Published - 18 Feb 2021
फसल उत्पादन में बीज की अति महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बिना बीज के फसल उगाने की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। लेकिन गुणवत्तापूर्ण फसल उत्पादन के लिए सामान्य बीज से काम नहीं चल पाता है। इसकेे लिए प्रमाणिक व गुणवत्तापूर्ण बीज का मिलना जरूरी है जिससे बेहतर उत्पादन के साथ ही अच्छी कमाई भी हो सके। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार की ओर से बीज ग्राम कार्यक्रम योजना की शुरुआत की गई है ताकि किसानों को फसल उत्पादन के लिए प्रमाणिक बीज उपलब्ध कराएं जा सके वो भी रियायती दरों पर। उल्लेखनीय है कि योजना के तहत 4.21 लाख बीज ग्राम तैयार किए गए हैं जिससे देश के 170.86 लाख किसानों को रियायती दरों पर 38.01 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज उपलब्ध करवाए गए हैं।
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बीज ग्राम योजना के तहत 2 से 3 तीन गांव समूहों को मिलाकर एक किसान समूह तैयार किया जाता है। यह किसान समूह 50 से 100 किसानों का होता है तथा इसके पास 0.1 हेक्टेयर भूमि में अलग-अलग फसलों के उन्नत किस्म के बीज तैयार किए जाते हैं। इस योजना के तहत किसानों को बीज बुवाई से कटाई तक आरएसएससी द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे किसानों के द्वारा बीज उत्पादन करके आय को बढ़ाने में मदद मिलती है। बता दें कि इस योजना का क्रियान्वयन देश भर में 2014-15 से किया जा रहा है। योजना के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर बीज प्रसंस्करण सह बीज भंडार गोदामों की स्थापना, राष्ट्रीय बीज रिजर्व, निजी क्षेत्र में बीज उत्पादन को प्रोत्साहन और गुणवत्ता नियंत्रण अवसंरचना सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण के माध्यम से देश में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने को किसानों के लिए गुणवत्ता पूर्ण बीजों के उत्पादन व आपूर्ति के उद्देश्य की पूर्ति करना है।
बीज ग्राम योजना के तहत किसानों को बीज उत्पादन के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसके तहत किसानों को बीज की बुवाई के लिए बीज पर 25 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। छोटे किसानों को 50 प्रतिशत तथा अन्य किसानों को 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर बीज दिए जाते है। इसके अलावा उन्नत बीज उत्पादन के लिए खाद, दवा और कृषि यंत्र पर भी सभी राज्य सरकार अनुदान देते हैं।
देश में कुपोषण के उन्मूलन के क्रम में, विभिन्न फसलों (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, मसूर, सरसों, सोयाबीन, फूलगोभी, शकरकंद और अनार) की 71 जैव-सक्षम प्रजातियां विकसित की गई है। पीपीवीएफआर प्राधिकरण नई-नई प्रजातियों के रूप में पंजीकरण के लिए 78 फसली प्रजातियां अधिसूचित की हैं, जिससे किसानों को बीजों की ज्यादा प्रजातियों और पौधा रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। पीपीवीएफआर प्राधिकरण द्वारा बौद्धिक स्वामित्व अधिकारों के उद्देश्य से पौध प्रजातियों के लिए 3,436 पंजीकरण प्रमाण-पत्र जारी किए गए हैं। ये ऐसी प्रजातियां है जिनकी पारंपरिक खेती की जाती हैं और इन्हें किसानों ने अपने खेतों में विकसित किया है। साथ ही जंगली या भूभाग संबंधी प्रजातियां आती है, जिनके बारे में किसानों को सामान्य जानकारी हैं। इसके अलावा डीएसीएंडएफडब्ल्यू ने किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज और पौधा रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न फसलों की 1,405 प्रजातियां अधिसूचित की हैं।
नेशनल जिन फंड से मुख्य रूप से कृषि जैव विविधता हाटस्पाट के रूप में चिन्हित क्षेत्रों के किसानों और किसान समुदायों को प्रोत्साहित करने, विशेष रूप से आदिवासी और ग्रामीण समुदायों को लाभप्रद पौधों व उनके जंगली संबंधियों के अनुवांशिक संसाधनों के रूपांतरण, सुधार और संरक्षण से जोडऩे के लिए पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण ने बीते पांच साल के दौरान 15 पौधा जीनोम उद्धारकर्ता सामुदायिक पुरस्कार (एक स्मृति चिन्ह और नकद 10 हजार रुपए) और 16 पौधा जीनोम उद्धारकर्ता किसान पुरस्कारों (एक स्मृति चिन्ह और नगद 1.50 लाख रुपए) के अलावा 37 पौधा जीनोम उद्धारकर्ता किसान सम्मान (एक स्मृति चिन्ह और नगद 1 लाख रुपए) वितरित किए गए।
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