Published - 02 Sep 2020 by Tractor Junction
पिछले एक सप्ताह के दौरान हुई बारिश ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। इन फसलों में सबसे अधिक नुकसान दालों, तिलहन व सोयाबीन की फसल को हुआ है। इसके अलावा फसलों पर कीटों के प्रकोप से भी कई जगह फसल खराब हुई है जिससे उत्पादन पर असर पड़ेगा। सोयाबीन के पौधों पर बड़े पैमाने पर कीटों के हमले और भारी बारिश और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण उत्पादन में 10 प्रतिशत से 12 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगा हैं। पंजाब और हरियाणा में कपास की फसल पर कीट के हमले से फसल को नुकसान पहुंचा है।
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कपास की फसल को बैक्टीरियल ब्लाइट, एक फंगल और बैक्टीरियल बीमारी ने प्रभावित किया है। इसके अलावा कपास में इस साल सफ़ेद मक्खी कीट का हमला भी बढ़ गया है। यदि यह फैलता है, तो अधिक नुकसान हो सकता है। इधर लंबे शुष्क मौसम के बाद राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश के बाद जल भराव से ग्वार की फसल को नुकसान हो रहा है।
भारी बारिश और फसलों पर कीटों के हमलों के चलते दालों और तिलहन की कीमतों में 10 फीसदी तक का उछाल आया है। बाजार एक्सपर्ट्सों के अनुसार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में भारी बारिश के बाद मूंग और उड़द की कीमतें 10 प्रतिशत बढक़र 62 रुपए किलो हो गई हैं। वहीं भारी बारिश और कीटों के हमलों के चलते अन्य दालों की कीमतें भी बढ़ गई हैं। बाजार एक्सपर्ट्सों का मानना है कि खेतों में जलभराव एक बड़ी समस्या है और हम उम्मीद करते हैं कि शार्ट टर्म में कीमतें मजबूती रहेंगी। हालांकि, अगर सरकार दिसंबर तक उड़द आयात करने की समय सीमा बढ़ाती है, तो कीमतें स्थिर हो सकती हैं।
सोयाबीन की फसल को मैजोक कीट से काफी नुकसान हुआ है। इसमें सबसे अधिक नुकसान मध्यप्रदेश में हुआ है। यहां किसानों की करीब 40 प्रतिशत तक फसल नुकसान पहुंचा है। मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल को मैजोक कीट से भारी नुकसान होने के कारण पिछले एक सप्ताह में कीमतें 6 प्रतिशत बढक़र 41 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई हैं। यदि इस कीट पर नियंत्रण नहीं हुआ तो नुकसान ओर भी अधिक हो सकता है जिसका उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा और बाजार में कीमतें और बढ़ेंगी।
पंजाब और हरियाणा में कपास की फसल पर कीट के हमले होने से पिछले एक सप्ताह में इसकी कीमतों में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बता दें कि हरियाणा में 40,000 से अधिक हेक्टेयर और पंजाब में 20,000 हेक्टेयर में, कपास की फसल बैक्टीरियल ब्लाइट, एक फंगल और बैक्टीरियल बीमारी से प्रभावित है। इससे फसल को नुकसान का अंदेशा है इससे उत्पादन में कमी आ सकती है। इधर ग्वार के दाम भी 5 प्रतिशत बढ़ गए हैं। इधर जोधपुर की मंडी में ग्वार गम का भाव 65 रुपए किलो और ग्वार सीड का भाव 41 रुपए प्रति किलो का भाव रहा। बाजार विश्लेषकों का अनुमान है कि अक्टूबर में नई फसल आने तक कीमतें अस्थिर रहेंगी। नई फसल आने के बाद ही सभी जिंसों के भाव में स्थिरता देखी जा सकती है।
चालू वित्त वर्ष के लिए 4 लाख टन उड़द इंपोर्ट कोटे की मियाद 31 अगस्त को खत्म हो गई है। साथ ही सस्ती इंपोर्ट ड्यूटी पर मसूर का इंपोर्ट भी नहीं हो सकेगा। गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार ने 4 लाख टन उड़द इंपोर्ट का कोटा जारी किया था, जिसकी मियाद 31 अगस्त तक थी। वहीं 2 जून को जारी नोटिफिकेशन के तहत मसूर इंपोर्ट पर ड्यूटी 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने के फैसले की अवधि भी खत्म हो गई है। दाल की कीमतों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के एक बयान के बाद सरकार ने आननफानन में अमेरिका के अलावा सभी देशों की मसूर इंपोर्ट पर लगने वाली ड्यूटी को 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था। जो महज 31 अगस्त तक ही मान्य था। अब इसकी भी मियाद खत्म हो जाने के बाद माना जा रहा है कि सस्ती ड्यूटी पर अब मसूर का इंपोर्ट नहीं हो सकेगा।
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