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चीनी सामान के बहिष्कार ने दिखाया असर, चीन के कई देशों से व्यापारिक संबंधों में आई कमी

Published - 06 Jul 2020

चीनी स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी भी संकट में, 30 से 40 फीसदी तक उत्पादन घटा

देश में चीनी सामान के बहिष्कार ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। भारत के सख्त रूख को देख अन्य देशों में भी चीन के खिलाफ विरोध के स्वर उभरने लगे हैं। इस दिशा में भारत सरकार ने चीन के साथ सीमा विवाद के मध्यनजर चीन से अपने व्यापारिक संबंधों में कमी करने का फैसला किया। मोदी सरकार के इस कदम का सभी जगह स्वागत किया गया। वहीं जनता ने भी सरकार का साथ देते हुए चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम छेड़ी जो अभी जारी है। चाहे सोशल मीडिया हो या अखबार सभी में चीनी सामान के बहिष्कार की खबरें भी खूब आ रही है।

 

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गौरतलब है कि भारत-चीन का सीमा विवाद, कोई नया मामला नहीं है। इस तरह का सीमा विवाद कई दशकों से चला आ रहा है। चीन की मंशा सदैव भारत सहित चीन सीमा से लगते पड़ौसी देशों पर अपनी सीमा बढ़ाने की रही है। पिछले कई महीनों से भारत व चीन के मध्य सीमा विवाद को लेकर काफी  तनातनी का माहौल रहा। इस दरम्यान गलवान घाटी में सीमा पर 15 जून को चीन की सेना के साथ झड़प में एक अफसर सहित 20 भारतीय जवान के शहीद हो गए थे। इसे लेकर लोगों का गुस्सा चीन पर ऐसा फूटा कि लोगों ने चीनी सामान के बहिष्कार मुहिम छेड़ दी।

सोशल मीडिया पर इसकी बानगी देखी जा सकती है। बात यहीं खत्म नहीं होती है, देश में जगह-जगह लोग विरोध-प्रदर्शन कर चीनी सामान की होली जलाकर जनता से चीनी सामान नहीं खरीदने का आग्रह कर रहे हैं। सरकार भी चीनी सामान के आयात को लेकर बेहद कड़े फैसले ले रही है। 

 

 

ई-पार्टल या ऑनलाइन बाजार से चीनी समान की खरीद पर प्रतिबंध से चीन को नुकसान

भारत में ई-पार्टल या आनलाइन बाजार से चीनी समान की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिए जाने से चीन को आर्थिक स्तर पर झटका लगा है। मीडिया व समाचार पत्रों में छपी खबरों के आधार पर हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि चीन में बनी कोई भी वस्तु सरकारी ई-पोर्टल या ऑनलाइन बाजार पर या अन्य माध्यम से नहीं खरीदी जाए। पासवान ने सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों जैसे भारतीय खाद्य निगम और सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन सहित अपने सभी विभागों को चीन की वस्तुएं खरीदेने पर प्रतिबंध लगाने वाला ज्ञापन भी जारी किया। इसके बाद से ई-पार्टल व अन्य स्त्रोतों से चीनी सामान की खरीदारी पर बैन लग गया है। अब ई-पार्टल या ऑनलाइन बाजार से कोई भी चीनी सामान नहीं खरीदा जा सकता है। ऐसा होने के बाद से चीन की भारत से ई-पोर्टल या ऑनलाइन बाजार के माध्यम से होने वाली कमाई घट गई है। 

 

भारत में चीनी मोबाइल एप बंद होने से चीन को आर्थिक नुकसान

भारत में 59 चीनी मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगा देने के मोदी सरकार के कदम को सोशल मिडिया पर डिजिटल स्ट्राइक के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं भारत की इस कार्रवाई ने चीनी सरकार की नींद उड़ा दी है। मीडिया व समाचार पत्रों में छपी खबरों के आधार पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्रविटर पर कहा कि चीन कि सरकार इस फैसले से चिंतित है। भारत सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहीं पर भी चीन का नाम नहीं लिया गया है मगर जिन एप को प्रतिबंधित किया गया है, उनमें से बहुत से एप या तो चीन में बने हैं या उनका स्वामित्व चीनी कंपनियों के पास है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत सरकार की तरफ से 59 एप पर प्रतिबंध लगाने से भारत के तकनीक और इंटरनेट कारोबार में निवेश पर असर पड़ेगा। अब इस सेक्टर में चीन का निवेश नहीं के बराबर होने की उम्मीद है। भारत सरकार के इस कदम से चीन की उन इंटरनेट कंपनियों को बड़ा झटका लगा है जो आने वाले दिनों में दुनिया पर राज करने की कोशिश में जुटी थीं।  

 

 

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लाइकी, टिकटॉक व आलीबाबा के यूसी ब्राउजर से होती थी चीन को मोटी कमाई, बंद होने से लगा बड़ा झटका, कई हजार करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित

भारत द्वारा 59 चीनी एप बैन किए गए है, उनमें से लोकप्रिय एप टिकटॉक भी शामिल है। टिकटॉक के भारत में बंद हो जाने से चीन को काफी आर्थिक नुकसान पहुंच रहा है। हाल की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने टिकटॉक एप के जरिये भारत में यूजर स्पेंडिंग से जून 2019 से जून 2020 तक करीब 6.9 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। कंपनी को 2019 की चौथी तिमाही में 377 करोड़ रुपए की आय इस एप के जरिये हुई। साल दर साल के हिसाब से टिकटॉक की कमाई चौथी तिमाही में करीब 310 गुना बढ़ गई। पूरे 2019 वित्त वर्ष में कंपनी को करीब 720 करोड़ रुपए की कमाई सिर्फ टिकटॉक जरिये की थी। इसी तरह शॉर्ट वीडियो बनाने वाले लाइकी एप से चीन को मोटी कमाई होती है।

सिर्फ यूजर स्पेंडिंग से ही लाइकी को सालाना 7.76 लाख डॉलर यानी करीब 5.79 करोड़ रुपये की कमाई होती है। भारत में लाइकी पर बैन होने से चीन की ये कमाई भी रुक गई है। इसके  अलावा अलीबाबा के यूसी ब्राउजर से भी चीन को बहुत बड़ी कमाई होती है। यूसी ब्राउजर के दुनिया भर में करीब 43 करोड़ यूजर हैं, जिनमें से करीब 13 करोड़ यूजर सिर्फ भारत में ही हैं। भारत में यूसी सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला दूसरा बड़ा मोबाइल ब्राउजर है। गूगल क्रोम के बाद 14.5 फीसदी मार्केट हिस्सेदारी के साथ यूसी ब्राउजर का ही नंबर आता है। यूसी ब्राउजर से चीन को मोटी कमाई हो रही थी। इसके बंद हो जाने से चीन को सालाना कई सौ करोड़ रुपए का नुकसान होगा।

 

चीनी सामान के आयत पर प्रतिबंध से स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां संकट में, 30-40 फीसदी उत्पादन घटा 

भारत द्वारा चीनी सामान के आयात पर प्रतिबंध लगाने का असर भारत में स्मार्टफोन बनाने वाली चाइनीज कंपनियों पर भी दिखाई दिया है। इनमें ओप्पो, वीवो, रियलमी और शियोमी जैसी कई बड़ी कंपनियां शामिल हैं। दरअसल, ये कंपनियां स्मार्टफोन के ज्यादातर पार्ट्स का आयात चीन से करती हैं। इनमें स्मार्टफोन में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स भी शामिल हैं। चीनी सामान के आयात पर लगे प्रतिबंध से ओप्पो, वीवो, रियलमी और शियोमी जैसी चाइनीज कंपनियों को हैंडसेट के पार्ट्स मिलने में काफी देरी हो रही है। इसके चलते मोबाइल उत्पादन में भारी गिरावट आई है। इन सब वजहों से मोबाइल कंपनियों का उत्पादन करीब 30-40 प्रतिशत तक घट गया है। कंपनियों का कहना है कि हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि देश के भीतर ही इन कलपुर्जों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके ताकि भविष्य में इन कलपुर्जों के आयात पर हमारी निर्भरता कम हो जाए। आयात पर प्रतिबंधों ने गैर-चीनी कंपनियों जैसे कि सैमसंग और घरेलू मोबाइल हैंडसेट निर्माताओं के भी उत्पादन को प्रभावित किया है।

 

भारत को मिलेगा इसका फायदा, देश में डिजीटल क्रांति के संकेत
 

भारत सरकार द्वारा 59 चीनी एप पर प्रतिबंध लगा देने का कदम भारतीय स्टार्टअप के लिए बड़ा अवसर बन सकता है। सरकार ने टिकटॉक, यूसी ब्राउजर और वी चैट जैसे लोकप्रिय एप पर रोक लगा दी है। इनमें से कई एप लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के चलते कई पेशेवरों के काम करने का तरीका बदल गया है। चाहे घर बैठे बैंकिंग लेनदेन हो या ऑनलाइन एजुकेशन। इन सब में टेक्नोलॉजी का काफी अहम योगदान है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा समय भारतीय स्टार्टअप के लिए आदर्श मौका साबित हो सकता है। ये स्टार्टअप काफी तेजी से तरक्की के पायदान पर चढ़ सकते हैं। मीडिया व समाचार पत्रों में छपी खबरों के आधार पर पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा कहना है कि चीन के एप्स पर प्रतिबंध का फैसला देश में डिजिटल क्रांति ला सकता है। 

 

भारत के बाद अन्य देशों में भी चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर हो रहे हैं विरोध- प्रदर्शन

भारत के बाद चीन के खिलाफ अब अमेरिका के न्यूयॉर्क में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। टाइम्स स्केयर पर इंडो-अमेरिकन, तिब्बती और ताईवानी-अमेरिकी समुदाय के लोगों ने चीन का विरोध करने के लिए प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में उन्होंने चीनी प्रोडक्ट के बहिष्कार के नारे भी लगाए। दुनिया भर में चीन के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। अब भारत-चीन सीमा विवाद की गूंज अमेरिका की सडक़ों पर भी सुनाई देने लगी है। न्यूयॉर्क की सडक़ों पर भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक चीन का विरोध कर रहे हैं।

 

 

इसके अलावा अमेरिका के न्यूयॉर्क में भी चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। न्यूयॉर्क में टाइम्स स्क्वायर पर एकत्र हुए भारतीय-अमेरिकी समुदाय, तिब्बती समुदाय और ताइवानी-अमेरिकी समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। अमेरिका पहले से ही चीन से व्यापारिक संबंध कम करने करने का मन बना चुका है। वहीं अन्य देश भी चीन से दूरी बनाने में लगे हुए हैं। यदि चीन की यही कुनीतियां रही तो वो दिन दूर नहीं जब सारा विश्व एक होकर चीन को अलग-थलग कर देगा और विश्व समुदाय में चीन की उपस्थिति शून्य हो जाएगी।

 

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