Published - 21 May 2020 by Tractor Junction
राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश में टिड्डी दल पहुंचने से वहां के किसानों की चिंता बढ़ गई है। वे फसल को टिड्डियों से बचाने की जुगत में लग गए हैं। इधर प्रशासन के द्वारा किसानों को आपदा के प्रकोप से निपटने के लिए सर्तक किया जा रहा है। कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, टिड्डी के झुंड राजस्थान से होता हुआ नीमच, मंदसौर, आगर मालवा व झाबुआ तक पहुंच गया है। टिड्डियों का कारवां कई किलोमीटर लंबा है। ये खेतों में उतरकर फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है। आगर मालवा जिले के कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी कनेरिया ने कहा है कि टिड्डी के झुंड लगभग 15 किलोमीटर तक छाए हुए हैं।
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सयाजी के कृषि विज्ञानियों के अनुसार, टिड्डियों को अनके चमकीले पीले रंग और पिछले लंबे पैरों से उन्हें पहचाना जा सकता। आपको दूर से ऐसा लगेगा, मानो आपकी फसलों के ऊपर किसी ने एक बड़ी चादर बिछा दी हो। है। टिड्डियों का झुंड एकबारगी फसलों का सफाया कर देता है।
परंपरागत उपाय : जिन जिलों में टिड्डियों के झुंड के आने का खतरा है, वहां के किसानों को टिड्डियों को भगाने के लिए ध्वनि-विस्तार यंत्र, जैसे- मांदल, ढोलक, डीजे, ट्रैक्टर का साइलेंसर निकालकर आवाज करना, खाली टीन के डिब्बे, थाली इत्यादि स्थानीय स्तर पर तैयार रखें, सामूहिक प्रयास से ध्वनि-विस्तारक यंत्र का उपयोग करें। ऐसा करने से टिड्डी झुंड नीचे नहीं आकर, फसल या वनस्पति पर न बैठते हुए आगे चला जाएगा।
रासायनिक उपाय : कृषि विशेषज्ञों का अनुसार टिड्डियों का आगमन शाम को लगभग छह से आठ बजे के बीच होता है तथा सुबह साढ़े सात बजे तक दूसरे स्थान के लिए प्रस्थान करने लगता है। ऐसी स्थिति में टिड्डी का प्रकोप होने पर तत्काल बचाव के लिए उसी रात की सुबह तीन बजे से लेकर साढ़े सात बजे तक रासायनिक दवाओं का छिडक़ाव कर टिड्डी झुंड पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
विशेष
इस आपदा पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अनुविभाग स्तर एवं जिला स्तर व राज्य स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं। किसान वहां से भी इस संबंध में मदद प्राप्त कर सकता है।
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