Published - 10 Nov 2021
by Tractor Junction
दिन-प्रतिदिन पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने आम आदमी का बजट बिगाड़ कर रख दिया है। इसी के साथ बाजार में भी सभी वस्तुओं की कीमतों पर भी इसका असर पड़ा है और इसका परिणाम यह हो रहा है कि खाद्य पदार्थों से लेकर सभी रोजमर्रा की उपयोग में आने वाली वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं। इससे लोगों की जेब पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी ने लोगों की नींद उड़ा रखी है। हालांकि दीवाली से पहले पेट्रोल के दामों में कुछ कमी की गई थी लेकिन उसके बाद भी पेट्रोल के दाम अब भी आम आदमी के लिए काफी ज्यादा हैं। ऐसे में अब देश में कचरे से पेट्रोल के निर्माण की खबर सुकून देने वाली है। यदि ये प्रयोग सफल होता है तो इसे बड़े स्तर पर शुरू करने पर विचार किया जाएगा। इससे देश के लोगों को सस्ता पेट्रोल मिल सकेगा ऐसी उम्मीद की जा रही है।
मीडिया में प्रकाशित समाचारों के अनुसार बिहार के मुजफ्फरपुर में कुढऩी प्रखंड के खरौना डीह गांव में एक ऐसी मशीन लगाई गई है जो कचरे से पेट्रोल का निर्माण करती है। इस मशीन की खास बात ये हैं कि इस मशीन से महज 6 रुपए के कचरे से 79 रुपए कीमत की पेट्रोल-डीजल बनाया जा सकता है। बता दें कि पिछले दिनों प्लास्टिक कचरे से फ्यूल यानि पेट्रोल-डीजल बनाने वाली यूनिट का उद्घाटन बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने किया था। बता दें इस प्लांट को केंद्र सरकार की योजना पीएमईजी के तहत 25 लाख रुपए बैंक से लोन लेकर शुरू किया गया है। इस प्लांट के संचालक आशुतोष मंगलम हैं।
प्लास्टिक कचरे को फ्यूल में बदलने वाले इस प्लांट में हर रोज 130 लीटर पेट्रोल या 150 लीटर डीजल तक बनाया जा सकता है। इसे बनाने में 200 किलो प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा। कचरे से पेट्रोल-डीजल बनाने वाली प्लांट लगने के बाद बिहार देश का पहला ऐसा राज्य होगा जहां इस तरह से प्लास्टिक से पेट्रोलियम प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं।
मीडिया में जारी खबरों में बताया जा रहा है कि इस प्लांट से प्रतिदिन 150 लीटर डीजल या 130 लीटर पेट्रोल हर रोज तैयार किया जाएगा। इसके लिए 200 किलो कचरे की खपत होगी। बताया जा रहा है कि पेट्रोल डीजल बनाने की प्रकिया में सबसे पहले कचरे को ब्यूटेन में बदला जाता है। इसके बाद ब्यूटेन को आइसो ऑक्टेन में बदला जाता है। इसके बाद मशीन से अलग-अलग दबाव और तापमान से आइसो ऑक्टेन को डीजल या पेट्रोल में बदल दिया जाता है। यहां 400 डिग्री सेल्सियस तापमान पर डीजल और 800 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पेट्रोल बनाया जा सकेगा।
कचरे से पेट्रोल डीजल निकालने की प्रक्रिया पर सफल रिसर्च देहरादून के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम की ओर से किया जा चुका है। यहां हुए रिसर्च में ये बात सामने आई थी कि डीजल और पेट्रोल में अधिक ऑक्टन वैल्यू होने से इसका माइलेज अधिक पाया गया है। कचरे से डीजल-पेट्रोल निकालने की पूरी प्रक्रिया में करीब आठ घंटे का समय लगता है।
मुजफ्फरपुर के इस प्लांट में 6 रुपए प्रति किलो पर नगर निगम कचरा उपलब्ध कराएगा। इसमें मुख्य रूप से प्लास्टिक कचरा होगा। इसके लिए प्लांट की ओर से पूरे इंतजाम किए गए है। इस प्लांट की ओर से कचरा खरीदने से एक तरफ प्लास्टिक कचरे के निस्तारण में मदद मिलेगी जिससे पर्यावरण सुरक्षा में मदद मिलेगी। यदि प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल व डीजल बनाने का ट्रायल के तौर पर लगाया गया ये प्लांट सफल रहा तो व्याप्क स्तर पर इसका उत्पादन किया जा सकेगा। वहीं दूसरी ओर देश में कचरे से पेट्रोल का निर्माण होने से लोगों को कम कीमत पर पेट्रोल उपलब्ध हो सकेगा। ऐसी उम्मीद की जा रही है।
प्लास्टिक कचरे से बने इस पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति फिलहाल स्थानीय किसानों और नगर निगम को की जाएगी। एक लीटर पेट्रोल-डीजल तैयार करने में जीएसटी के साथ 62 रुपए की लागत आएगी। इसकी बिक्री 65-70 रुपए प्रति लीटर की जाएगी।
भारत अपनी कुल तेल जरूरत का 83 फीसदी तक दूसरे देशों से आयात करके पूरा करता है। भारत मुख्यत: इराक, अमेरिका और सऊदी प्रमुख तेल का आयात करता हैं। सऊदी जहां भारत के लिए पारंपरिक तेल निर्यातक देश रहा है। अमेरिका, इरान और सऊदी अरब के साथ ही भारत तेल की अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए कई दूसरे तेल उत्पादक देशों पर भी निर्भर है। जैसे नाइजीरिया भी भारत को क्रूड ऑइल की आपूर्ति कर रहा है। इसके बाद यूएई और वेनेजुएला भी आते हैं। बता दें कि वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तेल पर निर्भर है। अब भारत से किन-किन देशों को तेल का निर्यात करता है तो बता दें कि भारत मुख्य रूप से नेपाल और भूटान दो देशों को तेल का निर्यात करता है।
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