Published - 05 Aug 2020 by Tractor Junction
5 अगस्त 2020 का ऐतिहासिक दिन जिसका सवा सौ करोड़ देशवासियों को बरसों से इंतजार था। मौका था अयोध्या में भूमि पूजन का। इस मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन से पूर्व पारिजात के पौधे को लगा देश की खुशीहाली का संदेश दिया। इसके साथ ही उन्होंने पौधे को पानी भी दिया और वहां उपस्थित लोगों से बात की। इसके बाद वे आगे के अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम को संपन्न कराने के लिए बढ़ गए। आप को बता दें पारिजात के पौधे में कई चमत्कारी गुण होते हैं।
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इस पौधे का आध्यात्मिक महत्व होने के साथ ही इसका औषधीय महत्व भी है। इसे रात में खिलने वाली चमेली भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये पौधा बड़ा चमत्कारी होता है। इसके छूने मात्र से ही तनाव व थकावट दूर हो जाती है। इस बारे में महाभारत काल से जुड़ी एक कहानी भी आती है जिसमें इस बात का वर्णन मिलता है। उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा इसे संरक्षित रखने के प्रयास किए जा रहे हैं, क्योंकि ये पौधा विलुप्त होने के कगार पर है। उत्तरप्रदेश के बांराबंकी के एक गांव किंतूर में इसका पेड़ है। अन्य जगहों पर इसकी अन्य उप प्रजातियों के पौधे देखे जा सकते हैं।
पारिजात का दूसरा नाम हरसिंगार है। हरसिंगार का जिक्र कई प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है। इसके फूल अत्यधिक सुगन्धित, छोटे पंखुडिय़ों वाले और सफेद रंग के होते हैं। फूल के बीच में चमकीला नारंगी रंग होता है। हरसिंगार का पौधा झाड़ीदार होता है। पारिजात का वानस्पतिक नाम निक्टैन्थिस् आर्बोर-ट्रिस्टिस् है और यह ओलिएसी कुल से है। पारिजात के पौधे को इन नामों से भी जाना जाता है- हरसिंगार, पारिजात, कूरी, सिहारु, सेओली, ट्री ऑफ सैडनेस, मस्क फ्लॉवर, कोरल जैसमिन, नाईट जैसमिन, गंगा सेयोली, गुलेजाफारी, पारिजातक, पारडिक, जयापार्वती आदि।
पारिजात का पौधा असम, बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात आदि राज्यों में पाया जाता है। यह 1500 मीटर की ऊंचाई तक की जाता है। भारत के उपहिमालयी क्षेत्रों में 300-1000 मीटर की ऊंचाई पर पारिजात का पौधा मिलता है।
उत्तरप्रदेश के बाराबंकी शहर से 38 किलोमीटर दूर किंतूर गांव में पाए जाने वाले इस पेड़ का आध्यात्मिक महत्व है। इसके संबंध में एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। उसके अनुसार जब माता कुंती, पांडवों के साथ अज्ञातवास में थीं। तब इसी गांव में माता कुंती इस पेड़ के पुष्प लेकर शिव को अर्पित कर पूजा किया करती थीं। यह पेड़ अपने आप में विशाल है। माना जाता है कि इस पेड़ को छूने से सारी थकान उतर जाती है और व्यक्ति अपने आप को स्फूर्तिवान महसूस करता है। कुंती के नाम से ही इस गांव का किंतूर पड़ा था।
इस पेड़ के पुष्प माता लक्ष्मी को प्रिय है माना जाता है कि इसके फूलों से लक्ष्मी का पूजन करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है। वहीं घर के बगीचे में इसका पौधा लगाने से लक्ष्मी का वास रहता है।
पारिजात या हरसिंगार का आध्यात्मिक महत्व जितना है उससे कई ज्यादा इसका औषधीय महत्व है। इसका कई रोगों में दवा के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। इनमें से प्रमुख प्रयोग इस प्रकार है-
रूसी (डैंड्रफ) की समस्या : रूसी या डैंड्रफ होने पर हरसिंगार के बीज को पीसकर पेस्ट बनाकर सिर पर लगाने से रूसी की समस्या कुछ ही सप्ताह में खत्म हो जाती है।
गले के रोग में लाभकारी : यदि आपको गले से संबंधित रोग है तो आप हरसिंगार की जड़ को चबाएं। इससे गले विकारों में आराम मिलता है।
खांसी दूर करने में सहायक : परिजात की छाल का चूर्ण बनाकर उसका सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है।
नाक, कान से खून बहना : हरसिंगार के पौधे की जड़ को मुंह में रखकर चबाने से नाक, कान, कंठ आदि से निकलने वाला खून बंद हो जाता है।
पेट के कीड़े की समस्या : हरसिंगार के पेड़ से ताजे पत्ते का रस चीनी के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
बार-बार पेशाब करने की समस्या : पारिजात के पेड़ के तने के पत्ते, जड़, और फूल का काढ़ा सेवन करने से बार-बार पेशाब करने की परेशानी खत्म होती है। त्वचा पर होने वाले फोड़े-फुन्सी- पारिजात के बीज का पेस्ट बनाकर की सिर की त्वचा पर होने वाली फोड़े-फुन्सी या अन्य सामान्य घाव पर लगाने से ये ठीक हो जाते हैं।
डायबिटीज में फायदेमंद : पारिजात के पत्ते का काढ़ा बनाकर सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।
गठिया व जोड़ों के दर्द में आराम : पारिजात की जड़ का काढ़ा बनाएं बनाकर सेवन करने से गठिया में फायदा मिलता है। हरसिंगार के पत्ते को पीसकर, गुनगुना करके लेप बना बनाकर जोड़ों के दर्द पर लेप करने से बहुत फायदा होता है। इसके अलावा पारिजात के पत्तों का काढ़ा बनाकर इससे सेकने से भी जोड़ों का दर्द और गठिया आदि में लाभ होता है।
दाद की समस्या : पारिजात के पत्तों को घिसकर रस निकाल दाद वाले स्थान पर लगाने से दाद ठीक हो जाता है। इसके अलावा पारिजात के पत्ते का काढ़ा एवं पेस्ट बना कर प्रयोग करने से दाद, खुजली, घाव, तथा कुष्ठ रोग आदि त्वचा विकारों में लाभ होता है।
दवा के रूप में इसका प्रयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें ताकि निर्धारित मात्रा में इसका प्रयोग कर लाभ पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सके।
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