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धान की जगह दूसरी फसलों की खेती करने पर मिलेगी 10,000 रुपए की इनपुट सब्सिडी

Published - 28 May 2021

इनपुट सब्सिडी :  जानें, किस राज्य के किसानों को मिलेगा इसका लाभ और कैसे?

रबी की फसल के बाद अब किसान खरीफ की फसलों की बुवाई की तैयारी में करने लगे हैं। खरीफ फसलों में धान की खेती में अधिक पानी की आवश्यकता होती है। जबकि अन्य फसलों में अपेक्षाकृत कम पानी में काम चल जाता है। जैसा कि हम जानते हैं कि पृथ्वी पर दिन-प्रतिदिन जल के अधिक दोहन से जल स्तर काफी नीचे चला गया है। इससे सभी जगह पर पानी की कमी हो गई है। ऐसे में आज आवश्यकता इस बात की है कि हम न्यूनतम पानी का उपयोग कर अधिक पैदावार प्राप्त करने पर जोर दें। ये तब ही संभव है जब हम धान की खेती को छोडक़र कम पानी में पैदा होने वाली फसलों को अपनाएं। 

 

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धान की खेती से सूखे जैसे हालात

इसी बात को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के किसानों से धान की खेती की जगह अन्य खरीफ फसल जैसे- कोदो -कुटकी, गन्ना, अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगंधित धान, अन्य फोर्टीफाइड धान की फसल की खेती करने का आग्रह किया है। वहीं धान की खेती छोडऩे वाले किसानों को 10000 रुपए सब्सिडी देने का फैसला किया है। बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य में धान की खेती खरीफ मौसम में प्रमुखता से होती है। छत्तीसगढ़ में करीब 43 लाख किसान परिवार हैं और धान यहां की मुख्य फसल है। 

छत्तीसगढ़ में करीब 3.7 मिलियन हेक्टेयर में धान की खेती होती है। जिसमें ज्यादा एरिया वर्षा की खेती पर आधारित है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार भी धान के प्रति कुंतल पर 200 रुपए प्रति कुंतल का बोनस देती थी। हालांकि लगातार जलदोहन के चलते और कई जिलों में 2017-18 में सूखे जैसे हालातों के चलते पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार ने गर्मियों के धान पर प्रतिबंध भी लगाया था। उस समय कांग्रेस विधेयक और अब वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार पर आड़े हाथ लिया था, उनका कहना था कि जब तक किसानों को वैकल्पिक फसलें, नई तरह की खेती न बताई जाए धान लगाने से नहीं रोका जाना चाहिए। वर्तमान में मुख्यमंत्री भूपेश सरकार की ओर से किसानों को धान की खेती छोडक़र अन्य फसल की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।


धान की जगह दूसरी फसल लेने पर किसानों को मिलेगा ये लाभ

इस वर्ष राज्य सरकार ने इस खरीफ मौसम से धान की बुवाई को कम करने के लिए अन्य फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की है। राज्य सरकार की तरफ से जारी विज्ञप्ति के अनुसार राज्य सरकार इस खरीफ मौसम से धान की खेती की जगह दूसरी फसलों की खेती करने पर किसानों को 10,000 रुपए की इनपुट सब्सिडी देगी हालांकि धान की खेती करने वाले किसानों को भी 9 हजार रुपये की इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में उनके निवास कार्यालय पर बैठक में निर्णय लिया गया है। इससे पहले राज्य सरकार ने खरीफ सीजन 2020-21 में धान तथा 2021-22 से धान के साथ ही खरीफ की सभी प्रमुख फसलों पर प्रति वर्ष प्रति एकड़ 9,000 रुपए की इनपुट सब्सिडी देने का फैसला लिया है।  


इन फसलों की खेती पर मिलेगी 10,000 रुपए की इनपुट सब्सिडी

छत्तीसगढ़ सरकार ने धान की खेती तथा उत्पादन घटाने के लिए धान की जगह दूसरी फसलों की खेती को प्रोत्साहन देने का फैसला लिया है। वर्ष 2020-21 में जिन किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा है, यदि वह धान के बदले कोदो- कुटकी, गन्ना, अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगंधित धान, अन्य फोर्टीफाइड धान की फसल लेते हैं अथवा वृक्षारोपण करते हैं तो उन्हें प्रति एकड़ 9 हजार रुपए के स्थान पर 10,000 रुपए की इनपुट सब्सिडी दी जाएगी। राज्य में धान की खेती के स्थान पर वृक्षा रोपण करने वाले किसानों को 3 वर्षों तक 10,000 रुपए की इनपुट सब्सिडी दी जाएगी। 


कोदो-कुटकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य की तय

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के किसानों के लिए कोदो की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दिया है। राज्य में किसान कोदो-कुटकी की फसल को 3,000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेच सकते हैं। बता दें कि केंद्र सरकार के द्वारा 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है, लेकिन इसमें कोदो की फसल शामिल नहीं रहने के करण छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को राज्य के किसानों के लिए कोदो की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल तय किया है।


इधर हरियाणा में धान की खेती छोडऩे पर मिलेगा 7 हजार रुपए का अनुदान

छत्तीसगढ़ सरकार की तरह ही हरियाणा सरकार ने धान की खेती छोडक़र अन्य फसलों की खेती को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से किसानों को 7 हजार रुपए प्रति एकड़ के अनुदान की पेशकश की है। यह राशि किसानों को मेरा पानी मेरी विरायत योजना के तहत प्रदान की जाती है। हरियाणा में धान के बदले अन्य फसलों के बोने पर किसानों को मिलने वाली अनुदान वाली योजना मेरा पानी-मेरी विरासत को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा से जोड़ा जा रहा है जिससे किसानों को आसानी से तथा बिना किसी परेशानी के प्रोत्साहन राशि दी जा सके। हरियाणा में किसानों को समर्थन मूल्य पर फसल बेचने एवं कई अन्य योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए भी मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण करना होता है। किसान अब इस पोर्टल पर पंजीकरण कर मेरा पानी मेरी विरासत योजना का लाभ भी ले सकेंगे। 


हरियाणा में 96 हजार एकड़ में अन्य फसलों की हो रही है खेती

मीडिया से मिली जानकारी के आधार पर हरियाणा में मेरा पानी-मेरी विरायत योजना के तहत राज्य के कई किसानों ने धान की खेती को छोडक़र अन्य फसलों की खेती को अपनाया है। इस योजना एक शुरू होने के बाद पहले ही वर्ष में सरकार को अच्छी सफलता मिली है। वर्ष 2020-21 के खरीफ सीजन में राज्य के किसानों ने 96,000 एकड़ भूमि में धान की खेती को छोडक़र अन्य फसलों की खेती को अपनाया है। अब सरकार उन सभी किसानों को प्रति एकड़ 7,000 रुपए देने जा रही है। 


इन फसलों की बुवाई करने वाले किसानों मिलेगा अनुदान

बागवानी, सब्जी, चारा, मूंगफली, मूंग व अन्य दालें, सोयाबीन, ग्वार आदि की बिजाई के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। इस योजना के लाभ के लिए किसानों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा एवं मेरा पानी-मेरी विरासत पोर्टल पर प्रति एकड़ फसल की विस्तृत जानकारी डालनी होगी। यह जानकारी अपलोड किए जाने के बाद विभाग द्वारा निर्धारित समय वेरिफिकेशन के बाद संबंधित या पात्र लाभार्थी को प्रोत्साहन राशि जारी की जाएगी।  

 

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