खेत की जमीन का होगा रजिस्ट्रेशन, फसलों का रखा जाएगा हिसाब

Share Product Published - 16 Jul 2021 by Tractor Junction

खेत की जमीन का होगा रजिस्ट्रेशन, फसलों का रखा जाएगा हिसाब

 खेत की जमीन के लिए 31 जुलाई तक शत प्रतिशत पंजीकरण का लक्ष्य

अब सरकार किसानों की फसल फसल का ब्यौरा रखेगी कि किसान ने कितने एकड़ में कितनी फसल बोई है। यहीं नहीं राज्य सरकार की ओर से नियुक्त कर्मचारी इसका भौतिक सत्यापन भी करेंगे। इस संबंध में हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आदेश दिए है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर प्राथमिकता आधार पर राज्य की शत प्रतिशत जमीन का रजिस्ट्रेशन करवाने के आदेश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि जिला उपायुक्त यह भी सुनिश्चित करें कि प्रत्येक एकड़ भूमि की मैपिंग करवाई जाए और इस कार्य में लगे कर्मचारियों का प्रशिक्षण जल्द से जल्द शुरू हो। उन्होंने जीरो एरर एप्रोच के साथ खेतों का भौतिक सत्यापन भी करने के निर्देश दिए हैं।

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मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर होगा रजिस्ट्रेशन / मेरी फसल मेरा ब्यौरा रजिस्ट्रेशन

अब किसानों की भूमि का मेरा फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। किसान अपनी जमीन का रजिस्ट्रेशन करना जरूरी होगा। इसके तहत मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर खेती योग्य भूमि के साथ-साथ खाली जमीन का भी रजिस्ट्रेशन किया जाएगा ताकि सरकार को पता रहे कि कौन सी फसल कितने क्षेत्र में बोई गई है और कितने खाली पड़े हैं। इस तरह के आंकड़ों के आधार पर ही किसान कृषि विभाग और बागवानी की योजनाओं का लाभ सरलता से उठा सकेंगे। हर गांव में खेत की जमीन ( farm land ) पूरे ब्यौरे का अलग डैशबोर्ड बनाने को भी कहा गया है। पोर्टल पर दर्ज की गई खेत की जमीन का दैनिक डाटा गांव के लोगों के साथ साझा करने को भी कहा गया है।

 

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राज्य की शत प्रतिशत भूमि के पंजीकरण का है लक्ष्य

राज्य सरकार का लक्ष्य राज्य में एक-एक एकड़ की भूमि का पंजीकरण लक्ष्य हासिल करने का है। इस दिशा में राज्य सरकार तेजी से कार्य कर रही है। इसके लिए कृषि विभाग में मैपिंग कार्य के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों को अलग से लगाया गया है। कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमित्रा ने मीडिया को बताया कि जमीन की मैपिंग के काम के लिए विभिन्न विभागों के 6205 अधिकारियों व कर्मचारियों को लगाया गया है। कृषि, पंचायत, बागवानी, सिंचाई और राज्य कृषि विपणन बोर्ड सहित विभिन्न विभागों के कर्मचारी प्रदेश की एक-एक एकड़ भूमि की मैपिंग करेंगे, ताकि राज्य की शत प्रतिशत भूमि के पंजीकरण लक्ष्य को हासिल किया जा सके।


डीएसआर विधि से धान की बुवाई में आता है कम खर्च

मिश्रा ने मीडिया को बताया कि राज्य में जल संरक्षण के लिए एक नई योजना डीएसआर शुरू की है। इसके तहत धान की बुवाई करने पर कम खर्च आएगा और पानी भी कम लगेगा। इस तरह किसानों को कम लागत पर धान की खेती करना संभव हो सकेगा। राज्य के किसान इस योजना का लाभ उठा रहे हैं और बढ़-चढक़र इस विधि को अपनाकर बुवाई कर रहे हैं। इसी के साथ किसानों फसल विविधीकरण को भी अपना रहे हैं। इसके तहत किसानों ने दलहन, तिलहन और चारे की बुवाई पर अधिक जोर दिया है। 


वैकल्पिक खेती करने पर मिलेगी 7 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि

जल का संरक्षण करने के उद्देश्य से राज्य सरकार की ओर से किसानों को धान की खेती छोडक़र अन्य कम पानी में पैदा होने वाली फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके तहत राज्य सरकार की ओर से किसानों को प्रति एकड़ 7 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि  मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत इस वर्ष 2 लाख एकड़ जमीन को धान मुक्त करने का लक्ष्य तय किया गया है। अब तक इसमें से लगभग 87,000 एकड़ भूमि पर धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों की बुवाई की गई है। ऐसे किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन रकम मिलेगी।


बाजरा की जगह दूसरी फसल लगाने पर मिलेंगे 4000 रुपए

धान के साथ ही बाजरा की फसल की जगह अन्य कम पानी वाली वैकल्पिक फसलों बुवाई करने को लेकर भी राज्य की ओर से विशेष प्रोत्साहन योजना शुरू की गई है। इसके तहत यदि किसान बाजारा की जगह अन्य फसल की बुवाई करता है तो उसे 4 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि सरकार की ओर से दी जाएगी। ऐसी योजनाएं चलाने के पीछे सरकार का उद्देश्य राज्य में कम पानी वाली फसलों की उत्पादन पर जोर  देना है। बता दें कि हरियाणा सरकार ने दलहनी व तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। इसके तहत बाजरा उत्पादक जिलों में मूंग, अरहर, अरंड व मूंगफली की खरीफ फसलों की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 4 हजार रुपए की वित्तीय सहायता दिए जाने का निर्णय लिया है। प्रदेश में दलहन (मूंग, अरहर) व तिलहन (अरंड, मूंगफली) फसलों की काश्त करने वाले किसानों को खरीफ 2021 के दौरान 4 हजार रुपए प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता दिए जाने का प्रावधान है। 


दलहनी व तिलहनी फसल लगाने के हैं अनेक लाभ

किसानों को अपने खेतों में बाजरा की फसल के स्थान पर दलहनी व तिलहनी फसलों को लगाने के अनेक लाभ हैं। दलहनी फसलों से एक ओर जहां भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है वहीं दूसरी तरफ तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने से खाद्य तेल की उपलब्धता सुनिश्चित होती है। 


मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किसान 31 जुलाई तक करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन

राज्य सरकार की ओर से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए किसानों को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल डब्लूडब्लूडब्लू.फसल.जीओवी. इन पर पंजीकरण करवाना होगा। पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2021 निर्धारित की गई है। संबंधित किसान उपरोक्त विषय के संदर्भ में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी भी कार्य दिवस को कृषि विभाग के कार्यालय एवं संबंधित कृषि विकास अधिकारी से संपर्क स्थापित कर सकते हैं।


मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना से किसानों को लाभ

मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना हरियाणा सरकार की ओर से राज्य के किसानों के लिए शुरू की गई है। इस योजना के तहत राज्य सरकार किसान और खेत संबंधित सारा ब्यौरा इक्ट्ठा कर रखती है, जिसका उपयोग राज्य सरकार किसान को उनकी हित के लिए चलाई गई सरकारी योजनाओं की जानकारी एवं सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए किया जाता है, साथ ही किसान का पंजीकरण हो जाने के बाद उन्हें बीज उर्वरक एवं कृषि यंत्रों पर सब्सिडी भी समय से उपलब्ध कराई जाती है और अनेक प्रकार की कृषि संबंधित जानकारी भी उपलब्ध कराई जाती है।

 

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