न्यूनतम समर्थन मूल्य 2021-22 : खरीफ फसलों की एमएसपी 50 प्रतिशत तक बढ़ाई

Share Product Published - 10 Jun 2021 by Tractor Junction

न्यूनतम समर्थन मूल्य 2021-22 : खरीफ फसलों की एमएसपी 50 प्रतिशत तक बढ़ाई

अब किसानों से इस रेट पर खरीदी जाएगी फसल, देखें पूरी लिस्ट

केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों का वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा कर दी है। इसमें धान, मक्का, सोयाबीन सहित अन्य खरीफ फसलों के एमएसपी रेट तय किए गए हैं। दावा किया जा रहा है कि ये नए तय किए गए एमएसपी रेट लागत मूल्य से 50 प्रतिशत तक अधिक हैं। इससे किसानों को लाभ होगा। केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य लिस्ट के अनुसार सामान्य धान का रेट 1940 रुपए क्विंटल, जबकि ए ग्रेड धान का भाव 1960 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। सबसे अधिक बढ़ोतरी 452 रुपए क्विंटल तिल में की गई है जबकि सबसे कम मक्के का भाव (20 रुपए) का बढ़ाया गया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार खरीफ विपणन मौसम 2021-22 के लिए सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने मंजूरी दी है। देश के करोड़ों किसानों को इसका लाभ मिलेगा। 

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धान में 72 रुपए की बढ़ोतरी तो तिल में सबसे अधिक 452 रुपए बढ़ाए

खरीफ फसलों के जारी किए गए नए एमएसपी रेट के अनुसार धान में 72, अरहर में 300 तो तिल में 452 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। केंद्र सरकार द्वारा घोषित एमएसपी की नई दरों के अनुसार सामान्य धान का मूल्य 1940 रुपए प्रति क्विंटल  होगा, साल 2020-21 में सामान्य धान का रेट 1868 रुपए प्रति क्विंटल था, इस बार 72 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह ए ग्रेड धान के लिए 1960 रुपए का भाव मिलेगा। मक्के की एमएसपी 1870 रुपए तय की गई है जबकि अरहर और उदड़ के लिए 6300 रुपए का भाव तय किया गया है। इसी तरह ज्वार (हाईब्रिड) 2738 और ज्वार (मालदंडी) 2380 रुपए क्विंटल में सरकारी खरीद केंद्रों पर खरीदी जाएगी। पीली सोयाबीन के लिए सरकार ने 3950 प्रति क्विंटल का रेट तय किया है पिछले साल की अपेक्षा इसमें 70 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। इसी तरह 7307 रुपए का भाव तिल के लिए तय किया गया है। तिल की कीमतों में सबसे ज्यादा 452 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। 

 

खरीफ की फसलों के एमएसपी की पूरी लिस्ट एक नजर में

 

फसल

एमएसपी 2020-21 एमएसपी 2021-22
धान (सामान्य) 1868 1940
धान (ग्रेड ए) 1888 1960
ज्वार (हाइब्रिड) 2620 2738
ज्वार (मलडंडी) 2640 2758
बाजरा 2150 2250
रागी 3295 3377
मक्का 1850 1870
तुअर (अरहर) 6000 6300
मूंग 7196 7275
उड़द 6000 6300
मूंगफली 5275 5550
सूरजमुखी के बीज 5885 6015
सोयाबीन (पीली) 3880 3950
तिल 6855 7307
नाइजरसीड 6695 6930
कपास (मध्यम रेशा) 5515 5726
कपास (लंबा रेशा)  5825 6025

 

नए एमएसपी से लागत मूल्य पर कितना लाभ, समझे इस लिस्ट से
 

फसल एमएसपी 2021-22 बढ़ोतरी लागत मूल्य पर लाभ
धान (सामान्य) 1940 रुपए 72 50 प्रतिशत
धान (ग्रेड ए) 1960 रुपए 72 52 प्रतिशत
ज्वार (हाइब्रिड)   2738 रुपए 118 50 प्रतिशत
ज्वार (मलडंडी)         2758 रुपए 118 51 प्रतिशत
बाजरा 2250 रुपए 100 85 प्रतिशत
रागी 3377 रुपए 82  50 प्रतिशत
मक्का 1870 रुपए 20 50 प्रतिशत
तुअर (अरहर) 6300 रुपए 300 62 प्रतिशत
मूंग 7275 रुपए 79 50 प्रतिशत
उड़द 6300 रुपए 300 62 प्रतिशत
मूंगफली 5550 रुपए 275 50 प्रतिशत
सूरजमुखी के बीज 6015 रुपए  130 50 प्रतिशत
सोयाबीन (पीली) 3950 रुपए 70 50 प्रतिशत 
तिल 7307 रुपए 452 50 प्रतिशत
नाइजरसीड (रामतिल) 6930 रुपए 235 50 प्रतिशत
कपास (मध्यम रेशा) 5726 रुपए 211 50 प्रतिशत
कपास (लंबा रेशा) 6025 रुपए 200 58 प्रतिशत

 

लागत का 1.5 गुना है समर्थन मूल्य (एमएसपी)

सरकार खरीद सीजन 2021-22 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी, आम बजट 2018-19 में उत्पादन की अखिल भारतीय औसत लागत (सीओपी) से कम से कम 1.5 गुने के स्तर पर एमएसपी के निर्धारण की घोषणा के क्रम में की गई है। किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर सबसे ’यादा अनुमानित रिटर्न बाजार (85 प्रतिशत) होने की संभावना है। बाकी फसलों के लिए किसानों को उनकी लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न होने का अनुमान है।  


बाजरा में मिल रहा सबसे अधिक फायदा

बाजरा पर एमएसी बढ़ाकर 2150 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2250 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। सरकार द्वारा जारी डाटा के अनुसार अगर लागत के मुकाबले रिटर्न की बात करें तो बाजरा इसमें सबसे आगे है। बाजरा का लागत के मुकाबले रिटर्न 85 प्रतिशत है। इसके बाद उड़द का नंबर आता है इसका रिटर्न 65 प्रतिशत रहा।


क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य या मिनिमम सपोर्ट प्राइज (एमएसपी) 

न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी वह गारंटेड मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे। सरकार हर फसल सीजन से पहले सीएसीपी यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस की सिफारिश पर एमएसपी तय करती है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती है, तब एमएसपी उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइज का काम करती है। यह एक तरह से कीमतों में गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है।


इन खर्चों को जोडक़र तैयार की जाती है फसल की लागत

केंद्र सरकार के अनुसार सभी फसलों के उत्पादन में लागत खर्च का 1.5 प्रतिशत का मुनाफा दिया जा रहा है। इससे किसान लागत से 50 प्रतिशत अधिक पा सकता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में सभी फसलों का लागत इस प्रकार जोड़ी गई है। मानव श्रम, बैल श्रम, मशीन श्रम, पट्टे पर ली गई जमीन का किराया, बीज, उर्वरक, खाद जैसी उपयोग की गई सामग्रियों पर व्यय सिंचाई शुल्क, उपकरण और कृषि भवन पर मूल्य ह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पम्प सेट आदि चलाने के लिए डीजल/बिजली आदि पर व्यय, मिश्रित खर्च और पारिवारिक श्रम के मूल्य को शामिल किया गया है। 

 

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