया जाएगा। इस तरह सोसायटियों को मात्र एक फीसदी ब्याज पर लोन उपलब्ध हो जाएगा। इस लोन की अवधि की बात करें तो यह लोन पांच से सात साल की अवधि में चुकाना जरूरी होगा। इसके साथ ही इस लोन में छह माह से 2 साल तक मोरटोरियम पीरियड रहेगा। जिससे यदि अगर किसी कारणवश काम शुरू नहीं हो पाता है तो सोसायटी को कोई परेशानी नहीं हो।
केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी को छह हजार रुपए महीना से बढ़ाकर 12 हजार रुपए करने का लक्ष्य बनाया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने नाबार्ड के माध्यम से सोसायटियों को ऋण मुहैया करवा कर किसानों की मदद कर रही है। अभी तक किसान को खेती के लिए ही लोन मिलता था, लेकिन पहली बार किसानों को अन्य कामों के लिए लोन मिलेगा। इससे अब किसान खेती के साथ-साथ एग्री बिजनेस से भी जुड़ेंगे। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।
शिवरामन समिति ( शिवरामन कमिटी ) की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम 1981 को लागू करने के लिए संसद के एक अधिनियम के द्वारा 12 जुलाई 1982, को नाबार्ड की स्थापना की गई। इसने कृषि ऋण विभाग (एसीडी एवं भारतीय रिजर्व बैंक के ग्रामीण योजना और ऋण प्रकोष्ठ (रुरल प्लानिंग एंड क्रेडिट सेल) (आरपीसीसी तथा कृषि पुनर्वित्त और विकास निगम (एआरडीसी) को प्रतिस्थापित कर अपनी जगह बनाई। यह ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण उपलब्ध कराने के लिए प्रमुख एजेंसियों में से एक है।
भारत में ग्रामीण विकास के क्षेत्र में नाबार्ड की भूमिका अभूतपूर्व है। कृषि, कुटीर उद्योग और ग्रामीण उद्योगों के विकास के लिए ऋण प्रवाह को सुविधाजनक बनाने और विकास को बढ़ावा देने के अधिदेश के साथ भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना एक शीर्षस्थ विकास बैंक के रूप में की। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक एक ऐसा बैंक है जो ग्रामीणों को उनके विकास एवं आर्थिक रूप से उनकी जीवन स्तर सुधारने के लिए उनको ऋण उपलब्ध कराती है।
कृषि, लघु उद्योग, कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्पों के उन्नयन और विकास के लिए ऋण-प्रवाह सुविधाजनक बनाने के अधिदेश के साथ नाबार्ड 12 जुलाई 1982 को एक शीर्ष विकासात्मक बैंक के रूप में स्थापित किया गया था। उसे ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य संबंधित क्रियाकलापों को सहायता प्रदान करने, एकीकृत और सतत ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि सुनिश्चित करने का भी अधिदेश प्राप्त है।
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