डेयरी क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वालों को मिलेगा गोपाल रत्न पुरस्कार

Share Product Published - 07 Jun 2021 by Tractor Junction

डेयरी क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वालों को मिलेगा गोपाल रत्न पुरस्कार

राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार : 15 जुलाई से शुरू होंगे ऑनलाइन आवेदन

देसी नस्लों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर गोपाल रत्न पुरस्कार शुरू करने की घोषणा की है। इसके तहत डेयरी क्षेत्र से जुड़े लोगों को सर्वश्रेष्ठ कार्य करने पर पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। पुरस्कार के लिए आवेदन 31 जुलाई से शुरू होंगे। हाल ही में विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर केंद्रीय मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह की अध्यक्षता में वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें ये घोषणा की गई। बता दें कि हर साल पहली जून को विश्व दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता। 

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तीन श्रेणियों में दिए जाएंगे पुरस्कार

डेयरी से जुड़े लोगों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किया गया गोपाल रत्न पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किया जाएगा। इसमें सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान, सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी) और सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी / दुग्ध उत्पादक कंपनी / एफपीओ को पुरस्कार दिया जाता है। यह अवार्ड ऐसे पशुपालक को दिया जाता है, जो गाय की 40 देसी नस्लों और भैंस की 10 देसी नस्लों में से किसी का पालन करता हो। इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य भारत की गाय और भैंस की देसी नस्लों का संरक्षण करना है। 


पात्र किसान कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन

पात्र किसान/डेयरी सहकारी समितियां/एआई तकनीशियन पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन 15 जुलाई 2021 से शुरू होगा। जबकि विजेताओं की घोषणा 31 अक्टूबर 2021 को की जाएगी। एक जून को विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर केंद्रीय मत्स्यपालन पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने एक वर्चुअल कार्यक्रम में इन पुरस्कारों की घोषणा की है। 


उमंग प्लेटफॉर्म के साथ ई-गोपाला एप का होगा एकीकरण

इस दौरान केंद्रीय मत्स्यपालन पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने उमंग प्लेटफॉर्म के साथ ई-गोपाला एप के एकीकरण की भी घोषणा की ताकि उमंग प्लेटफॉर्म के 3.1 करोड़ उपयोगकर्ताओं को एप तक पहुंच प्राप्त हो सके। ई-गोपाला एप (उत्पादक पशुधन के माध्यम से धन का सृजन) एक व्यापक नस्ल सुधार बाजार और किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिए सूचना पोर्टल प्रधानमंत्री द्वारा 10 सितंबर 2020 को लॉन्च किया गया था।


भारत में कितना होता है दूध का उत्पादन

इस अवसर पर बोलते हुए, मंत्री जी ने कहा कि भारत डेयरी देशों में एक वैश्विक लीडर है और 2019-20 के दौरान 198.4 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया। 2018-19 के दौरान दूध के उत्पादन का मूल्य वर्तमान कीमतों पर 7.72 लाख करोड़ रुपये से अधिक है जो गेहूं और धान के कुल उत्पादन के मूल्य से भी अधिक है।  मंत्री जी ने यह भी उल्लेख किया कि पिछले 6 वर्षों के दौरान दुग्ध उत्पादन 6.3 प्रतिशतप्रति वर्ष की औसत वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है, जबकि विश्व दुग्ध उत्पादन 1.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है। दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 2013-14 में जहां 307 ग्राम थी बढक़र 2019-2020 में 406 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन हो गई है जो कि 32.24 प्रतिशत की वृद्धि है।


पशुपालकों के लिए दूध उत्पादन आय का स्त्रोत

उन्होंने आगे कहा कि हमारा डेयरी क्षेत्र 8 करोड़ से अधिक डेयरी किसानों को आजीविका प्रदान करता है इसमें मुख्य रूप से छोटे और सीमांत और भूमिहीन किसान है देश की डेयरी सहकारी समितियों को अपनी बिक्री का औसतन पचहत्तर प्रतिशत किसानों को प्रदान करती है और 2 करोड़ से अधिक डेयरी किसान डेयरी सहकारी समितियों में संगठित हुए और 1.94 लाख डेयरी सहकारी समितियां दूध गांवों से दूध एकत्र कर रही हैं।


देश में कितना है कितनी है दुधारू पशुओं की संख्या

20वीं पशुगणना के अनुसार देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है। इसमें  भैंसों की कुल संख्या 109.85 मिलियन है जो पिछली गणना की तुलना में लगभग 1.0 प्रतिशत अधिक है। वहीं गायों और भैंसों में कुल दुधारू पशुओं की संख्या 125.34 मिलियन है जो पिछली गणना की तुलना में 6.0 प्रतिशत अधिक है। वहीं देश में दुधारू पशुओं (गाय-भैंस) की संख्या 12.53 करोड़ है, जिनसे लाखों पशुपालकों की कमाई होती है।


राजस्थान में पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी का होगा गठन

किसानों की आय बढ़ाने के लिए राजस्थान में पशु चिकित्सा रिलीफ सोयायटी का गठन किया जाएगा। राज्य सरकार वर्ष 2021-22 के बजट में राजकीय पशु चिकित्सालयों में पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी के गठन करने का प्रस्ताव था। इसके अनुरूप राज्य सरकार ने पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी गठन हेतु सहकारिता विभाग को अधिसूचना जारी कर दिया है। पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी के गठन हेतु पंजीयन शुल्क 250 रुपए निर्धारित कर दिया गया है। यह जानकारी देते हुए शासकीय सचिव पशुपालन विभाग डॉ. आरुषी मलिक ने मीडिया को बताया कि रिलीफ सोसायटी के गठन से जहां पशु चिकित्सालय परिसर की साफ-सफाई एवं अन्य व्यवस्थाएं स्थानीय स्तर पर सुनिश्चितत हो सकेंगे। वहीं वित्तीय संस्थाओं, दानदाताओं व अन्य स्त्रोतों से सहायता, चंदा तथा उपकरण आदि प्राप्त कर पशु चिकित्सालयों का सुदृढ़ किया जा सकेगा। 

डॉ. मालिक ने बताया कि रिलीफ सोसायटी में राजकीय सदस्यों सहित दो गैर राजकीय सदस्य जिसमें प्रगतिशील पशुपालक/दानदाता (जिला स्तरीय पशु चिकित्सालय के लिए न्यूनतम 2.0 लाख, प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय के लिए न्यूनतम 1.0 लाख एवं पशु चिकित्सालय के लिए न्यूनतम 50 हजार रुपए की राशि दान करने वाले) का मनोनयन अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा। बता दें कि वर्तमान समय में राज्य में 200 पशुचिकित्सा उपकेंद्र संचालित किए जा रहे हैं तथा 198 पशु औषधालयों को पशु चिकित्सालयों का संचालन किया जा रहा है। राज्य में 108 के तर्ज पर 102 - मोबाईल वेटेनरी सेवा 48 करोड़ रुपए से शुरू की जा रही है। वहीं राजस्थान सरकार राज्य के पशुपालकों के लिए तहसील स्तर पर पशुचिकित्सालय खोल रही है तथा पशु एम्बुलेंस की शुरुआत भी की है।  

 

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