Published - 19 Nov 2021
by Tractor Junction
गुरुनानक देव जी के प्रकाश पर्व पर किसानों को बधाई देते हुए पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने का ऐलान कर दिया है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे। इसी के साथ पीएम मोदी ने किसानों को प्रकाश पर्व की शुभकामनाएं दी। प्रकाश पर्व पर गुरुनानक देव जी का स्मरण करते हुए पीमएम मोदी ने कहा कि गुरुनानक देव जी के पवित्र प्रकाश पर्व पर में देशवासियों सहित विश्वभर के लोगों को हार्दिक बधाई देता हूं।
तीन कृषि कानूनों को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि हम किसानों की स्थिति सुधारने के इसी महाअभियान के तहत देश में तीन कृषि कानून लेकर आए थे। इन तीन कृषि कानूनों को लाने का उद्देश्य ये था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को और ताकत मिले। उन्हें अपनी उपज का सही मूल्य मिले और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले। इसके लिए पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया। इस बार भी संसद में इस पर चर्चा हुई। मंथन हुआ और इसके बाद ये तीन कृषि कानून लाए गए। देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक किसान संगठनों ने, इसका स्वागत किया, समर्थन किया। मैं आज उन सभी का बहुत आभारी हूं।
पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को अपनी बात नहीं समझा पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया। मोदी ने कहा कि हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए ये कृषि कानून लेकर आई थी। खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए। हमने पूरी निष्ठा, समर्पण भाव और नेक नीयत से इन इन कृषि कानूनों को देश के कृषि जगत के हित में लागू करना चाहा था। बता दें कि पिछले एक साल से किसान संगठन की ओर से इन तीन कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा है। किसान इन तीन नए कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग कर रहे थे और एमएसपी की गारंटी देने की मांग पर अड़े थे। इस पर सरकार ने एक साल बाद निर्णय लेते हुए इन तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला लिया है।
तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने के फैसले के साथ ही पीएम मोदी ने एक और अहम फैसला लिया है। इस बारें में बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है। जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए, एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान के साथ ही आंदोलनरत किसानों से अपने-अपने घर लौटने का आग्रह किया। मोदी ने कहा कि मैं आज अपने सभी आंदोलनरात किसान साथियों से आग्रह कर रहा हूं कि गुरुपर्व के पवित्र दिन आप अपने-अपने घर लौटें, अपने खेतों में लौटें, अपने परिवार के बीच लौटें। आइए, एक नई शुरुआत करते हैं। नए सिरे से आगे बढ़ते हैं।’
पीएम मोदी की ओर से कृषि कानूनों को वापिस लेने पर नेताओं की प्रतिक्रिया भी आनी शुरू हो गई। किसी ने पीएम मोदी के इस फैसले का स्वागत किया तो इसी ने इसे चुनाव मेें हार का डर बताया। आइए जानतें हैं किस ने क्या कहा-
किसान आंदोलन खत्म करने को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार एमएसपी के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।
केंद्र की मोदी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए तीन कृषि कानून लेकर आई थी। इसमें पहला - कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम -2020, दूसरा - कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 और तीसरा कानून - आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 था। हालांकि इन तीनों कृषि कानूनों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार के बीच कई दौर की वार्ताएं भी हुई थी, लेकिन इन पर सहमति नहीं बन पाई। केंद्र सरकार इन तीन कृषि कानूनों को किसानों के हित में लागू करना चाहती थी, लेकिन आंदोलनरत किसान इसे किसानों के लिए काला कानून मानते हुए इन तीनों कृषि कानूनों को सरकार से वापिस लेने की मांग पर अड़े हुए थे।
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