Published - 17 Apr 2021 by Tractor Junction
इस साल खेती के लिए मानसून अच्छा रहेगा, क्योंकि इस बार 98 प्रतिशत औसत बारिश का अनुमान लगाया गया है जो लंबी अवधि तक चलेगी। वहीं भारी या तेज बारिश की कम संभावना रहेगी। इस लिहाज से खेती के लिए सामान्य बारिश का लंबे समय तक होना एक अच्छी बात है। इससे किसानों की फसल तेज बारिश या बाढ़ से नष्ट होने का खतरा बहुत कम ही रहेगा।
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भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की रिपोर्ट के अनुसार मात्रात्मक रूप से, मानसूनी सीजन (जून से सितंबर) के दौरान बारिश दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 98 प्रतिशत होने की संभावना है, जिसमें मॉडल त्रुटि 5 प्रतिशत है। इस वर्ष के मानसून के मौसम में सामान्य या उससे अधिक वर्षा होने की संभावना 61 प्रतिशत है। विभाग मई के अंत में दो पूर्वानुमान जारी करेगा। इस अवधि तक मौसम का अनुमान लगाना और सटीक हो जाता है। पूर्वानुमान के बारे में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के सचिव और वैज्ञानिक एम. राजीवन द्वारा मीडिया को बताए अनुसार सामान्य मानसून वास्तव में अच्छा कृषि उत्पादन करने में मदद करेगा। राजीवन ने बताया कि इस वर्ष के लिए अल नीनो घटना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इस वर्ष ऐसा होने की संभावना बहुत कम है। उन्होंने कहा कि 1951 से 2020 के दौरान, हमने 14 ला नीना वर्ष देखे हैं। इस वर्ष के बाद, केवल दो बार हमने एक अल नीनो मनाया है।
देश के अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। हालांकि, देश के पूर्व और उत्तर-पूर्वी हिस्सों में इस साल कमी देखी जा सकती है. आईएमडी के पूर्वानुमान के मुताबिक, ओडिशा, झारखंड, बिहार, असम और मेघालय में इस साल कमी देखी जा सकती है। बता दें कि महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश समेत कई इलाकों में पानी का संकट गहरा चुका है। पिछले दो साल से कमजोर मानसून के चलते ज्यादातर इलाकों में पानी के श्रोत सूख चुके हैं। महाराष्ट्र और गुजरात के बड़े शहरों में पीने के पानी की भी बड़ी किल्लत है। यदि इस बार दीर्घावधि तक इन इलाकों में बारिश होती है तो काफी हद तक पेयजल समस्या से निपटा जा सकता है।
देश के कई राज्यों में हर साल बाढ़ का प्रकोप बना रहता है। इससे कई लाख टन फसल को बाढ़ से नुकसान होता है। देश के वे राज्य जहां कई हैक्टेयर क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होता है इसमें उत्तर प्रदेश में 7.336 लाख हैक्टेयर, बिहार में 4.26 लाख हैक्टेयर, पंजाब में 3.7 लाख हैक्टेयर, राजस्थान में 3.26 लाख हैक्टेयर, असम 3.15 लाख हैक्टेयर, बंगाल 2.65 लाख हैक्टेयर, उड़ीसा का 1.4 लाख हैक्टेयर और आंध्र प्रदेश का 1.39 लाख हैक्टेयर, केरल का 0.87 लाख हैक्टेयर, तमिलनाडु का 0.45 लाख हैक्टेयर, त्रिपुरा 0.33 लाख हैक्टेयर, मध्यप्रदेश का 0.26 लाख हैक्टेयर का क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होता है।
मानसून आने के साथ ही देश में खरीफ की फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है। जैसा की हम सभी जानते है कि भारतीय कृषि पूर्ण रूप से बारिश पर निर्भर है। इस लिहाज से मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए ये अनुमान काफी राहत भरें है। यदि सब कुछ अनुमान के मुताबिक होता है तो इस बार खरीफ का बंपर उत्पादन होने से कोई नहीं रोक सकता है। कोरोना संक्रमण के बीच मौसम विभाग का अनुमान हमारे लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है। देश के अधिकांश हिस्सों में रबी की फसल कट चुकी है और शेष फसल की कटाई जारी है। इसके बाद किसान खेत की तैयार करने में जुट जाएंगें। मौसम विभाग के इस अनुमान से देश में खरीफ बुआई का इंतजार कर रहे किसानों के लिए बड़ी राहत मिली है। लगातार बीते दो साल से कमजोर मानसून ने उन्हें मायूसी के सिवाए कुछ नहीं दिया है। अब औसत से बेहतर बारिश उनकी उम्मीदों को बढ़ा रहा है कि वह खरीफ सीजन में अच्छी पैदावार करके बीते दो साल के अपने नुकसान की भरपाई कर पाएंगे।
वर्ष | मौसम विभाग अनुमान | वास्तविक बारिश |
2016 | 106 प्रतिशत | 97 प्रतिशत |
2017 | 96 प्रतिशत | 95 प्रतिशत |
2018 | 97 प्रतिशत | 91 प्रतिशत |
2019 | 96 प्रतिशत | 110 प्रतिशत |
2020 | 100 प्रतिशत | 107 प्रतिशत |
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