Published - 26 May 2020 by Tractor Junction
किसान भाइयों का एक बार फिर ट्रेक्टर जंक्शन में स्वागत है। हर बार की तरह आज भी हम किसान भाइयों के लिए जरूरी काम खबर लाए है। अब किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए मंडी जाने की जरूरत नहीं होगी। व्यापारी खुद चलकर आपके पास आएंगे फसल खरीदने। हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के मंडी अधिनियम में कई संशोधन किए हैं। सरकार का दावा है कि इनके लागू होने पर अब किसान घर बैठे अपनी फसल निजी व्यापारियों को बेच सकेंगे। इसी के साथ किसानों के पास मंडी में समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचने का विकल्प भी खुला रहेगा। अब यह किसान पर निर्भर होगा कि वे अपनी फसल कहां बेचे।
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मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों को मंडी अधिनियम में किए गए संशोधन की जानकारी देते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि अब व्यापारी लाइसेंस लेकर किसानों के घर या खेत पर जाकर उनकी फसल खरीद सकेगा। पूरे प्रदेश के लिए एक लाइसेंस रहेगा। इससे व्यापारी कहीं भी फसल खरीद सकेंगे। उन्होंने बताया कि हमने ई-टे्रडिंग व्यवस्था भी लागू की है, जिसमें पूरे देश की मंडियों के दाम किसानों को उपलब्ध रहेंगे। वे देश की किसी भी मंडी में, जहां उनकी फसलों को अधिक दाम मिले, सौदा कर सकेंगे।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मंडी अधिनियम के तहत किए गए संशोधन से किसानों को फायदा होगा। ई-ट्रेडिंग व्यवस्था लागू होने से किसानों को आनलाइन देश भर की मंडियों के दाम उपलब्ध हो जाएंगे। जिससे किसान को अपनी फसल को कहां बेचना है इस संबंध में निर्णय लेने में मदद मिलेगी। इससे किसान जहां अधिक मूल्य मिलेगा वहां वह अपनी फसल बेच कर मुनाफा कमा सकेगा। वहीं उसको फसल बेचने के लिए बार-बार मंडी आने-जाने की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। इससे उसका श्रम व पैसा दोनों बचेगा।
सरकार द्वारा किसानों के लिए उठाए गए इस कदम से बेशक किसानों को फायदा होगा। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि निजी व्यापारी किसान से कम कीमत पर फसल खरीदने के लिए बड़े स्तर पर लामबंदी यानि एक होकर समर्थन मूल्य से थोड़ा ज्यादा मूूल्य तय करके सौदा कर किसान से उसकी फसल खरीदकर ऊंचे दामों में बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। और रही बात अन्य जगह पर किसान द्वारा जाकर फसल बेचने की तो इसमें किसान को जितना वहां फसल बेचकर मुनाफा नहीं होगा उससे ज्यादा तो उपज का किराया लग जाएगा। इससे विवश होकर किसान अपने ही प्रदेश में फसल बेचने को मजबूर हो जाएगा जिसका लाभ प्रदेश में लामबंद हुए निजी व्यापारियों को मिलेगा। ये व्यापारी थोड़ा बहुत मुनाफा देकर किसान से फसल खरीदने में कामयाब रहेंगे।
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