Published - 13 Dec 2021 by Tractor Junction
आज हर कोई अपनी संचित की गई राशि को बैंक में खाता खोलकर उसमें सुरक्षित करता है। लेकिन कई बार जिस बैंक में आपका खाता है, वह बैंक किसी कारणवश दिवालिया हो जाता है तो आपकी संचित राशि भी डूब जाने का खतरा रहता है। पर अब ऐसा नहीं होगा। केंद्र की मोदी सरकार की ओर से अब देश के किसानों सहित अन्य लोगों का बैंक खातों में रखा पैसा सुरक्षित रहेगा। यही नहीं यदि किसी कारणवश बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है तो किसानों और लोगों को सरकार की ओर से पैसा लौटाया जाएगा। इसके तहत आपको 5 लाख रुपए की राशि की वापसी की गारंटी दी गई है।
बता दें कि इस बारे में नियम पिछले साल यानी 2020 में बदला गया था और निवेशकों को बैंक में जमा राशि पर गारंटी की सीमा को भी बढ़ाया गया। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल ही जमाकर्ता प्रथम: पांच लाख रुपए तक का गारंटीशुदा समयबद्ध जमा बीमा भुगतान कार्यक्रम में इस बारे में जानकारी दी है कि अब नए हालात में बैंक डूबने पर डिपॉजिटर्स का पैसा नहीं डूबता है। पीएम मोदी ने 2020 में हुए फैसले का हवाला देते हुआ जानकारी दी कि ये गारंटी अभी भी विश्व के कई देशों में नहीं है। लेकिन नए किए गए संशोधन में ये व्यवस्था दी गई है कि यदि बैंक डूबता है तो ग्राहकों को हर हाल में 5 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने साल 2020 में डिपॉजिट इंश्योररेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन डीआईसीजीसी एक्ट में बदलाव के बाद बैंक में जमा राशि की गारंटी पांच लाख रुपए हो गई है। इससे पहले खाताधारकों को अधिकतम एक लाख रुपए तक जमा रकम की गारंटी मिलती थी। अब बैंकों में जमा पांच लाख रुपए तक की आपकी राशि सुरक्षित रहेगी। मतलब यह है कि आपका जिस बैंक के अकाउंट है। यदि वह बैंक डूब जाता है तो आपको 5 लाख रुपए मिलने की गारंटी सरकार की ओर से दी गई है। यानि आपको पांच लाख रुपए हर हाल में मिलेंगे।
बैंक डिपॉजिट पर 5 लाख रुपए की सुरक्षा गारंटी का मतलब है कि किसी बैंक में आपकी चाहे जितनी ज्यादा रकम जमा हो लेकिन यदि बैंक के डिफॉल्ट या डूबने पर आपको 5 लाख रुपए ही वापस मिलेंगे। यदि एक ही बैंक की कई ब्रांच में आपके अकाउंट हैं और उनमें जमा राशि पांच लाख से ज्यादा है तो भी सिर्फ पांच लाख रुपए ही वापस मिलेंगे। यानी आपकी 5 लाख रुपए तक की जमा राशि ही इंश्योर्ड होगी।
इसे साधारण भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। माना आपके एक ही बैंक की दो शाखाओं में से पहली शाखा में 6 लाख रुपए और दूसरी शाखा में 5 लाख रुपए जमा हैं तो ऐसा नहीं कि आपको 11 लाख रुपए मिल जाएंंगे। आपको सिर्फ 5 लाख ही मिलेंगे। चाहे आपके कितने ही इससे अधिक रुपए मुख्य बैंक सहित उसकी शाखा में क्यूं न जमा हो। यानि सिर्फ 5 लाख रुपए तक की गारंटी होगी। बाकी जमा रुपयों की नहीं।
कानून में संशोधन करके एक और समस्या का समाधान करने की कोशिश की गई है। पहले जहां पैसा वापसी की कोई समय-सीमा नहीं थी, अब सरकार ने इसे 90 दिन यानी 3 महीने के भीतर वापसी को अनिवार्य किया है। यानि बैंक डूबने की स्थिति में भी 90 दिन के भीतर जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस मिल जाएगा।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक हालांकि, संकट में घिरे बैंक को सरकार डूबने नहीं देती है और उसका मर्जर किसी बड़े बैंक में कर देती है। यदि कोई बैंक डूब जाता है तो डीआईसीजीसी सभी खाताधारकों को पेमेंट करने के लिए जिम्मेदार होता है। डीआईसीजीसी इस राशि की गारंटी लेने के लिए बैंकों से बदले में प्रीमियम लेता है। यदि आपका पैसा डूबता है तो डीआईसीजीसी आपको इसका भुगतान करने के लिए बाध्य होगी।
डीआईसीजीसी का पूरा नाम डिपॉजिट इंश्योरेंस के्रडिट गारंटी कॉरपोरेशन है। यह रिजर्व बैंक के अधीन एक निगम है, जिसे निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम कहा जाता है। वास्तव में यह भारतीय रिजर्व बैंक का सब्सिडियरी है और यह बैंक डिपॉजिट्स पर बीमा कवर उपलब्ध कराता है।
पहले बैंक डूबने के बाद डिपॉजिटर्स को पैसे तब तक नहीं मिलते हैं, जब तक रिजर्व बैंक कई तरह की प्रक्रियाएं नहीं पूरी करता था। आरबीआई द्वारा जब किसी बैंक का लाइसेंस कैंसिल किया जाता है या फिर बैंक दिवालिया हो जाता है, तब उसके लिक्विडेशन यानी संपत्ति वगैरह बेचने की प्रक्रिया शुरू होती है। इसी से एक सीमा तक जमाकर्ताओं के इन्वेस्टमेंट की भरपाई की जाती है। इसकी वजह से बैंक ग्राहक को लंबे समय तक एक पैसा नहीं मिलता था। अब मोदी सरकार की ओर से किए गए एक्ट में बदलाव से ग्राहकों को बड़ी राहत मिली है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में बैंक कवर बढ़ाने का ऐलान किया था, जिसके मुताबिक, डीआईसीजीसी एक्ट के तहत बैंकों में जमा 1 लाख की बजाय अब 5 लाख तक की रकम इंश्योर्ड यानी सुरक्षित रहेगी। वहीं किसी भी बैंक को रजिस्टर करते समय में डीआईसीजीसी उन्हें प्रिंटेड पर्चा देता है, जिसमें डिपॉजिटर्स को मिलने वाली इंश्योरेंस के बारे में जानकारी होती है। अगर किसी डिपॉजिटर को इस बारे में जानकारी चाहिए होती है तो वे बैंक ब्रांच के अधिकारी से इस बारे में पूछताछ कर सकते हैं।
पहले कभी हमारे देश में बैंक के डूबने अथवा दिवालिया होने पर मात्र 30 हजार रुपए की राशि ग्राहक को वापिस दी जाती थी और वो भी बैंक की संपत्ति नीलाम आदि की पूरी कार्रवाई के बाद। इसके बाद भी निश्चित नहीं था कि ग्राहक को ये रकम मिलेगी भी या नहीं। अभी कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे देश में बैंक डिपॉजिटर्स के लिए इंश्योरेंस की व्यवस्था 60 के दशक में बनाई गई थी। पहले बैंक में जमा रकम में से सिर्फ 50 हजार रुपए तक की राशि पर ही गारंटी थी। फिर इसे बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया। यानी अगर बैंक डूबा तो जमाकर्ताओं को सिर्फ एक लाख रुपए तक ही मिलने का प्रावधान था। ये पैसे भी कब मिलेंगे, इसकी कोई समय-सीमा नहीं तय थी। गरीब व मध्यम वर्ग की चिंता को समझते हुए हमने इस राशि को बढ़ाकर फिर 5 लाख रुपए कर दिया है। बता दें कि वर्ष 2011 में आई रिजर्व बैंक की कमेटी ऑन कस्टमर सर्विस इन बैंक्स की रिपोर्ट में बैंक डिपॉजिट के सिक्योरिटी कवर को बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का सुझाव दिया गया था। जिसे सरकार ने इसे मान लिया और केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट में बैंक कवर बढ़ाए जाने संबंधी यह ऐलान किया था।
डीआईसीजीसी के दायरे में बैंक के सभी डिपॉजिट्स आते हैं। इसमें सेविंग्स अकाउंट, फिक्सड डिपॉजिट अकाउंट, करंट अकाउंट वगैरह शामिल होता है। जहां तक बैंकों की बात है, सरकार ने कहा है कि इसके तहत कॉमर्शियली ऑपरेटेड सभी बैंक आएंगे, चाहे वह ग्रामीण बैंक क्यों न हों।
वर्तमान में भारत में राष्ट्रीयकृत और प्राइवेट बैंक मिलाकर 28 से अधिक बैंक कार्यरत हैं। यदि इनमें अनुसूचित शहरी सरकारी बैंक और विदेशी बैंकों को भी जोड़ दें तो इसकी कुल संख्या 100 से भी अधिक हो जाती है। भारत में सर्वोच्च बैंकिंग संस्था रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है जो देश में संचालित सभी बैंकों पर नियंत्रण रखती है और समय-समय पर निर्देश जारी करती है।
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