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सूरजमुखी की खेती : बीज और तेल बेचने से डबल मुनाफा

Published - 25 Nov 2021

सूरजमुखी : खरीफ, रबी और जायद तीनों सीजन में उगाओ, मोटा मुनाफा कमाओ

ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है। आज हम बात करते हैं सूरजमुखी की उन्नत खेती की। सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, बेहतर मुनाफा देने वाली इस फसल को नकदी फसल के नाम से जाना जाता है। सूरजमुखी की खेती देश में पहली बार 1969 में उत्तराखंड के पंतनगर में की गई थी। यह एक ऐसी तिलहनी फसल है, जिस पर प्रकाश का कोई असर नहीं पड़ता। किसान भाई से इसे खरीफ, रबी और जायद तीनों सीजनों में उगा सकते हैं।  इसके बीजों में 45 से 50 फीसदी बीज पाया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में अपनी उत्पादन क्षमता और अधिक मूल्य के कारण सूरजमुखी की खेती किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है।

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सूरजमुखी की खेती के लिए भूमि का चुनाव एवं खेत की तैयारी (Sunflower Cultivation)

सूरजमुखी की फसल हर प्रकार की मिट्टी में उगाईजा सकती है। जहां पर पानी निकास का अच्छा प्रबंध हो। अम्लीय और क्षारीय जमीनों में इसकी खेती करने से बचना चाहिए।ज्यादा पानी सोखने वाली भारी जमीन इस के लिए ज्यादा अच्छी होती है। खेत में भरपूर नमी न होने पर पलेवा लगाकर जुताई करनी चाहिए। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद साधारण हल से 2-3 बार जुताई कर के खेत को भुरभुरा बना लेना चाहिए या रोटावेटर का इस्तेमाल करना चाहिए।

सूरजमुखी की प्रमुख उन्नत किस्में / सूरजमुखी की उन्‍नत किस्‍में

सूरजमुखी की एकमात्र किस्म मार्डन बहुत लोकप्रिय है। परंतु अब कई संकर किस्में भी उपलब्ध हैं जैसे बीएसएस-1, केबीएसएस-1, ज्वालामुखी, एमएसएफएच-19, सूर्या आदि।

सूरजमुखी की खेती का बुवाई का समय एवं विधि (Surajmukhi ki Kheti)

सूरजमुखी की फसल प्रकाश संवेदी है, अत: इसे वर्ष में तीन बार रबी, खरीफ एवं जायद सीजन में बोया जा सकता है। जायद मौसम में सूरजमुखी को फरवरी के प्रथम सप्ताह से फरवरी के मध्य तक बोना सबसे उपयुक्त होता है, जायद मौसम में कतार से कतार की दूरी 4-5 सेमी व पौध से पौध की दूरी 25-30 सेमी की दूरी पर बुवाई करें।

यह भी पढ़ें : कृषि इनपुट अनुदान योजना : मौसमी प्रकोप से फसल नुकसान का मिलेगा मुआवजा

सूरजमुखी की खेती में खाद एव उर्वरक (Sunflower Farming)

बुवाई से पूर्व 7-8 टन प्रति हैक्टेयर की दर से सड़ी हुई गोबर खाद भूमि में खेत की तैयारी के समय खेत में मिलाएं व अच्छी उपज के लिए सिंचित अवस्था में यूरिया 130 से 160 किग्रा, एसएसपी 375 किग्रा व पोटाश 66 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। नाइट्रोजन की 2/3 मात्रा व स्फुर व पोटाश की समस्त मात्रा बोते समय प्रयोग करें एवं नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा को बुवाई के 30-35 दिन बाद पहली सिंचाई के समय खड़ी फसल में देना लाभप्रद पाया गया है।

सूरजमुखी की फसल में सिंचाई (Sunflower Agriculture)

जायद (फरवरी माह में) में बोयी गई सूरजमुखी की फसल में 3 सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुवाई के 30-35 दिन बाद करें व इसी अवस्था में नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा का उपयोग करें। द्वितीय सिंचाई 20-25 दिन बाद फूल आने की अवस्था में करें एवं अंतिम सिंचाई बीज बनने की अवस्था में करें।

सूरज मुखी की फसल में कीट नियंत्रण

प्राय: सूरजमुखी की फसल में एफिड्स, जैसिड्स, हरे रंग की सुंडी व हेड बोरर का प्रकोप अधिक होता है। रस चूसक कीट, एफिड्स, जैडिस की रोकथाम के लिए इमिंडाक्लोप्रिड 125 ग्राम प्रति हेक्टेयर या एसिटामिप्रिड 125 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें व सूंडी व हैड बोरर के नियंत्रण के लिए क्विनालाफॉस 20 प्रतिशत एक लीटर दवा को या प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1.5 लीटर दवा को 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ें।

सूरजमुखी की फसल में रोग नियंत्रण

सूरजमुखी की फसल में मुख्यत: रतुआ, डाउनी मिल्ड्यू, हेड राट, राइजोपस हेड राट जैसी समस्याएं आती हैं। पत्ती झुलसा रोग के नियंत्रण हेेतु मेन्कोजेब 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें।

सूरजमुखी फसल की सुरक्षा

सूरजमुखी में तोते सर्वाधिक नुकसान पहुंचाते हैं। तोते प्राय: दाने पडऩे की अवस्था से लेकर दाने पकने की अवस्था तक (एक माह) अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।

सूरजमुखी फसल की कटाई

फसल की कटाई उस समय करें जब कि फूल का पिछला हिस्सा नींबू जैसा पीला रंग का हो जाए और फूल झड़ जाए तो फसल तैयार समझना चाहिए। इस स्थिति में फूल को काटकर खलिहान में लायें व 3-4 दिन खलिहान में सूखने के बाद डंडों से पीटकर बीज निकालें।

सूजरमुखी की एक हेक्टेयर जमीन में उपज

सूरजमुखी की फसल 90-105 दिन में पककर तैयार हो जाती है व उन्नत विधि से उत्पादन करने पर 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है।

जानें, कहां-कहां होती है सूरजमुखी की खेती

विश्व में करीब 20 मिलियन हेक्टेयर में सूजरमुखी की खेती की जाती है। इससे कुल उत्पादन 27 मिलियन टन होता है। सूरजमुखी के प्रमुख उत्पादक देश रूस, यूक्रेन, अर्जेंटाइना, चीन, स्पेन और टर्की आदि है। भारत में 15 लाख हेक्टेयर भूमि में सूरजमुखी की खेती की जाती है और करीब 90 लाख टन का उत्पादन होता है। भारत में सूरजमुखी की औसत उत्पादकता 7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। सूरजमुखी के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, आंधप्रदेश, तमिलनाडू, हरियाणा और पंजाब है। भारत सूरजमुखी तेल का सबसे अधिक आयात यूक्रेन से करता है। भारत में आयातित सूरजमुखी तेल का 70 फीसदी हिस्सा यूक्रेन का, 20 प्रतिशत रूस का और 10 प्रतिशत अजेर्टीना का होता है।

सूरजमुखी तेल व बीजों के फायदे / सूरजमुखी के फायदे (Sunflower Seeds Benefits)

सूरजमुखी के फूलों व बीजों में कई औषधीय गुण छिपे होते हैं। दिल को स्वस्थ रखने से लेकर यह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव करता है। इसके अलावा सूरजमुखी के तेल का सेवन करने से लीवर सही तरीके से काम करता है और ऑस्टियोपरोसिस जैसी हड्डियों की बीमारी भी नहीं होती है, यह त्वचा को निखारने के साथ बालों को भी मजबूत बनाता है। इसके बीज न केवल स्वादिष्ट होते हैं ,बल्कि इन्हें खाने से पोषण भी मिलता है और यह पेट भी भरते हैं। सूरजमुखी के बीज सभी फूड स्टोर्स में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। सूरजमुखी के बीजों को खाने से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है, कोलेस्ट्रॉल घटता है, त्वचा में निखार आता है तथा बालों की भी ग्रोथ होती है।

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